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रात में इड़ा नाड़ी कैसे करें सक्रिय

1 month ago By Yogi Anoop

रात में इड़ा नाड़ी हेतु प्राणायाम: आध्यात्म, नाड़ी विज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समन्वय

इड़ा नाड़ी का परिचय और रात में इड़ा नाड़ी का महत्व

इड़ा नाड़ी योग और नाड़ी विज्ञान में एक महत्वपूर्ण नाड़ी मानी जाती है, जो प्राणिक ऊर्जा को संतुलित करने में सहायक होती है। यह शरीर के वाम मार्ग (बायीं तरफ़) और मस्तिष्क के दायें भाग से संचालित होती है और इसे चंद्र नाड़ी भी कहा जाता है। इड़ा नाड़ी का संबंध मांसपेशियों के विश्राम, इन्द्रियों की शांति, मन की स्थिरता, और मानसिक संतुलन से है । जब मांसपेशियों में शिथिलता आती है, तो मन अधिक स्थिर और शांत अनुभव करता है। इसका प्रभाव व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक चेतना पर गहराई से पड़ता है ।

आधुनिक विज्ञान के अनुसार, इड़ा नाड़ी का संबंध पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम से माना जाता है, जो शरीर को रिलैक्सेशन, गहरी नींद, और पुनःस्थापन की प्रक्रिया में मदद करता है। यह मनुष्य के मानसिक और शारीरिक संतुलन के लिए अत्यंत आवश्यक है । यह भी सत्य है कि यह नाड़ी दृश्य में इन्द्रियों के माध्यम से प्रतीत नहीं होती किंतु यह इसे अंतरतम और व्यवहार में अनुभव किया जा सकता है । मेरे अनुभव में इस नाड़ी से सेरोटोनिन जो कि मेलाटोनिन की वृद्धि में कहीं सहायक होता है,की मात्रा बढ़ा देता है । यह इड़ा नाड़ी सेंसरी और मोटर न्यूरॉन्स की उत्तेजना को शांत करता है और जैसे ही यह विश्राम की ओर जाता है पीनियल ग्रंथि के द्वारा मेलाटोनिन की मत्रा का उत्पादन प्रारंभ होने लगता है और बायीं नासिका जागृत हो जाती है , हृदय की मांसपेशियाँ ढीली और शांत होने लगती हैं ।  यौगिक सिद्धांतों के आधार पर कहें कि दाहिने मस्तिष्क के सक्रिय होने पर बायीं नासिका और बायीं नासिका के सक्रिय होने पर सेंसरी और मोटर न्यूरॉन्स की उत्तेजना शांत होनी प्रारंभ होती है और उसी समय सेरोटोनिन में स्थिरता आना प्रारंभ हो जाती है और मेलाटोनिन के बढ़ने की क्रिया प्रारंभ हो जाती है  । ध्यान दें सेरोटोनिन सूर्य से संबद्ध रखता है और मेलाटोनिन चंद्रमा से संबद्ध रखता है । सेरोटोनिन सूर्या के बढ़ते ही सक्रिय हो उठता है और यही सेरोटोनिन रात में मेलोटोनिंग के बढ़ने को प्रेरित करता है । अर्थात् अंधकार में मेलाटोनिन सक्रिय हो उठता है । यही समस्त मांसपेशियों और कोशिकाओं को विश्राम में स्थित करा देता है । 

ध्यान दें वे व्यक्ति जिनकी इन्द्रियाँ रात में अति सक्रिय हो उठती हैं, इसका अभिप्राय है कि उनके अंदर डोपामाइन की मात्रा का स्तर बढ़ चुका है । इसीलिए मैं इड़ा नाड़ी के माध्यम से सेरोटोनिन की मात्रा स्थिर करके मानसिक दशा को स्थिर करने का प्रयत्न करता हूँ जिससे मेलाटोनिन में वृद्धि हो सके और डोपामाइन की मात्रा घट सके ।   

इड़ा नाड़ी को सक्रिय करने के उपाय

रात्रि काल में ऐसे प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए सेंसरी और मोटर न्यूरॉन की गति को शिथिल किया जा सके जिससे मस्तिष्क, रीढ़, इन्द्रियाँ, देह की माँसपेशियाँ इत्यादि सभी विश्राम की ओर जा सकें । 

प्राणायाम का अभ्यास (सोने के पूर्व)

