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सोने का सही तरीका

1 month ago By Yogi Anoop

सोने के सही तरीके से रोगों से बचा जा सकता है : योगी अनूप और शिष्य के बीच संवाद

शिष्य: गुरुजी, सही सोने का तरीका क्या है? क्या कोई विशेष पोज़िशन होती है जो हमारे शरीर और मस्तिष्क के लिए सबसे अच्छी हो?

योगी अनूप: बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है। सही सोने का तरीका न केवल हमारे शरीर को आराम देता है, बल्कि यह हमारे मस्तिष्क और ऊर्जा को पुनर्जीवित भी करता है। मेरे अनुभव में, सोने की सबसे उत्तम स्थिति और पोज़िशन पीठ के बल ही होनी चाहिए।

वह इसलिए क्योंकि पीठ के बल सोने से मस्तिष्क के पिछले हिस्से तथा रीढ़ के पूरे हिस्से में रक्त और ऑक्सीजन का संचार बहुत अच्छी और सम्यक ढंग से होता है। इस साम्यता से मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को सर्वाधिक शांति मिलती है। चूँकि दिन में रीढ़ और मस्तिष्क में रक्त और ऑक्सीजन का संचार नासमझी रूप से बाधित होता रहता है। और जब सीधा पीठ के बल लेटते हैं तब इस संचार प्रणाली में बहुत गहराई से विकास होता है।

यदि एक अन्य दृष्टिकोण से देखें, तो सीधा लेटने में रक्त का बहाव रीढ़ और मस्तिष्क के पिछले हिस्से में होने से शरीर के ऊपरी हिस्से में रक्त कम हो जाता है। जैसे सिर के बल शीर्षासन और सर्वांगासन करने पर रक्त का बहाव सिर की तरफ़ बढ़ जाता है और साथ-साथ शरीर के निचले धड़ और हिस्से (पैर और कमर) में रक्त की कमी हो जाती है। थोड़े ही समय के बाद जब शरीर को सामान्य अवस्था में लाया जाता है, तब रक्त पुनः उन धड़ों में प्रवेश कर जाता है। इस प्रक्रिया को मैं रक्त शोधन की क्रिया मानता हूँ।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस पोज़िशन में कोई अंग दबाव में नहीं आता, जिससे वह पूरी तरह से आराम करता है। चूँकि शरीर का पिछला हिस्सा अर्थात पीठ का हिस्सा सबसे अधिक मज़बूत होता है, तो उस पोज़िशन में अधिक देर तक लेटने पर शरीर के उसी हिस्से को सबसे अधिक ऊर्जा भी मिल जाती है। पीठ के हिस्से में रीढ़ स्थित है और वह रीढ़ ही मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्सों के मध्य संबंध स्थापित करती है। यह संबंध तभी अच्छी तरह से स्थापित हो सकता है जब रीढ़ के अंदर रक्त और ऑक्सीजन का संचार उपयुक्त ढंग से कुछ समय के लिए किया जाए। यह उपयुक्त समय सिर्फ़ और सिर्फ़ सीधा पीठ के बल लेटने पर ही संभव हो सकता है।

शिष्य: गुरुजी, लेकिन कई लोग करवट लेकर सोते हैं या पेट के बल सोते हैं। यह सही है या नहीं?

योगी अनूप: करवट लेकर सोना कुछ परिस्थितियों में ठीक हो सकता है, लेकिन पेट के बल सोना किसी भी दृष्टिकोण से उपयुक्त नहीं माना जाता।

