थकान के समय भोजन सबसे अधिक वायु रोग पैदा करता है
योग और आयुर्वेद में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि थकान के समय भोजन करना शरीर में वायु रोग उत्पन्न करने का मुख्य कारण बनता है। चाहे भोजन सात्विक हो, राजसिक हो या तामसिक, थकान की स्थिति में पाचन तंत्र ठीक से कार्य नहीं कर पाता, और इसका सीधा असर शरीर में वायु विकारों पर पड़ता है। मन और देह में थकान के समय मांसपेशियाँ, देह के सूक्ष्म तंत्रों में थकान होने से उन्हें तुरंत किसी ऊर्जावान भोजन की माँग होती है। वह भी ऐसे भोजन की माँग जिसमें स्टार्च व शुगर व फ्राइड से संबंधित भोजन हो, जैसे चाय, समोसा इत्यादि। चूँकि अंतरतम में धैर्य और अनुभव की कमी होती है, इसलिए समस्या के समय मन और देह एक ऐसे समाधान की तरफ़ भागते हैं जो उनके अंदर अपच ही करता है।
मेरे अपने अनुभव में यह मानसिक आदत वायु रोग को बढ़ाने के लिए बहुत ही उत्तरदायी होती है।
थकान और वायु रोग का संबंध
चंचल मन थके हुए शरीर को तुरंत ही कुछ ऊर्जावान भोजन देना चाहता है। उसमें धैर्य की कमी होने से थकान के समय बहुत हलचल मचती है। यहाँ तक कि मन और देह के थकान के समय चिड़चिड़ापन, क्रोध, अवसाद इत्यादि भी घेरने लगते हैं। संभवतः इसीलिए वह उस भोजन की तरफ़ भागता है जो बहुत शीघ्रता से ऊर्जा दे सके। और ध्यान दें, ऐसा भोजन सिर्फ तला हुआ और मीठा ही हो सकता है। इसीलिए थकान के समय व्यक्ति इसी प्रकार के भोजन का चुनाव करता है। यहाँ तक कि थकान के समय भोजन करने की गति बहुत तेज भी होती हुई देखी जाती है, अर्थात् बहुत जल्दी-जल्दी भोजन किया जाता है।
यही कारण है कि जब शरीर और मन थके हुए होते हैं, तो मस्तिष्क और पाचन अंगों का आपसी तालमेल कमजोर हो जाता है। इस अवस्था में किया गया भोजन ठीक से पच नहीं पाता और पेट में वायु का अत्यधिक निर्माण होने लगता है। यह वायु रोग गैस, एसिडिटी, अपच, और पेट दर्द जैसी समस्याओं को जन्म देता है।
मेरा व्यक्तिगत अनुभव भी इस सिद्धांत की पुष्टि करता है। लगभग 25 वर्ष पहले मैंने एक महीने तक गहन थकावट के तुरंत बाद भोजन किया करता था। परिणाम के रूप में सभी पाँचों प्रकार की वायु में वृद्धि मिली। गैस्ट्रिक समस्याएँ इतनी बढ़ गईं कि पाचन तंत्र असंतुलित हो गया। यहाँ तक कि भोजन की इस प्रक्रिया से डकार और कब्ज़ में भी बढ़ोत्तरी दिखी।
इस प्रयोग के बाद मैंने थकान के तुरंत बाद भोजन को बंद कर दिया। और थकान के बाद कुछ ऐसे प्राणायाम और ध्यान की विधियों का अभ्यास करता था, जिससे मांसपेशियों को तुरंत आराम मिल जाए। इससे भोजन का पाचन भी और बेहतर हो गया और वायु रोग में 80 से 90 फीसदी आराम मिल गया।
थकान में भोजन क्यों नुकसानदायक है?
थकान के समय हमारा मस्तिष्क और शरीर ऊर्जा की कमी से जूझ रहा होता है। ऐसे समय में चंचल मन देह की थकी हुई मांसपेशियों को तुरंत आराम देना चाहता है। चूँकि थकान के कारण वह धैर्य खो रहा होता है, देह उसका साथ कम दे रही होती है, इसीलिए वह उसी समय भोजन पर टूट पड़ता है। और इस अवस्था में चंचल मन ऐसे भोजन को ही पसंद करता है जो तला-भुना, मसालेदार, नमकीन व मीठा हो।
भोजन करने से शरीर भोजन को पचाने के बजाय थकावट से लड़ने में अधिक ऊर्जा खर्च करता है। इसका परिणाम यह होता है कि लिवर सही तरीके से पाचन नहीं कर पाता और गैस, एसिडिटी जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
योग-आयुर्वेद के अनुसार, जब मस्तिष्क और मन आराम की अवस्था में होते हैं, तब लिवर और पाचन तंत्र सबसे अच्छी तरह काम करते हैं।
वायु रोग बढ़ाने वाले कारण
1. लिवर का धीमा कार्य: थकान की स्थिति में लिवर अपनी पूरी क्षमता से पाचन कार्य नहीं कर पाता। यहाँ तक कि पेट में भी एसिड की मात्रा बढ़ी हुई रहती है। इसलिए सर्वप्रथम उसे थकान को समाप्त करने के लिए ठंडे व सामान्य पानी से नहाना चाहिए। इससे मांसपेशियों की थकान 50 से 60 फीसदी समाप्त हो जाती है। इस अवस्था में लिवर पुनः सक्रिय अवस्था में आ जाता है।
2. भोजन का अपूर्ण पाचन: थकान के समय भोजन शरीर में विषाक्त पदार्थ उत्पन्न करता है। वह अपनों से लड़ रहा होता है। इसलिए देह की मांसपेशियों को ढीला करना सबसे पहले महत्वपूर्ण है।
3. प्राण ऊर्जा की कमी:
थकावट के दौरान प्राण ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है, जिससे भोजन पचाने में अधिक बाधा आती है।
थकान के समय क्या करें?
थकान के समय भोजन करने की बजाय इन उपायों को अपनाएँ:
1. आराम करें: तीन से पाँच मिनट सवासन करें। यह मन और मस्तिष्क को तुरंत आराम देता है।
2. प्राणायाम का अभ्यास करें:
• छाती प्राणायाम, उदर प्राणायाम: जिसमें रेचन मुँह के द्वारा गले से थोड़ा आवाज करते हुए होना चाहिए। पाँच मिनट तक के इस प्राणायाम से प्राण ऊर्जा पुनः जागृत होती है। मन शांत होगा, देह की मांसपेशियों का ढीलापन बढ़ेगा।
• अनुलोम-विलोम: यह वायु, मन और देह के संतुलन को बहाल करने में बहुत प्रभावी है। रक्त में हो रही बहुत हलचल को स्थिर करने में सहायक भी होती है।
थकान चाहे मानसिक हो या शारीरिक, तुरंत भोजन न करें। यह भी सत्य है कि थका हुआ मन और देह तंत्र उस समय बहुत तीव्रता के साथ भोजन की माँग करता है। किंतु सवासन और प्राणायाम से उसे शांत करें। आप देखेंगे, शरीर की ऊर्जा पुनः बहाल हो जाएगी।
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