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सुबह उठते ही सबसे पहले क्या करना चाहिये ?

1 year ago By Yogi Anoop

सुबह उठते ही सबसे पहले क्या करना चाहिये ? 

उठते ही सबसे पहले आँखों को बंद करके परमात्मा को याद करती हैं , और बिस्तर से उठक पैरों को ज़मीन पर रखने से पहले हाथों से छू कर प्रणाम करती हैं । यह कहते ह्यूज कि आप मेरी माँ हैं और आप पैरों से चलते हैं कितने ही जीवों को अनजाने में मेरे पैरों के द्वारा मरते हैं । इसीलिए मुझे माफ़ करना । 

ऐसा मैं बचपन से ही अपनी माँ को प्रतिदिन करते हुए देखते आया हूँ । कहने का मूल अर्थ है कि जिस प्रकृति ने जो कुछ भी दिया है उसको धन्यवाद करना आवश्यक समझती हैं और अप्रत्यक्ष रूप से उनके माध्यम से जो भी गलती हिट है उसे क्षमा भी करें । 

यह सोच बहुत अहिंसात्मक होने के साथ साथ परमात्मा और प्रकृति के प्रति बहुत ही अच्छी है । -


मैं अपनी डायग्नोसिस में प्रत्येक शिष्यों से यह प्रश्न अवश्य करता हूँ कि वह सुबह उठते ही सबसे पहला कार्य क्या करता है जिसमें से कइयों का उत्तर मेरी माँ की ही तरह का लगभग होता है । 

कुछ का भिन्न भी होता है जैसे उठते ही सबसे पहले पानी पीना है, सोचते हैं । कुछ उठते ही थायरॉइड की दवा लेने के बारे में सोच लेते हैं । 

कुछ सोचते हैं कि अभी भी थकान है , थोड़ा और सो लेते हैं । 

कुछ सोचते हैं कि फिर वही पागलपन की दौड़ में अभी जाना है । 

कुछ सोचते हैं कि क्या क्या ख़ाना है नाश्ते में । 

कुछ सोचते हैं कि जुड़ती को कैसे चलाना है , प्लानिंग में कार्य करना शुरू कर देते हैं । 


उपर्युक्त सभी उत्तरों में एक बात तो सभी में है कि सभी सोचते हैं । कोई ऐसा नहीं है कि कुछ ना सोचता हो । मेरे द्वारा इसी प्रश्न को बेटे से किए जाने पर उसने कहा कि मैं कुछ भी नहीं सोच हूँ । सोचने का प्रयास करता हूँ किंतु कुछ भी नहीं सोच पाता हूँ ।

इसका अर्थ है कि उसे गहरी नींद इतनी अधिक आती है कि सुबह उठने पर उसका मन थोड़े समय के लिए लगभग फ्रीज़ रहता है । उसका मन ऐक्टिव नहीं हो पाता है , उसकी इंद्रियाँ सक्रिय नहीं हो पाती हैं । यहाँ तक कि लगभग 30 से 40 मिनट तक वह बिलकुल चुप-चाप शांत बैठा रहता है । इसका अर्थ यह भी है कि उसकी इंद्रियाँ भी लगभग ढीली और शांत रहती हैं । 


अभी उसकी उम्र सिर 13 वर्ष है , किंतु धीरे धीरे बड़े होने पर उसका मन धीरे धीरे सोचने के लिये ट्रेन हो जाएगा और उसकी नींद की गहराई कम होती जाएगी । और उसके उठते ही फिर वह कुछ ना कुछ सोचने में स्वयं को व्यस्त पाएगा । यदि वह धार्मिकता व आध्यात्मिकता की और जायेगा तो मेरी माँ की तरह कुछ ना कुछ करेगा अन्यथा वही भागमभाग करता रहेगा । 


एक उदाहरण से माइन इसे समझने का प्रयत्न करता हूँ कि सुबह उठते ही आख़िर क्या 

सूचना चाहिए । भोजन करने के बाद कम से कम 3 से 4 घंटे तक आपको भोजन से तृप्ति का अनुभव होता रहता है । मन भोजन की तरफ़ नहीं जाता है । आप का मन भोजन से तृप्ति का अनुभव करता है । कहने का रथ है कि भोजन के बाद आपको भोजन से संबंधित तृप्ति हो जाती है । 

कुछ वैसे ही जब आप रात भर गहरी नींद लड़कर उठते हैं तो आपको सुबह उठते ही नींद से प्राप्त शांति की तृप्ति का अनुभव होना चाहिये । चूँकि गहरी नींद में विचार इतने शून्य हो गये कि सुबह उठने पर उसकी शांति का अनुभव होने लगता है । अर्थात् सुबह उठते ही स्वयं का अनुभव होता है । बजे कि कोई एनी विचार पैदा हों उसे नींद से प्राप्त शांति और स्थिरता का अनुभव होना चाहिए । 

यदि उसे गहरी नींद नहीं आयी तो अवश्य ही उठते ही उसे अच्छा नहीं लगेगा । और वह स्वाभाविक तौर पर असंतुष्ट होगा , अतृप्त होगा । उठते ही तुरत ही विचारशील हो जाएगा । और यदि वह धार्मिक है तो भी भिन्न तरीक़ों से स्वयं की शांति के लिये प्रार्थना इत्यादि करने का प्रयत्न करेगा । और यदि वह धार्मिक नहीं है तो वह मानसिक तनाव और अवसाद का ही अनुभव करेगा । 


अंत में निष्कर्ष यही निकलता है कि सुबह उठते ही यदि स्वयं का ही अनुभव होना चाहिए और यदि नहीं रहा है तो उसी अनुभव को लाने का ध्यान योग व प्राणायाम इत्यादि करने का प्रयत्न करना चाहिए ।

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