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व्यावहारिक जीवन का महत्व

7 months ago By Yogi Anoop

व्यावहारिक जीवन का महत्व      

    पढ़ लिखकर व्यावहारिक अनुभव कभी भी नहीं मिल सकता है , और न ही उसके माध्यम से जीवन में कोई परिवर्तन दिख सकता है । पढ़ने और लिखने से सिर्फ़ इतना ही ज्ञान आ जाता है कि फला -फला व्यक्ति व फला सदग्रंथों में  गुरुओं ने क्या कहा था , और उसमें क्या नहीं कहा था । हम महान व्यक्तियों की रचनायें बस पढ़ते रह जाते हैं । समस्या वहीं की वहीं रह जाती है , वह इसलिए क्योंकि कि हमें अपने को पढ़ना नहीं आया । व्यवहार में जीना नहीं आया । ध्यान दें उन लेखकों की संख्या कितनी अधिक जो आपको अरबपति बनाने के गुण सिखाते हैं किंतु यदि उनके जीवन में देखो तो वह वही किताब बेचकर जीवन यापन कर रहे होते हैं । वे कभी भी अरबपति या खरबपति नहीं होते हैं । क्योंकि कोई भी व्यापारी सिर्फ़ एक ही तरीक़े से खरबपति तो होता नहीं । व्यावहारिक जीवन में उसे कितने कितने पापड़ बेलने पड़ते होंगे । 

एक दूसरे उदाहरण से देखे तो , आख़िर गहरी नींद में जाने के लिए लिए कौन किताब पढ़ता है । जो भी सोने के पूर्व पढ़ता है उसे नींद नहीं आ रही होती है । किताब पढ़कर कितने लोग भोजन को धीरे धीरे खाते हैं ! किताब को पढ़कर कितने लोग सुबह उठते हैं ! कितने लोग किताब को पढ़कर रात में जल्दी भोजन करके जल्दी ही सो जाते हैं । मैंने अपने जीवन में किसी को भी नहीं देखा कि किताबों को पढ़कर ओवर्थिंकिंग रोक लिया हो बजाय कि बढ़ने के । 

यहाँ तक किताबों को पढ़ने वाले लोग ओवर्थिंकिंग से बचने के लिए और ओवर्थिंकिंग करते हैं । जब कि सत्य यह है कि सोने के पूर्व सोचने की आवश्यकता ही नहीं होती है । यदि सोचोगे तो सोना रुक जाएगा , और इसी के विपरीत यदि सोचना रुकेगा तो नींद का आना प्रारंभ हो जायेगा ।  

मेरे अनुसार एक उम्र (लगभग 25वर्ष ) के बाद बच्चे को किताब सिर्फ़ पढ़ने-लिखने को सीमित रखना चाहिए अन्यथा उनका वैवाहिक और व्यावहारिक जीवन मुश्किल से गुजरता है । व्यापारिक दृष्टि में भले ही वह सफल हो किंतु व्यावहारिक दृष्टि से वह सफल नहीं हो सकता है । वह इसलिए क्योंकि उन्हें अपनी एकाग्रता को स्विच करना नहीं सीख पाया है । इसका अर्थ है कि वह अभी भी किताबों वाले जीवन को जीने की कोशिश कर रहा है । किताबों से स्विच करके स्वयं के जीवन पर आना , व्यावहारिक जीवन पर आना बहुत मुश्किल और अकल्पनीय कार्य होता है । 

मेरे अनुसार उन्हें किताबों पर निर्भरता कम से कम करके अपने जीवन में जो व्यावहारिक घटनाएँ घट रहीं है उस पर अधिक ध्यान देना चाहिए । उसका समाधान स्वयं के बुद्धि से करने का प्रयत्न करना चाहिए । अब उसे स्वयं के जीवन को पढ़ना सीखना चाहिए । वह इसलिए क्योंकि वह अब नौकरी और वैवाहिक जीवन में प्रवेश कर चुका है । 🙏

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