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High BP: कपालभाती-भस्त्रिका न करें

क्या उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) वाले लोग कपालभाति या भस्त्रिका प्राणायाम कर सकते हैं?


मेरी स्पष्ट राय यह है कि उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों को कपालभाति और भस्त्रिका प्राणायाम करने से बचना चाहिए।


इसका कारण क्या है?

इन दोनों प्राणायामों में तेज़ गति से श्वास लेने और छोड़ने की प्रक्रिया शामिल होती है, जिससे शरीर पर अतिरिक्त दबाव बनता है। विशेष रूप से कपालभाति में श्वास को झटके से बाहर निकाला जाता है, जबकि भस्त्रिका में यह प्रक्रिया श्वास लेने और छोड़ने, दोनों ही अवस्थाओं में बलपूर्वक की जाती है।

यदि किसी व्यक्ति को पहले से ही उच्च रक्तचाप की समस्या है, तो इस अतिरिक्त दबाव से रक्तचाप और अधिक बढ़ सकता है, जिससे जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

क्या पहले से अभ्यास कर रहे साधक इसे जारी रख सकते हैं?

कुछ लोग वर्षों से ये प्राणायाम कर रहे होते हैं, और उन्हें एकदम से रोकना मुश्किल होता है। ऐसे साधक जब इन्हें बंद करने की सलाह पाते हैं, तो वे इसे अनदेखा करते हैं और कोई वैकल्पिक उपाय पूछते हैं। ऐसे मामलों में, यदि वे इसे जारी रखना चाहते हैं, तो उन्हें निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए:


कपालभाति के लिए सावधानियाँ

• हल्की गति में करें – झटके से श्वास बाहर न निकालें।

• चेहरे पर अधिक तनाव न आए – मांसपेशियों को आराम दें।

• शरीर को झटका देने से बचें – बहुत तीव्रता से करने से यह क्रानियल नर्व्स (मस्तिष्क की नसों) को प्रभावित कर सकता है।

• अवधि सीमित रखें – 4-5 मिनट से अधिक न करें और बीच-बीच में ठहराव लें।


लोग अक्सर यह समझते हैं कि कपालभाति पेट के लिए एक व्यायाम है, जबकि वास्तव में यह मस्तिष्क से संबंधित प्राणायाम है। इसलिए इसे करने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

भस्त्रिका के लिए सावधानियाँ

भस्त्रिका में श्वास लेने और छोड़ने, दोनों ही अवस्थाओं में बल लगता है। यदि इसे बहुत तेज़ी से किया जाए, तो यह रक्तचाप को और अधिक बढ़ा सकता है।

• इसे बहुत धीमी गति से करें।

• हाथों की गति नियंत्रित रखें – कुछ लोग इसे हाथों को ऊपर-नीचे करके करते हैं, ऐसे में अतिरिक्त बल से बचना चाहिए।

• यदि रक्तचाप की समस्या गंभीर है, तो इसे पूरी तरह से टालना बेहतर होगा।

रक्तचाप नियंत्रण के प्राकृतिक उपाय


  मेरा अनुभव यह कहता है कि रक्तचाप को नियंत्रित रखने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि शरीर को किसी भी प्रकार के अनावश्यक बल से मुक्त रखा जाए।


• शौच के दौरान अधिक बल न लगाएँ, क्योंकि इससे रक्तचाप अचानक बढ़ सकता है।

• मूत्र त्याग में भी अधिक ज़ोर न लगाएँ, यह भी रक्तचाप को प्रभावित कर सकता है।

• शरीर को स्वाभाविक रूप से कार्य करने दें और किसी भी क्रिया में ज़बरदस्ती बल न लगाएँ।


कपालभाति और भस्त्रिका प्राणायाम उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं, जब तक कि वे इन्हें बहुत धीमी और नियंत्रित गति में न करें। बेहतर होगा कि वे इनकी जगह शांत और नियंत्रित श्वास-प्रश्वास की विधियाँ अपनाएँ, जिससे रक्तचाप स्वाभाविक रूप से संतुलित बना रहे।

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