सोने के पहले Masturbation व सेक्स की आदत
सामान्यतः रात में शरीर और दिमाग़ स्वयं को ढीला करने के लिए स्वतः प्रयत्न करने लगता है, किंतु व्यक्ति की दैनिक बेढंगी दिनचर्या के कारण रात में भी उसका मन मस्तिष्क ओवर ऐक्टिव हुआ रहता है । इस समय मन स्मृतियों में जाने बचता है क्योंकि स्मृतियों में और उलझन पैदा होती है , उस उलझन से नसें नाड़ियों में खिंचाव की सम्भावना बढ़ जाती है । परिणाम स्वरूप मन स्वयं तथा अपने इंद्रियों को ढीला शांत करने के लिए फ़ैंटसी का निर्माण शुरू करता है , और उस फ़ैंटसी में एक लड़की, लड़के को लाती है और एक लड़का, लड़की को लाता है । यदि इस फ़ैंटसी से मन और इंद्रियाँ ढीली और शांत हो जाती हैं तो वह देह को भुल जाएगा अर्थात् गहरी निद्रा में चला जाएगा किंतु ऐसा बहुत कम होता देखा जाता ।
एक युवा के लिए मन को शांत करने के लिए सेक्शूअल फ़ैंटसी का निर्माण करना एक मजबूरी से बन जाती है । और यहीं से उसका मन वीर्य स्खलन करने के लिए बेचैन हो जाता है ।
क्योंकि वह अभी युवा है और उसके अंदर ऐंद्रिक विकास चरम पर है और उसका मानसिक परिश्रम (स्मृति बढ़ाने पर ज़ोर) ज़ोरों पर है , विज़ूअल और शब्दों की स्मृति भी बढ़ाने पर ज़ोर देता है जिसके कारण मस्तिष्क और सेक्शूअल इंद्रियों पर प्रभाव भी पड़ता है । दिमाग़ में उथल -पुथल मचान स्वाभाविक भी है ।
रात आते आते वह मन और इंद्रियों को शांत और ढीला करने के बजाय और चरम पर उत्तेजित कर देता जब कि आध्यात्मिक दृष्टि रात में इंद्रियों को ढीला करके प्रातः काल में उठाकर स्मृति और बुद्धि पर कार्य किया जाता है ।
कारण यही है सोने के पहले तक मन और इंद्रियों में इतनी तीव्रता होती है कि उसको शिथिल करने के लिए केवल एक उपाय बचता है वीर्य स्खलन ।
और एक अविवाहित युवा के लिए वीर्य स्खलन का उपाय केवल मैस्टर्बेशन ही बचता है ।
यद्यपि इसके पूर्व वह स्वयं के मन को शांत करने के बहुत सारे असफल उपाय करता है
जैसे
* alcohol अर्थात् फ़र्मेंटेड शुगर का लेना
* non-veg दबा कर लेना अर्थात् फ़ैट और प्रोटीन की अधिकता करना
* शुगर की मात्रा बढ़ा देना । जिसमें चोक्लेट, कोल्ड ड्रिंक्स इत्यादि
* खूब स्क्रीन देखना ।
किंतु इन सभी Killer तरीक़ों में से जब उसे शांति नहीं मिल पाती और नींद आने में सहायक नहीं हो पाता है, उत्तेजित मन और खिंचाव से भारी नसें ढीली शांत नहीं हो पाती है तब मन को शांत और नींद में जाने के लिए केवल और केवल वीर्य स्खलन (मैस्टर्बेशन) ही एक अंतिम उपाय बचता है ।
यहीं से मैस्टर्बेशन की का सहारा लेना शुरू करता जो कुछ महीनों और वर्षों के बाद एक अडिक्शन रूप में दिखने लगता है । अंत में मन और शरीर ढीला और शांत होने के बजाय और कमजोर होने लगता है ।
कैसे नियंत्रित करें -
1- बजाय कि रात अधिक देर तक कार्य करने के , प्रातः उठ कर पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए ।
2- रात में अति भोजन न करें और जल्दी भोजन करने के साथ साथ , सोने के पहले प्राणायाम और ध्यान अवश्य करें जिससे मस्तिष्क को ढीला किया जा सके ।
3- सोने के पहले बिस्तर पर अपनी मांसपेशियों को ढीला करने की टेक्नीक सीखनी चाहिए । चूँकि सोने के पहले कुछ मन के पास कुछ कार्य करने को नहीं है तो उसे मैस्टर्बेशन ही करना पड़ता है । जब मन अपनी मांसपेशियों को ढीली करके अनुभव करने लगता है तब उसे मैस्टर्बेशन की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।
4- मैस्टर्बेशन करने वालों के स्वभाव में कल्पनिकता बहुत होती है , रात में मन की उड़ान अधिक होने के कारण मन शांत हो जाता है । इसी कारण उनका मन शांति ढूँढता है जिससे रात में मैस्टर्बेशन करने के लिए मजबूर हो जाता है । इस अवस्था में उसे मन को आकाश में स्थिर करने का अभ्यास भी करना चाहिए ।
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