अपान अर्थात् जो आप का न हो । जो आप का है उसे मैं प्राण (पान) कहता हूँ और जो आपका नहीं है उसे ही मैं अपान कहता हूँ । अपान का उल्टा ‘पान’ कहलाता है जिसका मूल अर्थ है ग्रहण करना । जैसे सामान्य भाषा में ख़ान-पान शब्द का उपयोग परिवार में किया जाता है । अपान शब्द इसी ‘पान’ का विपरीत है अर्थात् अपान का अर्थ होगा त्याग या निष्कासन । इस शब्द को न केवल योग और आयुर्वेद में बल्कि बौद्ध , जैन , पुराणों , संस्कृत और पालि भाषाओं में देखने को मिलता है । ज़्यादातर जगहों पर अपान को बाहर जाने वाली साँस और गुदा कहा गया ।
हठ योग के ऋषियों ने अपान को निष्कासन कहा । उनका कहना है कि यह एक ऐसी अधोगति वायु है जो आँतों के माल को बाहर फेंकने में सहायक होती है । इसीलिए इसे अधोगति वायु के नाम से भी जाना जाता है । सामान्य लोगों को समझाने के लिए यह तरीक़ा उचित दिखता है । किंतु मेरे अनुभव में यह वायु मात्र गुदा, ब्लैडर अथवा नाभि के नीचे ही स्थित नहीं बल्कि जो साँसों को बाहर निकालते हैं उस वायु को भी मैं अपान वायु में सम्मिलित करता हूँ । प्राणायाम के विज्ञान में इसे रेचन कहा जाता है । यद्यपि आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा में गुदा द्वारा से निष्कासन की प्रक्रिया को रेचक कहा जाता है । आयुर्वेद के अनुसार अपान वायु मजबूर और संतुलित है उसके मस्तिष्क से संबंधित दोष नहीं सकते । यह मैं भी स्वीकार करता हूँ । वह इसलिए कि आँतों का संबंध मस्तिष्क की सक्रियता से बहुत अधिक होता है । यहाँ तक कि बहुत हद्द तक स्मृति का भी संबंध आँतों से होता है ।
यहाँ तक कि शरीर वास्तु शास्त्र की दृष्टि में भी मल द्वार की दिशा दक्षिण ही है । जैसे गुदा और पेशाब का रास्ता इत्यादि । यहाँ तक कि जनन की प्रक्रिया भी इसी में शामिल है । इसीलिए इसे अधोवायु के नाम से जाना जाता है ।
मेरे अनुभव में मैं हमेशा रेचन के माध्यम से अपान वायु को नियंत्रित करने की बात करता हूँ । ज्ञान की साधना में इसे ही वैराग्य कहा जाता है । अर्थात् इसे त्यागना , छोड़ना इत्यादि कहा जाता है । यदि किसी भी व्यक्ति के अंदर वैराग्य की भावना प्रबल है , विचारों को त्यागने व छोड़ने की आदत प्रबल है तो उसके अपान वायु में किसी भी प्रकार का दोष नहीं हो सकता है , ऐसा मेरा आध्यात्मिक अनुभव है ।
कहने का मूल अर्थ है कि ग्रहण (जो कुछ भी ग्रहण हो, चाहे वह भावनाएँ व विचार ही क्यों न हों ) करने के बाद इकट्ठा हुए मल जो योग्य नहीं है, उस मल को त्यागने की प्रक्रिया ही अपान वायु है । यदि यह कमजोर है तो रोगों का आगमन निश्चित ही समझो ।
इस विषय पर गंभीर चर्चा और इसके नियंत्रण पर विचार किया जाना चाहिए । इसीलिए इसमें निम्नलिखित विषयों को मैंने शामिल किया है ।
अपान वायु का मूल अर्थ और उसकी उत्पत्ति ।
वायु शब्द का अर्थ
उपवास के माध्यम से अपान वायु पर नियंत्रण ।
अपान वायु आसन (नाभि व नाभि से नीचे के ३ आसन)
अपान वायु मुद्रा (3 मुद्राओं पर चर्चा और अभ्यास)
अपान वायु प्राणायाम (3 प्रकार के प्राणायाम)
अपान वायु ध्यान (स्पेस मैडिटेशन इत्यादि)
ज्ञान (वैराग्य व व्यवहार)
Date:
Date - 24th & 25th February 2024
Day - Saturday & Sunday , 3 Hr Per day (online)
Time- 8 Pm To 11 Pm (indian Time)
Place (Place) - @zoom
Price - 5100 INR
Payment Mode - Booking online via website
For - 21 Participants only
Copyright - by Yogi Anoop Academy