• चंद्रभेदन प्राणायाम: इस प्राणायाम में बायीं नासिका (इड़ा) से श्वास लेना और दाहिनी नासिका (पिंगला) से श्वास छोड़ना होता है। यह इड़ा नाड़ी को सक्रिय कर मन को शांत करता है। मेरे अनुसार बायीं नासिका से लेकर बायीं नासिका से छोड़ने की प्रक्रिया में इड़ा नाड़ी बहुत अधिक शीघ्रता में सक्रिय हो उठती है । 

• नाड़ी शोधन प्राणायाम: बारी-बारी से दोनों नासिकाओं से श्वास लेने और छोड़ने की यह प्रक्रिया इड़ा और पिंगला नाड़ी को संतुलित करती है। इसे सेरोटोनिन की मात्रा को भी संतुलित करता हुआ पाया जाता । किंतु ध्यान दें इन सभी प्राणायाम को किसी अनुभवी गुरु के निर्देशन में ही करना सर्वोत्तम होना चाहिए । 

• सोने जाते समय बिस्तर पर दाहिनी करवट लेटकरके प्राणायाम करना इड़ा नाड़ी को सक्रिय करने में बहुत सहायक होता है । लगभग चालीस वर्षों से इस प्राणायाम पर मेरे प्रयोग हैं जो बहुत ही सुखद और पप्रभावी भी हैं । यह प्राणायाम किसी भी अनुभवी गुरु के निरीक्षण में सीखें । 

सोने से पहले योगासन और ध्यान 

रात में सोने से पहले निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करना लाभदायक है:

• शवासन: योग की भाषा में यह आसन समस्त कर्मेन्द्रियों को विश्राम की ओर ले जाता है , कर्मेन्द्रियों के आधार पर ज्ञान्द्रियों को शांत करता मस्तिष्क को पूर्ण शांत कर देता है । वैज्ञानिक भाषा में सेंसरी नर्व का इस आसन से ढीला और शांत होना पाया जाता है । सेंसरी नर्व के ढीला होने पर मोटर नर्व ढीला और शांत हो जाता है । 

• योगनिद्रा: योगनिद्रा ज्ञानेंद्रियों को ढीला और शांत करके सेंसरी नर्व को शांत करता हुआ पाया जाता है  । समस्त ज्ञानेन्द्रियाँ के विश्राम का अर्थ है मोटर नर्वस का शांत होना । मस्तिष्क से देह की ओर आने वाले सभी उत्तेजित संवेदनाओं को शांत कर देता है जिससे देह की सभी माँसपेशियाँ पूर्ण विश्राम की ओर चली जाती हैं । 

• पवनमुक्तासन: का अभ्यास भी सोने के पूर्व किसी योग गुरु के निर्देशन में किया जा सकता है । वह इसलिए कि पेट में तनाव और भींचकर से सेंसरी नर्व बहुत उत्तेजित हो उठती हैं और नींद में बाधा पहुँचती है जिससे व्यक्ति पेट के बल सोने पर मजबूर हो जाता है । परिणाम नींद में बाधा । 

सोने की प्रक्रिया में बदलाव

• रात का भोजन शाम 7 बजे के पूर्व तक समाप्त कर लेना चाहिए।

• भोजन के आधा घंटे बाद बाद कम से कम 20-30 मिनट तक टहलना अनिवार्य होना चाहिए है। 

• सोने से पहले स्क्रीन देखने से बचें, क्योंकि इससे मस्तिष्क अत्यधिक सक्रिय हो जाता है।

• दाहिनी करवट लेकर प्राणायाम का अभ्यास करें। इस दौरान गहरी और धीमी साँसें लें। यह इड़ा नाड़ी को सक्रिय करता है और दिमाग के दाहिने हिस्से को आराम देता है।

इड़ा नाड़ी का सक्रिय और गहरी नींद

दाहिनी करवट लेकर गहरी और धीमी श्वास लेने से इड़ा नाड़ी सक्रिय हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव मस्तिष्क के दाहिने गोलार्ध पर पड़ता है, जिससे रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति मस्तिष्क के दाहिने हिस्से में संतुलित और बायें हिस्से में कम हो जाती है । इससे मानसिक और शारीरिक मांसपेशियाँ ढीली होकर विश्राम की स्थिति में आ जाती हैं। धीरे-धीरे व्यक्ति गहरी नींद में चला जाता है, जो न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।

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