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श्वास-प्रश्वास की गति में विच्छेद

3 years ago By Yogi Anoop

श्वास-प्रश्वास की गति में विच्छेद 


श्वास प्रस्वास की स्वाभाविक गति मे विच्छेद को ही प्राणायाम कहा जाता है । श्वांश  के विस्तार व संकुचन की इस क्रिया से रक्त सचांर जैसे अनेक शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं । 

प्राणायाम की प्रक्रिया 

प्राणायाम में तीन स्थितियाँ देखी जाती हैं - रेचक, पूरक और कुम्भक (वाहय वृत्ति, आभ्यान्तर वृत्ति और स्तम्भ वृत्ति) कहते हैं । इन्ही तीनों प्रक्रिया मे हेर-फेर व परिवर्तन करके श्वाश पर नियन्त्रण किया जाता है । साधकों को श्वाश पर नियन्त्रण का तात्पर्य यह कतई नही लेना चाहिये कि श्वाश को हमेशा के लिये रोक देना । श्वाश पर नियन्त्रण का अभिप्राय सिर्फ इतना है कि पूरक, रेचक और कुम्भक तीनो मे परिवर्तन लाना । इस प्रकार के अभ्यासों से अधिकाधिक लाभ प्राप्त किया जा सकताा है।  

 

रेचक:

रेचक का अर्थ श्वाश को वैज्ञानिक पूर्वक बाहर निकालना होता है । श्वाश को धीरे धीरे आराम से ही बाहर निकालना है । प्रारम्भ में अभ्यास करने वाले साधक को रेचन अर्थात् साँसों को बाहर निकालने जैसी क्रिया सबसे पहले करनी चाहिये, उसका कारण है कि रेचन की क्रिया करने से शरीर को कार्बन से रहित कर दिया जाता है । अर्थात नाड़ियों का मल कम हो जाता है जिससे चित्त शांत हो जाता है । यद्वपि सभी क्रियायों को किसी योग्य शिक्षक के नेतृत्व मे ही करना चाहिये अन्यथा लाभ की बजाय हानि अधिक हो सकती है । 


पूरक: 

 अन्दर लेने वाली साँसों को ‘पूरक’ कहते हैं । यद्वपि रेचक पूरक कुम्भक स्वाभाविक गति से चलता रहता है किन्तु जब इनमे इक्षा शक्ति लगाकर परिर्वन लाने से मानसिक एवं शारीरिक लााभ मिलता है । पूरक की क्रिया से शरीर और मश्तिष्क में ऑक्सिजन शीघ्रता से अंदर डाल दिया जाता है । 

सामान्यतः मानसिक क्लेशों के दौरान मस्तिष्क के अंदर प्राणवायु की कमी हो जाती  है । इस अवस्था में व्यक्ति प्राणायाम मस्तिष्क में होने वाली क्षति होने नहीं देता है । 


कुम्भक: 

रेचक और पूरक मे दक्षता हासिल करने के बाद साधक को कुम्भक की क्रिया प्रारम्भ कर देनी चाहिये ताकि रक्त संचार में,  नाड़ी शुद्धि के माध्यम से  हृदय की शक्ति मे अपार वृद्धि हो जाय । इससे चित्त को शांति मिल जाती है । इस प्रकार के प्राणायाम किसी योग्य अनुभवी शिक्षक के निर्देशन में ही किया जाना चाहिए । अन्यथा लाभ के बजाय हानि अधिक हो सकती है । 


प्राणायाम से लाभ: 

भिन्न भिन्न प्राणायाम शरीर के अनेक सूक्ष्म अंगों को प्रभावित करते हैं, जिससे मस्तिष्क का संचालन बेहतर ढंग से होता है । शरीर और मस्तिष्क का संचालन ठीक होने से मन के अंदर विचारों का असंतुलन कम हो जाता है । इसके बाद ही ज्ञान व ध्यान का अभ्यास किया जाना बहुत लाभकारी होता है । 

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