जैसे एक लड़का किसी पुस्तक को याद करता है और और अपनी उत्तर पुस्तिका में उसे जाकर लिख डेटा है । वह लड़का उस उत्तर पुस्तक को लिखते समय एकाग्रचित्त है , याद की हुई बातों को अपनी उत्तर पुस्तिका में हूँ बहू लिख दे रहा है , उस समय वह पूरी तरह से एकाग्रचित्त है , अर्थात् वह रूप से वर्तमान में है क्योंकि उस समय उसके मन में अन्य विचारों का प्रवेश नहीं हो रहा है । ।
अब एक दूसरे बच्चे का उदाहरण देते हैं , जो उत्तर पुस्तिका में स्वयं से सोच विचार करके लिख रहा है । उसने पुस्तक को याद करने के बजाय समझा है और उसी समझ का इस्तेमाल करके वह उत्तर पुस्तिका में लिख रहा है ।
अब ध्यान दो यहाँ पर वह बच्चा उस एग्जाम के समय सोच भी रहा है, अपने सोच में शब्दों का चुनाव करके शब्दों से वाक्य भी बना रहा है । और उस वाक्य को उत्तर पुस्तिका में लिख भी रहा है । किस वाक्य को कब कहाँ किस समय पर लिखना है और उसका अंत कैसे करना है यह सब उसी क्षण करता है ।
यदि ध्यान से देखो तो उस समय वह लड़का वर्तमान को निचोड़ कर रख देता है । उसे शब्दों को तोड़ने मरोड़ने की पूरी शक्ति मिल जाती है , वह आज़ाद है , वह इतना आज़ाद होता है कि वाक्य को लिखते लिखते बीच में ही उसके रूप को बदल देता है , उसके व्याकरण को भी अच्छी तरह से उसी वर्तमान में ठीक कर रहा होता है ।
मैं इसे इसे कहता हूँ वर्तमान में जीना ।
एक लड़का जो रटी रटाई चीजों को हूँ बहू लिख रहा है वह भी वर्तमान में था , किंतु वह उस वर्तमान में उत्तर पुस्तिका में लिखते समय बने बनाये शब्दों व वाक्यों को अपनी स्मृति अर्थात् अपनी मेमोरी स्टोरेज से उठता है ।
और एक दूसरा लड़का जिसने अपने दिमाग़ में किसी वाक्य वि शब्दों के पैटर्न को नहीं रख है , उसने तो सिर्फ़ समझ रखा है । वह अपनी समझ से शब्दों को तुरंत निकालता है । यहाँ पर मन ज़बाजस्त क्रिएटिव है , इंट्यूटिव है , वह वर्तमान की परिस्थिति को देखकर क्या लिखना है उसे तुरंत सोच कर लिख दे रहा है । शब्दों और वाक्यों के साथ खेलने की सामर्थ्य आ जाती है उसमें , इसीलिए विसूलैज़ेशन के साथ साथ लिखना भी चलता है ।
उसने अपनी सोच को शब्दों में उतारा और बिना कोई गलती के । उसमें भले थोड़ी ग्रामिटकल मिस्टेक्स हों सकती है किंतु वह ज़बरज़स्त इंटेलेक्चुअल है , उसके पास एक स्किल है । वह जीवन में जहां भी रहेगा हार नहीं सकता है क्योंकि वह अपनी सोच को आकार देना सीख चुका है ।
लेकिन वह जो रट कर किसी उत्तर को पुस्तिका में लिख रहा है तो वर्तमान में वह है किंतु उसकी इंट्यूटिव ग्रोथ नहीं हो रही है ।
अब आपको चुनना है कि कौन सा वर्तमान बेहतर है ।
यहाँ एक और बात जोड़ना चाहूँगा, विषय से थोड़ा अलग हटकर है -
ऐसे बच्चे जो स्वयं की स्किल से उत्तर पुस्तिका को लिखते हैं उनके उत्तर में थोड़ा बहुत ग्रामिटिकल मिस्टेक्स होना स्वाभाविक हैं किंतु टीचर ऐसे बच्चों के मार्क्स काट लेता है, वह उन बच्चों को अधिक नंबर देता है जिन्होंने पूरी तरह से हूँ बहू अक्षरों को छाप दिया है । क्योंकि टीचर का कार्य सही उत्तर देखना होता है ना कि उत्तर देने वाले के दिमाग़ की गहराई को जानना होता है । किंतु ध्यान दें उस उत्तर से एक अच्छे शिक्षक को यह जानने का प्रयत्न करना चाहिए कि वह बच्चा कितना इंटिट्यूटिव है । किंतु आधुनिक शिक्षा व्यवस्था अच्छी होते हुए भी ख़ामियों से भरी है । इसमें बच्चे के उत्तर पुस्तिका को देखकर इंट्यूटिव स्किल को नहीं देखा जाता है ।
किंतु गुरुकुल व्यवस्था में गुरु उन बच्चों को सबसे श्रेष्ठता प्रदान करता था जिसमें इंटिट्यूटिव स्किल , बुद्धि होती थी ।
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