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What's Your Level of Concentration?

1 year ago By Yogi Anoop

What's Your Level of Concentration?

जब आप पेड़ में लगे सेब को अपने निशाने से मार देते है , तब आपको कितनी ख़ुशी मिलती है , आप जितना अधिक निशाने बाज होते हैं आप और खुश होते है क्योंकि आपकी एकाग्रता का एक लेवल बढ़ गया है और उस एकाग्रता से आपको olympic में दुनिया भी जानने लगी है । आपको और ख़ुशी मिल गयी वाहवाही भी मिलने लगी । ध्यान दे ये सभी ख़ुशियों का श्रोत आपकी सेब अर्थात् विषय के प्रति एकाग्रता है ।  चूँकि  सामान्य लोगों की एकाग्रता का लेवल जो होता है उससे आपकी एकाग्रता कहीं अधिक है  तो वे लोग आपको अधिक आदर देने लगते है । आपको वहाँ से भी ख़ुशी भी मिलने लगती है । 

ध्यान दें इस प्रकार के लोग न तो स्वयं में और न ही समाज में बहुत लम्बे समय के लिए बदलाव कर पाते  हैं । ये सत्य है कि ये ख़ुशियाँ स्वयं से ही लेते हैं  किंतु निर्भरता समाज पर है ,  जब तक इनकी एकाग्रता चरम पर है तब तक जनमानस के मन में हैं अन्यथा ख़त्म । इस सक्सेस को फ़िज़िकल सक्सेस कह सकते हैं । इनकी सक्सेस surface लेवल की होती है । 


अब थोड़ा और आगे बढ़ते हैं । ये अधिक डीप लेवल पर है । 

उसी पेड़ पर लटका  हुआ  सेब जब गिरता है तब किस स्पीड में गिरता है ये खोज का विषय शुरू हो गया। अब विज्ञान का आना शुरू हो गया ।उस सेब के अंदर क्या क्या है , उस सेब से क्या क्या लाभ है , उस सेब से क्या क्या हानियाँ हो सकती हैं , उस सेब में कौन कौन से विटामिन है , इत्यादि का ज्ञान होने लगा । उन विटामिन का इस देह पर क्या क्या प्रभाव होता है । 

ध्यान दो यह एकाग्रता सिर्फ़ उन खिलाड़ियों की तरह एकाग्रता नहीं । यह एकाग्रता इतनी अधिक गहन है कि जो चीज आँखों से दिख नहीं रही है उसे जाना जा रहा है । 

यह एकाग्रता या इस खोज करने वाले को कितनी गहरी मानसिक शांति मिलेगी । आपको अंदाज़ा नहीं हो सकता है ।  उसे अलिम्पिक में जनता से वाहवाही नहीं मिल रही है किंतु समाज को वह क्या क्या दे रहा है आप इसको सोचे । 

ये समाज पर कितना उपकार करते हैं ।  उसको एकाग्रता से सुख मिल रहा है , वह अपने खोज से , खोज के तरीक़े से खुश हो रहा है , ये एकाग्रता समाज के लिए वरदान साबित होती  है । 


अब थोड़ा इसके भी ऊपर चलते हैं । 

थोड़ा सा और अप्ग्रेड करते है , जब उसी सेब जो पेड़ में लटका हुआ है जब वो गिरता है तब किसी को ग्रैविटी का ज्ञान हो जाता है । सोचो हज़ारों वर्षों से कितने लोगों ने सेब को गिरते हुए देखा होगा । और इस बात का भी ध्यान दो कि जिसने ये खोज की उसका भी ध्यान इस बात पर नहीं  रहा होगा कि वह कोई खोज कर रहा है । और उसकी एकाग्रता इस एंगल से हो गई । उसे इस एकाग्रता से कितनी ख़ुशी हुई होगी । कितनी गहन शांति हुई होगी । 

विज्ञान के लिए वरदान साबित हो गया । 

उसको जब वह खोज रहा था , ऐक्चूअली उसी प्रॉसेस में ही ख़ुशी मिली होगी , तभी तो इसे खोज पाया । इन्ही से भविष्य में खोजे होती हैं । आज विज्ञान का जितना भी विकास हुआ ऐसे ही वैज्ञानिकों के माध्यम से हुआ । आज जितना जीवन सरल है , उन्हीं की बदौलत हुआ । यद्यपि उसके दुष्परिणाम भी हुए किंतु इसका कारण विज्ञान नहीं है , इसके मूल कारण सामान्य मनुष्यों की प्रवृत्ति है । 

मोबाइल बना , विज्ञान ने ये नहीं कहा था कि इसे हर पाल देखो । सामान्य मस्तिष्क की यही समस्या है कि उसे कुछ मिला नहीं कि मस्ती शुरू । वही मकड़ी वाली मस्ती , अपने ही बुने हुए जाल में फँस कर मार जाती है । वैसे सामान्य मस्तिश है विज्ञान का दुरुपयोग करके वह मार रहा है । 

अब सर्वोच लेवल की एकाग्रता की बात करते हैं जहां पर अनादि और अनंत का ज्ञान हो जाता है ।  


सर्वोच्च लेवल की एकाग्रता -इसे ही मैं पूर्ण ज्ञान कहता हूँ ।


ये एक ऐसी एकाग्रता है जो ऋषियों को हुई । 

ध्यान दें एकाग्रता का सभी लेवल केवल केवल वस्तु पर पर आधारित था । ऑब्जेक्ट पर आधारित था । किंतु भारतीय ऋषियों ने तो हद ही कर दी । उन्होंने इतनी हद की कि अनहद को प्राप्त कर लिया । 

उन्होंने कहा ये सभी एकाग्रता वाह्यामुखी है , इससे शांति तो मिलती है किंतु अंतिम सत्य का ज्ञान नहीं हो सकता है । वस्तु की गहराई में कितना भी चले जाओ , कहीं ना कहीं पूर्णता का अनुभव नहीं हो पाता है । 

उन्हें यह आभाष हो गया था कि वस्तु पूर्ण शांति नहीं दे सकता है , वस्तु-विहीन होना पड़ेगा । 

कुछ वैसे ही जैसे गहन निद्रा में वस्तुओं का कोई महत्व नहीं रह जाता है । कितनी शांति मिलती है । 

वैसे ही वे ऋषि जागृत अवस्था में उस गहन शांति को प्राप्त करना चाह रहे थे । वे मनुष्यत्व  को वह सब कुछ देना चाह रहे थे जो अंतिम सत्य था । 

अंततः हज़ारों वर्षों से चले आ रहे अनवरत अनुभवों से यह प्राप्त हो गया कि वस्तु छोड़ो और वस्तु के अनुभव करने वाले का अनुभव करो । 

इसी को मैं पूर्ण निरोग अवस्था कहता हूँ । पूर्ण विश्राम 

इन्होंने यह खोज लिया कि वस्तुएँ चलायमान है , पूर्ण विश्राम , पूर्ण निरोग अवस्था के लिए एक स्थिर तत्व का अनुभव करना पड़ेगा । वह है स्वयं का चेतन तत्व जो इन सभी बाह्य वस्तुओं का अनुभव करता है । 

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