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Pranayama Course;

प्राणायाम एक ऐसा विज्ञान है जिसको बिना स्वयं पर प्रयोग और अनुभव के समाज पर प्रयोग करना ठीक नहीं है । आदिकाल में भी ऋषियों ने प्राणायाम के सभी सूक्ष्म रहस्यों को स्वयं पर प्रयोग करके ही अपने शिष्यों को प्रदान किया । पुस्तकों के माध्यम से इसके गूढ़ ज्ञान का प्रचार प्रसार हुआ किंतु व्यावहारिक अनुभावात्मक ज्ञान पुस्तक से नहीं बल्कि किसी ज्ञानात्मक गुरु से ही संभव हो सकता है । जिसमें अभ्यास के साथ साथ सभी विषयों पर गहन चर्चा किया जाता है जिसके कारण शिष्यों के अंतरतम में वह मूल ज्ञान समाहित हो जाता है । 

यहाँ तक कि प्राणायाम के माध्यम से ना केवल मोक्ष, आत्मोत्थान बल्कि शारीरिक रोग मन-मस्तिष्क के सभी रहस्यों और उपायों का भी ज्ञान होने लगता है । 

मेरा प्रयास है कि मेरे द्वारा दीक्षित शिष्य स्वयं के दैहिक, मानसिक एवं आत्म उत्थान में सहयोगी होगें । 

मेरे स्वयं के अनुभव में यदि किसी भी व्यक्ति का निरंतर आत्मोत्थान नहीं हो रहा है तो उसमें किसी भी प्रकार के रोगों का निवारण संभव नहीं है । 

प्राणायाम में समलित विषय -

  1. कपाल भाती  

  2. अग्निसार  

  3. भास्त्रिका 

  4. उदर प्राणायाम  (Abdominal Breathing- 3 variations)

  5. चेस्ट टू एब्डोमिन  (Chest To Abdominal- 3 variations) 

  6. एब्डोमिन टू चेस्ट  (Abdomen to Chest-3 variations)

  7. टर्टल ब्रीथिंग  (Turtle Breathing- 3 variations)

  8. अनुलोम विलोम (Anulom Vilom- 3 variations)  

  9. यौगिक श्वसन  (Yogic Breathing - 3 variations) 


ऊपर दिये गये सभी प्राणायाम में तीन तीन भाग हैं । सभी प्राणायाम को तीन तरह से किया जाना चाहिए जिसके माध्यम से शरीर में निहित रोगों को तो समाप्त किया जा सकता है  साथ साथ मन मस्तिष्क को गहन शांति दिया जा सकता है ।  प्राणायाम के ये तीनों तरीक़े मन मस्तिष्क को बहुत गहराई में शांति देता है जिससे शरीर स्वयं को स्वतः ही हील करना शुरू कर देता है । इसी के माध्यम चित्त में वायु का अनावश्यक दबाव समाप्त हो जाता है , इसी को प्राणायाम के माध्यम से मोक्ष कहा जाता है । 


पाँच वायु -

  1. प्राण वायु 

  2. अपान वायु 

  3. समान वायु 

  4. उदान वायु 

  5. व्यान वायु 


सभी प्राणायाम योगी अनूप द्वारा पाँचों प्राण वायु के आधार पर सिद्ध किए गये हैं जिसमें प्राणवायु , अपान वायु , समान वायु , उदान वायु  और व्यान वायु के आधार पर गहन चर्चा एवं उसका अभ्यास करवाया जाएगा । 

चित्त व अंतरतम में किस भी वायु का अत्यधिक  प्रभुत्व होने से चित्त चंचल एवं रोगी बनता है और उसका दुष्प्रभाव देह पर आता है ।

इसीलिए योगी अनूप जी ने प्राणायाम को पाँचों वायु के आधार पर डिज़ाइन किया है ।  इसके आधार पर कौन सा प्राणायाम किया जाना चाहिए , इसके सिद्धांत पर तथा इसका गहन अभ्यास करवाया जाएगा । 

ध्यान दें चित्त, मन, इंद्रिय तथा इस संपूर्ण देह में पाँचों वायु का प्रभुत्व होता है । चित्त में यदि किसी भी वायु का आवश्यकता से अधिक प्रभुत्व हो जाता है तब मन और इंद्रियाँ पूर्ण रूप से असंतुलित हो जाती हैं , साथ साथ शरीर में रोग के रूप में उसके लक्षण दिखने लगते हैं । 

योगी अनूप के अनुभव के आधार पर पाँचों वायु के असंतुलन से सभी रोगों का जन्म होता है और उसी को प्राणायाम के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है । 

इसी को ध्यान में रखते हुए प्राणायाम का यह कोर्स डिज़ाइन किया गया है । जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति स्वयं के रोगों को ठीक कर सकता है । 


Note-  प्राणायाम का यह कोर्स उन्हीं अभ्यासियों के लिये ही है जिन्होंने पहले से प्राणायाम का अभ्यास किया हो ।

Pranayama Course

Content Hours: 3 hour(s)
Fee: 5100/-
Duration : 2 Days
From 2023-09-09 To 2023-09-10

Copyright - by Yogi Anoop Academy