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पढ़ते व ध्यान के समय नींद क्यों आती है?

2 months ago By Yogi Anoop

गुरु और शिष्य के बीच वार्तालाप: पढ़ते व ध्यान के समय नींद क्यों आती है?

गुरु और शिष्य के बीच वार्तालाप: पढ़ते व ध्यान के समय नींद क्यों आती है?

शिष्य: गुरुजी, पढ़ाई करते समय मुझे अक्सर नींद आने लगती है। ऐसा क्यों होता है? क्या यह कोई समस्या है?

योगी अनूप: यह प्रश्न बहुत ही सामान्य है, लेकिन इसका उत्तर गहराई में जाकर समझना होगा। न केवल पढ़ाई के दौरान, बल्कि माला जाप, ध्यान, या प्राणायाम करते समय भी नींद का आना सामान्य है। यह विशेष रूप से बच्चों में अधिक देखा जाता है। जैसे ही उन्हें पढ़ाई करने को कहा जाता है, वे तुरंत थकान और नींद का अनुभव करने लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सामान्यतया बच्चों के लिए पढ़ाई रुचिकर विषय नहीं होता। रुचिकर विचार न होने से मन, मस्तिष्क और इंद्रियों में सक्रियता नहीं होती।

यह किसी बीमारी का संकेत नहीं है, लेकिन इसे समझना ज़रूरी है कि ऐसा क्यों होता है।

इसका मुख्य कारण एकाग्रता की अवधि (attention span) की कमी है। ध्यान दें, किसी भी विषय में रुचि होने से एकाग्रता स्वतः ही बन जाती है, किंतु कभी-कभी प्रारंभ में एकाग्रता बढ़ाने के बाद रुचि उत्पन्न होती है। इन दोनों अवस्थाओं में एकाग्रता की आवश्यकता होती है। एकाग्रता के दौरान मन, मस्तिष्क और इंद्रियों में या तो थकान होती है या मांसपेशियों में शिथिलता आने लगती है।

थकान के बाद भी नींद आने की संभावना रहती है क्योंकि मस्तिष्क और इंद्रियों में तनाव बढ़ता है और मन आराम के लिए शिथिलता की ओर बढ़ता है। किंतु माला जाप, मंत्र जाप, ध्यान, प्राणायाम आदि के समय मस्तिष्क और इंद्रियों में शिथिलता बढ़ती है। यहां थकान के बजाय इंद्रियों और मस्तिष्क में शिथिलता का अनुभव होता है, और मन ध्यान में लिए गए विषय को छोड़ना शुरू कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप नींद आने लगती है।

अन्य कारणों में से एक कारण शरीर और मन के बीच सामंजस्य की कमी भी हो सकता है। जब शरीर थका हुआ होता है या पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती, तो मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। यह नींद का आभास पैदा कर सकता है। विशेष रूप से जब हम ऐसे काम कर रहे होते हैं जिनमें हमारी रुचि कम हो या जो हमारे लिए चुनौतीपूर्ण हों, तो मस्तिष्क जल्दी थकावट महसूस करता है।

शिष्य: क्या यह केवल बच्चों में होता है?

योगी अनूप: यह सभी में हो सकता है, किंतु बच्चों और बुजुर्गों में अधिक देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, बच्चे जब खेल रहे होते हैं, तो पूरी तरह सक्रिय रहते हैं। किंतु उनकी इच्छा के विपरीत जैसे ही उन्हें पढ़ने के लिए कहा जाता है, जो कि उनका अरुचिकर विषय होता है, उनके मस्तिष्क और इंद्रियां तुरंत थकान का अनुभव करने लगती हैं। उनके ध्यान केंद्रित करने की क्षमता (attention span) लंबी न होने के कारण मानसिक थकावट शीघ्र हो जाती है, और इसके परिणामस्वरूप उन्हें नींद आने लगती है।

दूसरी ओर, वृद्धावस्था में अथवा किसी भी उम्र में माला जाप या ध्यान करते समय भी यह अनुभव होता है। इसका कारण यह है कि मस्तिष्क की कोशिकाएं अल्पकालिक मानसिक अभ्यास के बाद जल्दी शिथिलता अनुभव करने लगती हैं। इस शिथिलता को व्यक्ति लंबी अवधि तक सहन नहीं कर पाता, और परिणामस्वरूप उसे नींद का झोंका आने लगता है।

इसी प्रकार, योग या टहलने के बाद भी अधिकतर लोगों में नींद आते हुए देखा जा सकता है। यह शरीर और मन के आरामदायक स्थिति में आने का स्वाभाविक परिणाम है।

शिष्य: ध्यान के दौरान भी ऐसा होता है, गुरुजी?

