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समान वायु (Saman Vayu)  = 

समान+वायु , एक ऐसी प्राण वायु है जो समान मात्रा में इस देह के अंदर चलायमान होती है .  इसे ही मैं समान वायु कहता हूँ । इसी लिये इस प्राण शक्ति का केंद्र उस मध्य स्थान को माना जाता है जहां सेंटर ऑफ़ ग्रेविटी हो अर्थात् जो उस केंद्र बिंदु से सभी क्षेत्रों (अंगों) में शक्ति का आवंटन कर सके ।  देह में इसे ही नाभि का क्षेत्र कहते हैं और रीढ़ में मणिपुर चक के नाम से जाना जाता है । इस नाभि के क्षेत्र को मैं ब्रह्म स्थान कहता हूँ इसलिए कि यह केंद्र देह के निर्माण में सबसे अधिक ज़िम्मेदार होता है । बिलकुल वैसे ही जैसे वास्तु शास्त्र, घर के अंदर के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान कहता है । उसके अनुसार यदि यह ब्रह्म स्थान ऊर्जावान है तो घर के अंदर ऊर्जा का संतुलन बना रहता है । 

मेरे अनुसार इस देह रूपी घर में यह मध्य ब्रह्म स्थान जिसमें अग्नि का वास है, समान वायु के माध्यम से समस्त देह को प्रकाशित करती रहती है । यही सामान वायु जो नाभि स्थान में स्थित है , समस्त देह को प्रकाशित किए रहता है । 

इसीलिए मेरे अनुभव में यह समान वायु सबसे अधिक लिवर को प्रभावित करती है क्योंकि लिवर ही एक ऐसा अंग है जो समान मात्रा में देह के अन्य अंगों को ऊर्जा आवंटित करता है ।  इसीलिए यह समान वायु, मणिपुर, नाभि और लिवर सूर्य के रूप में जाना जाता हैं । ये तीनों एक दूसरे के पूरक हैं । सत्य तो यह है कि इन तीनों में वह नाभिकीय ऊर्जा छिपी है जो मृत्यु पर्यंत समाप्त होने का नाम नहीं लेती है । यदि इस ऊर्जा का सही रूप में संचालन किया जाय तो पाचन और निष्काशन में दोष नहीं आता है । और देह तथा मस्तिष्क में ऊर्जा बिना ऊपर नीचे हुए समान मात्रा में बनी रहती है । 

मैंने लगभग दस हज़ार से अधिक लोगों के समान वायु (नाभि) के क्षेत्र को संतुलित करके कई रोगों को दूर किया है । इसलिए इस सिद्धांत को कपोल कल्पित मानना अतार्किक होगा । 

       इसी नाभिकीय ऊर्जा (समान वायु) के सम्यक् रहने के बाद ज्ञान के प्रकाश  के उदय होने का द्वार खुलता है । देह और मस्तिष्क के स्वस्थ होने के बाद ही अध्यात्म के मार्ग का उदय होना स्वाभाविक है , उसके पूर्व तो मन , देह के रोगों से ही लड़ने में व्यस्त रहता है । मन देह की समस्याओं में ही उलझा रहता है ।  मेरे अनुभव के अनुसार इस देह में ब्रह्म स्थान दो हैं । एक नाभि क्षेत्र जो देह के मध्य स्थान में विद्यमान होता है , यह सूर्य व प्रकाश को दर्शाता है जो समान मात्रा में समस्त देह में प्रकाश का प्रसार करता है । जिसके माध्यम से पाचन और निष्कासन (लिवर और आँतें) नियंत्रित होता । यह शक्ति व ऊर्जा का केंद्र बिंदु है जो धातु जैसी शक्ति का निर्माण करता है ।  

किंतु साथ ही दूसरा ब्रह्म स्थान मस्तिष्क के सबसे ऊपर में स्थित सहस्रार चक्र है, यह मन और इंद्रियों की शून्यतम दशा है , जहां पर किसी भी प्रकार का दैहिक अनुभव भी नहीं रह जाता है । देह स्वाभाविक रूप में कार्य करता रहता है । जैसे एक नवजात शिशु । पैदा हुए बच्चे का मन और इंद्रियाँ बाह्य रूप में निष्क्रिय हैं । यह वही स्थान है जब पैदा हुए बच्चे के सिर के सबसे ऊपरी स्थान पर गीला जैसा स्थान होता है । 

यह स्थान जल क्षेत्र से पूर्ण युक्त है और यही पर मन का पूर्ण विलय हो जाता है । इस जल क्षेत्र में सामान्य मन (सामने अभ्यास करने वाला)  के जाने पर निकल पाना संभव नहीं होता है , किंतु एक अभ्यासी इस जल क्षेत्र में जाने पर उसी कमल की भाँति निकल पाने में समर्थ हो जाता है । कमल का फूल पानी से निकल हुआ ज्ञान व प्रकाश को दर्शाता है । 

इसीलिए प्रकृति ने मन और इंद्रियों को जल क्षेत्र दिया , कि वे उसी में डूबी रहें । वह कितना भी विचार पैदा करें किंतु यह मस्तिष्क जो जल से पूर्ण युक्त है , जो उत्तर दिशा में है , गर्म नहीं होने पाता है । इसे ठंडा करने के लिए प्रकृति ने इतनी अच्छी व्यवस्था किया है कि सामान्य व्यक्ति के सोचने से परे है । 

इसीलिए मैं इसे ज्ञानात्मक रूप से ब्रह्म स्थान  मानता हूँ । 

यदि निष्कर्ष निकाला जाये तो यह सिद्ध होता है कि एक स्थान आपकी शक्ति में वृद्धि करता है और दूसरा स्थान आपको ज्ञान के शिखर पर ले जाता है । एक शक्ति केंद्र है और दूसरा ज्ञान का केंद्र है ।  यद्यपि नाभि केंद्र जो समान वायु का श्रोत है वही आज्ञा चक्र समस्त वायु का नियंत्रक या आज्ञा देने वाला है और अंततः सहस्रार समय वायु से परे जाना है । 


समान वायु वर्कशॉप में सममित विषय -
  • समान वायु का सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान की व्याख्या ।
  • समान वायु में असंतुलन का कारण और उपाय ।
  • समान वायु (नाभि) का सहस्रार चक्र से संबंध । 
  • नाभि (समान वायु) का लिवर व जिगर, किडनी से संबंध । उसे बेहतर कैसे किया जाय । 
  • समान वायु का मन और विचार से संबंधित सभी समस्याओं के समाधान पर चर्चा । 
  • समान वायु का किस दिशा में जाने से क्या समस्या हो सकती है । 
  • समान वायु का अन्य सभी वायु एवं कफ़ और पित्त से संबंधित समस्याएँ ।
  • समान वायु के समाधान हेतु 5 प्राणायाम । 
  • समान वायु के लिये 5 आसान ।

Course On Saman Vayu

Content Hours: 6 hour(s)
Fee: 5100/-
Duration : 2 Days
From 2024-05-11 To 2024-05-12

Copyright - by Yogi Anoop Academy