मन और मस्तिष्क का सही विकास और शरीर को वायु रोग से बचाने के लिए जीवन में क्रियाशीलता (action) और विश्राम (relaxation) के बीच एक सही संतुलन बनाना अत्यंत आवश्यक है। जैसे आँखें खुलती हैं और फिर आराम करने के लिए बंद हो जाती हैं, वैसे ही हमारे शरीर के हर हिस्से को भी एक बार सक्रियता और फिर विश्राम की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया हमारे जीवन के संतुलन को बनाए रखने का स्वाभाविक नियम है।
अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में तनाव को अधिक महत्व देता है और विश्राम को अनदेखा करता है, तो उसका मन और शरीर दोनों संतुलन खोने लगते हैं। ऐसा व्यक्ति न केवल असंतोष से घिरा रहता है, बल्कि धीरे-धीरे अपने भीतर दुख और तनाव को बढ़ावा देता है। इसका सीधा अर्थ यह है कि वह अपने जीवन में खुशी और शांति का अनुभव नहीं कर पाता।
तनाव और विश्राम का महत्व
तनाव और विश्राम के बीच सही तालमेल न केवल मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी अनिवार्य है। हर एक कार्य के बाद विश्राम लेना, और हर विश्राम के बाद सही ढंग से कार्य करना, जीवन को संतुलित और सुखद बनाता है। यही संतुलन हमें खुशहाल और संतुष्ट जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
गुरुकुल प्रणाली की भूमिका
प्राचीन काल में इस संतुलन को सिखाने के लिए गुरुकुल व्यवस्था का विशेष महत्व था। गुरुकुल में रहने का उद्देश्य केवल विद्या अर्जित करना नहीं था, बल्कि अपने भीतर के सत्य को समझना और जीवन के गहरे अर्थ को आत्मसात करना था। गुरु के पास जाने का उद्देश्य केवल उनके विचार सुनना नहीं, बल्कि अपने जीवन की समस्याओं को समझने और उनके समाधान के मार्ग को स्पष्ट करना था।
गुरु से बार-बार संवाद करना और उनकी सलाह को जीवन में उतारना, यह आत्म-विकास का सबसे सशक्त माध्यम था। गुरु से प्राप्त मार्गदर्शन जीवन में सही दिशा और सही संतुलन को स्थापित करने में सहायक होता था।
आधुनिक जीवन में गुरु की आवश्यकता
आज के समय में, जहाँ तनाव और भागदौड़ से भरा जीवन हर किसी पर हावी है, गुरु की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। अपने विचारों, भावनाओं और समस्याओं को किसी अनुभवी व्यक्ति के साथ साझा करना और उनकी सलाह के आधार पर अपने जीवन को संतुलित करना आज भी उतना ही आवश्यक है जितना प्राचीन काल में था।
इसलिए, चाहे आधुनिक जीवन हो या प्राचीन काल, तनाव और विश्राम के संतुलन को समझना और आत्म-मंथन के लिए गुरु का मार्गदर्शन लेना, जीवन को सुकून और खुशी से भरने का सबसे अच्छा तरीका है। जब हम स्वयं को समझने की ओर कदम बढ़ाते हैं, तो जीवन अपने आप सहज और संतुलित हो जाता है।
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