वह इसलिए कि पेट के बल सोने से शरीर के सामने वाले सभी हिस्सों पर अनावश्यक दबाव बढ़ता है। यहाँ तक कि मस्तिष्क के अगले हिस्से में भी दबाव बढ़ता हुआ दिखता है। ध्यान दें, इस पोज़िशन में पेट और छाती पर दबाव के बढ़ने के साथ-साथ रीढ़ में रक्त के संचार में अत्यंत कमी देखी जाती है। इससे रीढ़ के अंदर उन सभी प्रमुख न्यूरॉन्स में ऊर्जा का प्रचार और प्रसार स्वाभाविक रूप से नहीं हो पाता है। यहाँ तक कि पेट के बल सोने पर साँसों में नियमितता भी नहीं रह पाती है, जिसके कारण नींद की गहराई और मात्रा नहीं बढ़ती है। परिणामस्वरूप, सुबह पूरी नींद न होने पर उठने का मन नहीं करता।

यदि आपको करवट लेकर सोना है, तो दाहिनी करवट सोना बेहतर है। यह मस्तिष्क और शरीर के दाहिने हिस्से में ऑक्सीजन और रक्त की आपूर्ति अधिक करता है। इसके कारण कुछ समय तक शरीर के बाएँ हिस्से में रक्त और ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे इड़ा नाड़ी के सक्रिय होने की संभावनाएँ बहुत अधिक बढ़ जाती हैं। यह गहन निद्रा में ले जाती है और साथ ही हीलिंग भी अच्छी तरह से कर देती है।

शिष्य: गुरुजी, नींद की आदर्श अवधि क्या होनी चाहिए?

योगी अनूप: एक स्वस्थ जीवन के लिए 5-7 घंटे की गहरी और शांतिपूर्ण नींद आवश्यक है। मेरे अनुभव अनुसार, यदि आप पीठ के बल सोते हैं और अपनी नींद की गुणवत्ता में सुधार करते हैं, तो 5 घंटे की नींद भी पर्याप्त हो सकती है।

ध्यान दें, नींद की गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है, मात्रा नहीं। यदि नींद की गुणवत्ता कम होती है तो नींद की मात्रा अधिक हो जाती है, और यदि नींद की गुणवत्ता बढ़ती है तो नींद की मात्रा स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है।

शिष्य: गुरुजी, यदि कोई सही पोज़िशन में नहीं सोता, तो इसका क्या प्रभाव हो सकता है?

योगी अनूप: यदि आप गलत पोज़िशन में सोते हैं, तो इसका प्रभाव आपके शरीर और मस्तिष्क पर नकारात्मक हो सकता है। नींद से संतुष्टि नहीं प्राप्त होती। गैस्ट्रिक व वायु बढ़ने लगती है। सिर में भारीपन, शरीर में भारीपन, भोजन की मात्रा का बढ़ना स्वाभाविक हो जाता है। भोजन में तीखापन और मीठापन की मात्रा बढ़ जाती है।

सबसे ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि व्यक्ति के अंदर आत्मसंतोष बहुत कम हो जाता है, जिसके कारण उसके अंदर कहीं ना कहीं यौन कुंठा (सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन) बढ़ता हुआ दिखता है।

मैं हमेशा से नींद को अप्रत्यक्ष रूप से ध्यान मानता हूँ।

शिष्य: गुरुजी, सही नींद के लिए और क्या ध्यान रखना चाहिए?

योगी अनूप: सही नींद के लिए विशेष रूप से रात को शरीर और मस्तिष्क की मांसपेशियों को ढीला करने और विश्राम देने की किसी न किसी कला को विकसित करना होगा। उस विश्राम को प्राप्त करने के लिए न केवल भोजन रात में जल्दी करना चाहिए बल्कि कुछ योग और प्राणायाम का भी सहयोग लेना चाहिए, जिससे मस्तिष्क की मांसपेशियों को आराम मिल सके।

बिस्तर पर लेटते ही आपका ध्यान विचारों के इधर-उधर भागने की ओर जाता है। उसे शांत करने के लिए आपको उसी अवस्था में कुछ ऐसे प्राणायाम करने चाहिए, जिससे मस्तिष्क और इंद्रियों को विश्राम मिल जाए और विचारों की भागदौड़ समाप्त हो जाए। इसके बाद मन का शरीर से संपर्क टूट जाएगा और गहरी नींद मस्तिष्क को मिल सकेगी।

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