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थकान के समय भोजन करने से गैस्ट्रिक रोग

1 year ago By Yogi Anoop

थकान के समय भोजन करने से गैस्ट्रिक रोग.

       योग का एक नियम है कि जब भी शरीर और मन थका हुआ हो तो उस समय भोजन नहीं करना चाहिए । थकान के समय किसी भी प्रकार का भोजन चाहे वो सात्विक हो या राजसिक हो या तामसिक हो, वर्जित है । क्योंकि उसका पाचन ठीक प्रकार से नहीं हो सकता हैं । सात्विक लोग थकान के समय बहुत मीठा खाते हैं जैसे रसगुल्ले व चॉकलेट इत्यादि । और राजसिक तथा तामसिक व्यक्ति के लोग Alcohol का उपयोग बहुत अधिक करते हैं । 

राजसिक प्रकृति के लोग थकान के बाद शराब , ड्रग एवं nonveg इत्यादि बहुत अधिक मात्रा में करते हैं । और तामसिक प्रकृति के व्यक्ति भी शराब ईवा ड्रग इत्यादि पदार्थों का सेवन करते हैं किंतु वे इसकी इतनी अति करते हैं जिससे वे अपने उद्देश्य को ही भूल जाते हैं । किंतु राजसिक प्रकृति के व्यक्ति कितना ही शराब इत्यादि का सेवन करे किंतु अपने लक्ष्य को नहीं भूलता है । 

इन सारी परिस्थितियों में व्यक्ति के अंदर वायु का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है । मेरे अपने अनुभव में मन के थकान के बाद यदि किसी मीठे का सेवन किया जा रहा है तो वह सबसे अधिक ख़तरनाक साबित होता है । शारीरिक थकान के बाद मीठे का लेना स्वाभाविक है , उसका नुक़सान नहीं होगा । इसका उदाहरण मैं अपने पिता को मानता हूँ । मेरे पिता सभी प्रकार के मीठे का सेवन करते थे किंतु मानसिक तनाव नहीं रखते थे । इसीलिए उनके अंदर सुगर का फ़ास्टिंग लेवल कभी भी 80 के ऊपर नहीं गया । 


     मेरे अपने अनुभवों में थकान के समय ये सारे भोजन जो भी लिए जाते हैं तो उसका पाचन, लिवर ठीक ढंग से नहीं कर पाता और इसके कारण गैस जबर्दस्त बनती है । इसीलिए थकान के समय भोजन करने की सलाह नहीं दी जाती है । दस वर्ष पूर्व मैंने इस पर बड़ी गम्भीरता पूर्वक प्रयोग किया था जिसमें दिन भर शारीरिक और मानसिक रूप से ख़ूब थकता था और उसके तुरंत खाना खाता था और इसको मैंने लगभग एक महीना किया और परिणाम ये हुआ गैस्ट्रिक का लेवल बहुत अधिक बढ़ गया । और फिर इसके बाद मैंने थकान के बाद relaxation व कुछ ऐसे प्राणायाम किए जिससे प्राण की अब्ज़ॉर्प्शन हो , जिससे मन मस्तिष्क शांत हो जाता था, वैचारिक ठहराव आ जाता था, उसके बाद गैस्ट्रिक में 50 से 60 फ़ीसदी आराम मिला । 

    

    विशेश करके जब मन और शरीर बहुत थका होता है तब मस्तिष्क को दो तत्व की सबसे अधिक आवश्यकता होती एक शुगर और फ़ैट और दूसरा नींद । शुगर और फ़ैट लेने के बाद ही गहरी नींद आती है । 

इसमें ज़्यादातर लोग रात में कोल्ड ड्रिंक , शराब , मीट , इत्यादि पदार्थों का सेवन करते हैं जो गैस्ट्रिक को कुछ और ही बढ़ा देता है और यही कारण है कि अच्छी  नींद आने की बजाय नींद चली जाती है । तो कहने का मूल अर्थ है कि वायु तब अधिक बनती है जब थकान के समय भोजन कर लिया ज़ाय, और भोजन में भी ऐसा भोजन जो लिवर को agrivate कर देता है , irritate कर देता है । 

मेरा अनुभव कहता है लिवर का पाचन सबसे अधिक उस समय होता है जब मस्तिष्क आराम की मुद्रा में होता है । मन और मस्तिष्क की थकान थोड़ा कम होने पर लिवर अच्छी तरह से काम करने की क्षमता रखता है । 

इसीलिए जब भी आप उस शरीर और मन से थके हों उस समय भोजन तुरंत न करके थोड़ा सा कुछ एक प्राणायाम कर लें । और कोई घंटा भर  करने की आवश्यकता नहीं है 5 से से 7 मिनट मात्र । 

इससे मन और मस्तिष्क को आराम मिल जाता है । और फिर आपका लिवर शांत हो जाता है फिर उसके बाद उसे भोजन दो गैस नहीं उत्पन्न होगी।

अब सबसे बड़ी समस्या है कि प्राणायाम कौन सा करे क्योंकि कपालभाति, अग्निसार नौली, अनुलोम-विलोम इत्यादि के अलावा तो प्राणायाम के नाम से कुछ जानते नहीं । तो मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि मात्र गहरी श्वास भी 11 मिनट कर लिया ज़ाय तो आप का बहुत  कुछ नियंत्रित हो जाएगा ।


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