Loading...
...

Scientific Position For Sleep

3 years ago By Yogi Anoop

सोने की वास्तविक position क्या होनी चाहिए ! ये एक रहस्य भरा प्रश्न है । 

अब समझें कि नींद आख़िर किस तरफ़ होनी चाहिए !

अब हमें ये देखना है कि मन मस्तिष्क और शरीर को कौन से position दिया जाय कि वो deeeper state में और चला जाय । अब खड़े या बैठकर उस गहन निद्रा की अवस्था में तो ज़ाया नहीं सकता । 

पहला -

मेरे अपने अनुभव में सबसे अच्छा position है पीठ के बल सोना क्यों कि इसी पज़िशन में आपके मस्तिष्क का पिछला हिस्सा और spinal cord नीचे होता है और blood flow स्पाइनल कॉर्ड में बढ़ जाता है , और जब भी हमारे हमारे मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड में रक्त और प्राण का संचार अधिक हो जाता है तभी मस्तिष्क और शरीर की अधिक से अधिक हीलिंग होनी शुरू हो जाती है । चूँकि शरीर का पिछला हिस्सा सबसे मज़बूत और कठोर होता , वही से समस्त नाड़ियों का संचार पेट व छाती की ओर आता है ,इसलिए पीठ के हिस्से को हील करना बहुत आवश्यक माना जाता है । 

मैंने अपने प्रयोग में यह पाया कि यदि किसी भी व्यक्ति को कई वर्षों से गहरी नींद में बाधाएँ आ रही होती है तो उसकी कमर से सम्बंधित समस्या आ जाती है । अर्थात् नींद की कमी से सबसे अधिक समस्या नसों और नाड़ियों में आती है । 

अतः सिद्ध है कि सीधा सोने पर रीढ़ और मस्तिष्क के पिछले हिस्से को चार्ज कर दिया जाता है । 


दूसरायह भी सत्य है कि सिर्फ़ और सिर्फ़ पीठ के बल ही पूरी रात सोना सम्भव नहीं है , यद्यपि मैं कम से कम 5 घंटे किसी पज़िशन पर सोता हूँ । कभी कभी बदलाव अवश्य हो जाते हैं । इसलिए मेरे अपने अनुभव में यदि पीठ के बल पर सोना असुविधाजनक लगे तो दाहिनी तरफ़ करवट ले कर सोना भी बहुत लाभदायक है । दाहिनी तरफ़ सोने का अर्थ है दाहिने मस्तिष्क में रक्त और ऑक्सिजन का संचार बेहतर होता है । इस तरफ़ सोने से parasympathetic nervous system ऐक्टिव हो जाता है जो मन मस्तिष्क को बहुत गहराई से शांत करने लगता है । यद्यपि यह नाड़ी मस्तिष्क और मांसपेशियों को शिथिल करती है । 

अब बात करते हैं है कि भला क्यों नहीं सोना चाहिए इन दोने तरफ़ के अलावा ।  

क्यों नहीं सोना चाहिए पेट के बल ? वो इसलिए कि शरीर का पूरा भर आपके आगे के  हिस्सों में आ जाता है , चूँकि आगे का हिस्सा बहुत सेन्सिटिव हैं और उन हिस्सों पर दबाव आने पर गहरी नींद में जाना सम्भव नहीं हो सकता । पेट के बल लेटने की अवस्था में उसकी साँसों में ले नहीं आ पाएगा और उसके कारण लम्बे समय तक मस्तिष्क का नींद में ठहरे रहना सम्भव नहीं होगा । 


बायीं तरफ़ क्यों सोएँ ?

अब बात करते हैं कि बायीं तरफ़ क्यों नहीं सोना चाहिए ? यद्यपि सभी योगी कहते हुए पाए जाते हैं कि बायीं तरफ़ लेटना बहुत अच्छा होता है क्योंकि इस अवस्था में खना पचता है । 

मैं यहाँ पर यह बताना चाहता हूँ कि बायीं तरफ़ सोना इस लिए नहीं चाहिए क्योंकि 

इस पज़िशन पर sympathetic nerve ऐक्टिव हो जाता , दाहिनी नाक वाली साँसे इससे ऐक्टिव हो जाती हैं , इस नाड़ी के ऐक्टिव होने का अर्थ है कि आपके अंदर गर्मी का बढ़ना , विचारों का ऐक्टिव होना । नाभि संस्थान का चलायमान हो जाना अर्थात् शरीर सूर्य के प्रभाव में आ जाता है । 

यदि भोजन के बाद इस अवस्था में व्यक्ति लेटता है तब उसका भोजन आसानी से पचने में सहायक होगा । इसीलिए ऋषियों ने भोजन के बाद इस अवस्था में लेटना अच्छा बताया । किंतु ध्यान दें भोजन के बाद भला नींद  कौन लेता है । वैसे भी खाने के 3 घंटे के बाद ही सोने की सलाह दो जाती है । खाने के 3 घंटे तक शरीर को बहुत शिथिल और बात तनाव में रखना अच्छा नहीं माना जाता है । 

इसीलिए सोने के लिए बायीं तरफ़ की पज़िशन अच्छा नहीं माना जाता है । 

Recent Blog

Copyright - by Yogi Anoop Academy