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सुनने की क्षमता की कमी; धैर्य और एकाग्रता की कमी

1 year ago By Yogi Anoop

सुनने की क्षमता की कमी; धैर्य और एकाग्रता की कमी

बहुत सारे लोगों को यह शिकायत होती है कि मेरे लेक्चर में बोलने की गति इतनी धीरे धीरे होती है कि हम ऊबने लगते हैं । उसे फ़ास्ट फॉरवर्ड करके देखना पड़ता है ।  यदि ऐसे लोगों के स्वभाव पर गहन अध्य्यन किया जाय तो यह ज्ञात होता है कि मेरे लेक्चर को सुनने के साथ साथ उनके दिमाग़ के अंदर बहुत सारे विचारों का अंबर चल रहा होता है । 

मैं बातें किसी विषय पर कर रहा हूँ और सुनने वाले के दिमाग़ में विषय को समझने की नहीं बल्कि उसके समाधान को प्राप्त करने की जल्दी मची है । संभवतः इसीलिए वह उस लेक्चर वाली वीडियो को फ़ास्ट फॉरवर्ड करके देखने लगता है । 

इसका अर्थ है उसका मस्तिष्क समस्या व किसी विषय को समझने का प्रयास न करने के बजाय उसके परिणाम को बहुत जल्द पाना चाहता है । इसका अर्थ यह भी है कि उसके मन में धैर्य का अभाव है जिससे उसको इंद्रियों में सुनने की क्षमता कम हो गई है । 


कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी को सुनने के पहले ही स्वयं के विचारों को उच्च मान बैठते हैं जिसके कारण  किसी को भी सुनने के दौरान पूरी तरह से समझ पाना आसान नहीं होता है । इस प्रकार के लोगों को ऐसा कहा जाता है कि किसी को सुनने के पहले स्वयं  को ख़ाली करो । तभी तो दूसरे की बातें अंदर जायेंगी । 

मैं कहता हूँ कि स्वयं को ख़ाली करने के बजे सिर उसे समझने का प्रयास तो करो कि वह वास्तव में कहना क्या चाहता है । यदि ऐसा नहीं हो आ रहा है तो इसे एकाग्रता की ही कमी कहा जाएगा । 

अर्थात् किसी भी विषय में लंबे समय तक न टिके रह पाने की कमी समझने का अभाव देती है । इसीलिए इस प्रकार के लोगों को एंजाइटी वि डिप्रेशन होता है । क्योंकि मन को तो गहराई में जाना ही ही है । यदि वह सीधी तरह से ना गया तो उल्टी तरफ़ से जाएगा । अनावश्यक ही बाल की खाल निकालना शुरू कर देगा । इसे ही एंजाइटी कहते हैं । मन को विषय तह तक जाने के बाद ही शांति व चैन मिलता है । मन , अमन की अवस्था में तभी आ सकता है जब वह किसी भी विषय के तह तक जायेगा अन्यथा उसे दुख के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं मिलेगा । 

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