सिर दर्द की सबसे बड़ी समस्या कि अनुभव कम और वैचारिक क्रिया ज़्यादा होती है ।
अर्थात् मानसिक अभ्यास बहुत अधिक हो रहा बनिस्बत अनुभव के । जैसे किसी भी कार्य को करते समय विचार और कर्म दोनों की आवश्यकता होती है , वैचारिक क्रिया एक भूमिका बनाने के लिए ही बस होती है , उसके बाद सारा खेल कर्म का होता । और कर्म के साथ साथ अनुभव का कार्य शुरू होता है ।
जैसे भोजन बनाने के पहले भोजन के बारे में सोचना पड़ेगा उसी के बाद भोजन बनेगा , और जब भोजन बनना शुरू होगा तो कर्म का अनुभव शुरू होगा , उस समय कर्म प्राइम होगा और विचार के उसके पीछे होगा । इस समय कर्म अनुभवात्मक होता है । इस अवस्था में मस्तिष्क के अंदर व्यावहारिक रूप से हार्मोनल सिक्रीशन होती है । और मस्तिष्क पर भार नहीं होगा ।
किंतु ध्यान दो यदि इसी स्थिति को थोड़ा पलट दो अर्थात् भोजन बनाने के तुरंत पहले आप अपनी पत्नी के साथ झगड़ा कर लो तो स्थिति क्या होगी ।
तो उस समय आपकी पत्नी भोजन बनाते समय भोजन पर प्रयोग नहीं ,बल्कि भोजन बनाते समय भोजन के बारे में विचार करने के बजाय आप द्वारा लड़ाई के बारे में ओवर थिंकिंग कर रही होंगी ।
अब तो मस्तिष्क का बँटाधार हो गया । अब सिर दर्द नहीं होगा तो क्या होगा ।
यदि इसी प्रकार से हम दिनों नहीं , महीनों नहीं बल्कि सालों निकल देते हैं तो समझो मस्तिष्क की क्या हालत होती होगी ।
एक बच्चा खेल रहा होता है , और उसके दिमाग़ में कार्टून्स घूम रहे होते हैं , उसके साथ कोई भी दिक़्क़त नहीं होगी क्योंकि उसकी शरीर और मस्तिष्क में बहुत तेज़ी से वृद्धि हो रही है किंतु एक अडल्ट आदमी जिसका शरीर अब बढ़ने वाला नहीं बल्कि क्षय की ओर जा रहा है यदि वो इस प्रकार की गलती करेगा तो सिर दर्द जैसी बीमारी से मारा जाएगा ।
निष्कर्ष है कि मस्तिष्क में खिंचाव अधिक है और शरीर की क्रिया कम है , शरीर कहीं और जा रहा है , और मन मस्तिष्क कुछ और कर रहा है । अंत में होता यही है मस्तिष्क में unecassary खिंचाव आता है जिससे सिर में इक्स्ट्रीम भारीपन होने लगता है और आपके पेट जिसको हम आमाशय कहते हैं में खिंचाव होने लगता है तो वायु ऊपर की तरफ़ बढ़ना शुरू होने लगती है और साथ साथ जल्दी जल्दी पेशाब करने की टेंडेन्सी भी बढ़ने लगती है ।
इसका उपाय क्या है
Chest Expansion & Squeezing Pranayama - सुबह और शाम को इसका अभ्यास करना चाहिए , यद्यपि मैं इसको प्राणायाम नहीं कहता किंतु आपको समझने के ;इए इसे प्राणायाम कहने की कोशिश कर रहा हूँ ।
प्राणायाम में आप की सबसे पहली प्रायऑरिटी स्वाँस होती है उसके बाद अन्य कोई दूसरी बातों का ध्यान आप करते हैं । पर यहाँ पर मैं आपकी पहली प्रायऑरिटी साँस न होकर छाती का फुलाना और उसका पिचकाना मात्र है । कहने का अर्थ है कि अपनी दोनों तरफ़ के रिब को बहुत धीरे धीरे फुलाना और बहुत धीरे धीरे पिचकाना ।
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