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स्वयं की हीलिंग

2 years ago By Yogi Anoop

स्वयं के मस्तिष्क की हीलिंग 

मस्तिष्क में असंख्य प्रकार की कोशिकाएँ है और उनको पाँच इंद्रियों के माध्यम से भिन्न भिन्न प्रकार की संवेदनाएँ दी जाती हैं जिससे उनके अंदर हीलिंग प्रारम्भ होती है । जैसे उदाहरण के रूप में स्वाद ग्रंथियों में भी अनंत स्वाद हैं, प्रत्येक भोजन का अपना भिन्न स्वाद है जो मस्तिष्क में एक विशेष प्रकार की संवेदनाओं को पैदा करता है, जिससे अंतरतम को संतुष्टि मिलती है । यद्यपि आयुर्वैदिक ऋषियों ने सामान्य भाषा में 5 स्वाद को इंगित किया किंतु जिह्वा के पास वे सभी अनंत स्वाद हैं जो इस पूरे प्रकृति के अंदर वस्तुओं में मौजूद है । 


इसी प्रकार भिन्न भिन्न तरह की ध्वनि कानों के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुँचती है । उससे मस्तिष्क की कोशिकाओं में अधिक तरंगे पैदा होती है । वे सभी तरेंगे अपनी गति से मस्तिष्क की हीलिंग करती हैं । 

ध्यान देने योग्य बातें हैं कि जब मस्तिष्क का कोई एक हिस्सा संतुष्टि के अधिकतम स्तर पर पहुँचता है तब वह अन्य असंतुष्ट हिस्सों को हील करने लगता है । अंतरतम इतना अधिक संतुष्ट रहता है कि मस्तिष्क के अन्य असंतुष्ट हिस्से विद्रोह का सिर उठा ही नहीं पाते है । वे स्वयं को खुश करना शुरू कर देते हैं । यद्यपि वह उनका मूल भोजन नह होता है किंतु फिर भी 

मस्तिष्क में एक समूह के खुश होने पर दूसरा असंतुष्ट समूह भी सकारात्मक रूप में प्रभावित होने लगता है । 


यहाँ पर ध्यान के माध्यम से मस्तिष्क की हीलिंग की बात करना चाहूँगा । यह एक ऐसा मार्ग है जिसमें वह इंद्रियों व विचारों के माध्यम से मस्तिष्क में नहीं पहुँचता, बल्कि वह विचार को समाप्त करके मस्तिष्क में पहुँचता है । 

ध्यान विज्ञान कहता है जब विचार समाप्त हो जाते हैं तब मस्तिष्क की प्रत्येक कोशिकाएँ स्वतः ही स्वयं को रीचार्ज करने लगती हैं । विचारों के द्वारा हीलिंग से कई गुना अधिक मस्तिष्क की हीलिंग निर्विचार से होती है । चूँकि मस्तिष्क सबसे अधिक पीड़ित विचारों से होता है इसलिए , मस्तिष्क सबसे अधिक थकता है विचारों से , इसलिए यदि उस मस्तिष्क को थोड़े समय के लिए विचारों से रहित कर दिया जाए तो उसकी हीलिंग सबसे अधिक हो जाएगी । 


कुछ प्रमुख तत्व -


  • जीवन में अपने प्रफ़ेशन के अतिरिक्त किसी एक कला का अभ्यास करना चाहिए जिससे मन मस्तिष्क को गहन शांति मिल सके । 


  • रीढ़ का अभ्यास करना बहुत आवश्यक है , क्योंकि रीढ़ के अभ्यास से मस्तिष्क के सूक्ष्म हिस्सों तक पहुँचा जा सकता है । मस्तिष्क से शरीर तक और शरीर से मस्तिष्क तक समस्त तंत्रिका तंत्र का जाल इस रीढ़ से ही गुजरता है , यदि इस रीढ़ से सम्बंधित भिन्न भिन्न आसनों के अभ्यास से उनके जोड़ों के मध्य प्राण ऊर्जा को अधिक धारदार बना दिया जाए तो मस्तिष्क के कई हिस्सों तक आसानी से पहुँचा जा सकता है । मेरे अपने अनुभव में व्यक्ति नौकरी और पारिवारिक दायित्वों इत्यादि इतना उलझ जाता है कि स्वयं के शारीरिक जोड़ों के बीच बहुत अधिक स्टिफ़्नेस पैदा हो जाती है जिससे प्राण ऊर्जा के संचार में बहुत बाधाएँ आने लगती हैं । यदि रीढ़ के हिस्से को लचीला बना दिया जाए तो मस्तिष्क के अंदर निहित तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण अधिक लाया जा सकता है । जिससे मस्तिष्क को विचार रहित किया सकता है । मस्तिष्क के अंतरतम में सूक्षतमा से अनुभव करने पर विचार रहित अवस्था आ जाती है । मैं इसका अभ्यास सही निर्देशन में ही करने की सलाह देता हूँ ।


  • व्यक्ति दायित्वों में इतना उलझ जाता है कि यह कहावत “साँस लेने तक की फ़ुरसत नहीं होती है”  सही साबित होने लगती है । सत्य यह है उसके मस्तिष्क में ऑक्सिजन की निरंतर कमी होने लगती है , उसका तनाव ही इसका मूल कारण होता है । इसलिए एक सामान्य से सामान्य व्यक्ति को भी प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए जिससे उसके मस्तिष्क में उन तरंगों का विकास अधिक हो जो मस्तिष्क को और अनुभवी बनाए । रक्त के अंदर ऑक्सिजन के लेवल को बाधा देने से विचार रहित अवस्था को प्राप्त करने में आसानी हो जाती है । 


  • ज़्यादातर लोग तनाव व चिंता में सिगरेट पीते हैं, बजाय कि उस हवा को पीने के ऑक्सिजन को पीने की आदत डालना चाहिए जो मस्तिष्क को गहराई से शांति दे सकते । चूँकि सामान्य लोगों का ध्यान उस महँगी वस्तु पर होती है जो धन से ही ख़रीदी जाती है । ऑक्सिजन फ़्री है इसलिए उसका कोई महत्व नहीं । किंतु इसी का महत्व जिस दिन समझ में आया मस्तिष्क की हीलिंग सबसे अधिक हो जाती है । 


  • नौकरी और शादी के बाद व्यक्ति को ज्ञानात्मक व्यवहार की तरफ़ उन्मुख होना चाहिए । इससे मन मस्तिष्क पर विचारों और भावनाओं के अनावश्यक भार को हटाया जा सकता है । यद्यपि हर प्रकार के विचारों को महत्व देना चाहिए जिससे मस्तिष्क का प्रबंधन बढ़े । जब हर एक प्रकार के विचारों को मस्तिष्क में प्रश्रय देते हो तो इसका अर्थ है कि उसके प्रति आपको डर नहीं है , आप उससे अधिक प्रबंधन स्थापित करके विचार रहित आसानी से हो सकते हैं ।


  • शरीर में मांसपेशियों का कोई न कोई अभ्यास होना ही चाहिए । जैसे टहलना इत्यादि । आ शरीर में अनावश्यक तनाव को कम करके मस्तिष्क को आराम देता है । 



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