गहरी नींद का महत्व और उसकी तैयारी
गहरी नींद (डीप स्लीप) केवल एक शारीरिक अवस्था नहीं है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक पुनर्स्थापना का गहन अनुभव है। यह वह स्थिति है जहाँ मन पूरी तरह विचारशून्य हो जाता है और शरीर की कर्मेंद्रियां तथा ज्ञानेंद्रियां पूर्णतः शिथिल होकर स्वयं को पुनर्जीवित करती हैं।
किंतु आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में गहरी नींद दुर्लभ होती जा रही है। देर रात तक मोबाइल या अन्य यंत्रों का उपयोग करना, अनियमित दिनचर्या और मानसिक अशांति इस नींद में बाधा डालते हैं। ऐसे में, गहरी नींद के लिए तैयारी आवश्यक हो जाती है। इस तैयारी में मांसपेशियों और मन को विश्राम देना, दिनभर की थकान से उबरना और मानसिक शांति का अभ्यास शामिल है।
गहरी नींद के लिए सही तैयारी;
गहरी नींद से पहले शरीर और मन को तैयार करना आवश्यक है। यह केवल सोने का समय निर्धारित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि सही विधि से मांसपेशियों को शिथिल करना और उन्हें “पुनः ऊर्जित” करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
सोने से पूर्व कुछ विशेष श्वास-प्रश्वास (प्राणायाम) किए जाने चाहिए। ये प्राणायाम आपकी पाँच ज्ञानेंद्रियों (आंख, कान, नाक, जीभ, त्वचा) और पाँच कर्मेंद्रियों (हाथ, पैर, वाणी, मलद्वार, जननेन्द्रिय) को शांत कर देते हैं और उन्हें दैनिक तनाव से मुक्त करते हैं।
हालाँकि, श्वसन अभ्यास व्यक्ति विशेष की आवश्यकता और स्थिति के अनुसार भिन्न हो सकता है। किंतु ऐसे कुछ अभ्यास हैं, जो सामान्य लोगों के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित और लाभकारी होते हैं।
उजाई प्राणायाम: गहरी नींद की कुंजी
उजाई प्राणायाम, जो योग का एक प्रभावी अभ्यास है, गहरी नींद प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। यह प्राणायाम आपके शारीरिक और मानसिक तनाव को कम कर, आपको शांति और गहराई की अवस्था में ले जाता है। उजाई प्राणायाम की विधि निम्न प्रकार है:
1. श्वास अंदर लेना (पूरक): इसे नाक के माध्यम से करना चाहिए।
2. श्वास बाहर छोड़ना (रेचक): इसे गले और मुँह के माध्यम से नियंत्रित किया जाना चाहिए।
इस प्रक्रिया में गले, जीभ और जबड़े की मांसपेशियों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। ये मांसपेशियाँ दिनभर अत्यधिक सक्रिय रहती हैं, चाहे आप वार्तालाप कर रहे हों, भोजन कर रहे हों या मन ही मन विचार कर रहे हों। उजाई प्राणायाम इन मांसपेशियों को गहराई से विश्राम प्रदान करता है।
श्वास के दौरान गले से उत्पन्न सूक्ष्म ध्वनि इस अभ्यास की विशेषता है। किंतु ध्यान रखें कि यह प्रक्रिया बलपूर्वक न हो। इसे सहज और स्वाभाविक ढंग से ही किसी अभ्यस्थ गुरु के निर्देशन में ही करना उचित होता है ।
गहन निद्रा हेतु मैं इस प्राणायाम को 60 डिग्री पर बैठकर या 30 डिग्री के झुकाव पर लेटकर करवाने पर जोर देता हूँ । शुरुआत में इसे 10-11 मिनट तक करें। यह स्थिति उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जिन्हें सिरदर्द, पाचन संबंधी समस्याएँ या नींद में बाधा की समस्या होती है। 100 में से लगभग 70 फीसदी लोगों में पेट में होने वाले तनाव के कारण निद्रा में बाधा पहुँचती है । लगभग 30 फीसदी ही लोगों में विचारों के आपाधापी के कारण नींद में बाधा दिखती है । इसी हेतु इस प्राणायाम में मैं पेट में होने वाले खिंचाव की ही नहीं बल्कि विचारों में हो रहे असंतुलन को भी दूर करने का प्रयत्न करवाता हूँ ।
जो लोग इसे सही विधि से अभ्यास करते हैं , वे न केवल गहरी नींद का अनुभव करते हैं, बल्कि सुबह उठने पर उनका पाचन तंत्र और मल त्याग भी बेहतर होता है। हालांकि, ध्यान रखें कि पहले ही दिन से 100% परिणाम की अपेक्षा करना उचित नहीं है।
किंतु कुछ ही दिनों में धीरे-धीरे सुधार की प्रक्रिया प्रारंभ होती हुई दिखती है। गहरी नींद प्राप्त करने और अपने शरीर के आंतरिक व्यवहार को बेहतर बनाने की यह प्रक्रिया धीरे-धीरे विकसित होती है। यह एक आदत और अभ्यास का परिणाम है, जो समय के साथ आपके शरीर और मन को नई ऊर्जा से भर देता है।
किंतु इस अभ्यास को समझदारी और धैर्य के साथ करना चाहिए। जल्दबाजी में या बिना सही विधि के किए गए प्रयास नुकसानदायक हो सकते हैं। उजाई प्राणायाम को सही ज्ञान, गहरी समझ और निरंतर अभ्यास के साथ अपनाना चाहिए।
यह उजाई प्राणायाम न केवल गहरी नींद का साधन है, बल्कि यह आपके मन और शरीर के बीच संतुलन बनाने का भी माध्यम है। इसके नियमित अभ्यास से आप मानसिक और शारीरिक शांति का अनुभव कर सकते हैं।
यदि आप इसे गंभीरता और समर्पण के साथ अपनाते हैं, तो न केवल आपकी नींद में सुधार होगा, बल्कि आपका संपूर्ण जीवन भी संतुलित और ऊर्जावान बन जाएगा।
गहरी नींद प्राप्त करना केवल विश्राम नहीं है, बल्कि मन और शरीर का पुनर्निर्माण है। योग और उजाई प्राणायाम के माध्यम से यह अनुभव न केवल संभव है, बल्कि स्थायी भी बन सकता है।
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