योगी अनूप: हाँ, ध्यान के प्रारंभिक अभ्यास में ऐसा अक्सर होता है। किसी एक विचार या विषय पर ध्यान केंद्रित करने से मस्तिष्क को एक प्रकार की नशे जैसी स्थिति महसूस होती है। उस नशे की अनुभूति विचारों को रोक देती है। जैसे ही मन अनुभूति में संलग्न होता है, वैचारिक प्रगति रुकने लगती है। ऐसी अवस्था में नींद की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं।

सामान्यतः लोगों का मन विचारों के भटकाव में संलग्न होता है, किंतु जैसे ही माला जाप व ध्यान में किसी एक विषय में एकाग्रता बढ़ती है, तो विचारों का पड़ाव अनुभव होता है। यह अवस्था नींद लाती है, किंतु इस अनुभव की अवधि को जितना अधिक लंबा किया जा सके, यही ध्यान में महत्वपूर्ण सफलता है।

शिष्य: और माला जाप के दौरान?

योगी अनूप: माला जाप के दौरान भी ऐसा हो सकता है। जब आप एक ही मंत्र के दोहराव पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो मस्तिष्क में एक प्रकार से मांसपेशियों का अभ्यास उत्पन्न होता है। इसी अभ्यास से कुछ पलों के बाद मस्तिष्क और इंद्रियों को विश्राम मिलने लगता है। यह विशेषतः उन लोगों में अधिक होता है जो मंत्रों के दोहराव में धीमी गति रखते हैं। धीमी गति से किए गए मंत्र जाप में ही इंद्रियों और मस्तिष्क को शिथिलता का अनुभव होता है। इसी शिथिलता में मन शब्दों के दोहराव को कुछ पलों के लिए छोड़ने लगता है। इस दौरान नींद के झोंके आते हैं, जो वृद्ध व्यक्तियों में अधिक देखे जाते हैं।

शिष्य: लेकिन गुरुजी, कुछ लोग कहते हैं कि माला जाप के दौरान मन बहुत सक्रिय भी हो जाता है। ऐसा क्यों?

योगी अनूप: यह सही है। ध्यान दें, यदि मंत्र जाप में जल्दीबाजी होती है, तो मस्तिष्क और इंद्रियां अतिसक्रिय हो जाती हैं। विचारों के विश्राम की बजाय उनमें अति सक्रियता बढ़ जाती है। यह स्थिति मन और मस्तिष्क ही नहीं बल्कि शरीर के अंगों के लिए भी हानिकारक होती है। इसका प्रभाव जबड़े, गले, आँतों, और पेट में खिंचाव के रूप में देखा जा सकता है। मेरे पास ऐसे कई लोग आते हैं जिन्हें अति कब्ज़ की शिकायत रहती है, और इसका मूल कारण यही है।

शिष्य: क्या नींद का संबंध हमारी आँखों से भी है?

योगी अनूप: जी, नींद का सबसे अधिक संबंध आँखों और जिह्वा (मुँह) से होता है। जिनका मस्तिष्क अधिक दृश्यात्मक (visual) होता है, वे रंगों, आकृतियों और छवियों को अधिक अवशोषित करते हैं। इससे उनकी आँखों की मांसपेशियां जल्दी थक जाती हैं। साथ ही उनके भीतर एक निरंतर वार्तालाप भी चलता है। इन दोनों को जब थकान महसूस होती है, तो मस्तिष्क विश्राम की तलाश करता है और नींद में जाने का प्रयत्न करता है।

शिष्य: तो गुरुजी, इससे बचने के उपाय क्या हैं?

योगी अनूप: इसका समाधान अभ्यास में है। पढ़ाई, माला जाप, ध्यान, या प्राणायाम करते समय आने वाली नींद को दूर करने के लिए अपनी एकाग्रता की अवधि को बढ़ाने पर ध्यान दें। ध्यान और प्राणायाम का नियमित अभ्यास आपकी इंद्रियों और मन को स्थिर करेगा।

इसके अलावा, योगासन और प्राणायाम से शारीरिक और मानसिक संतुलन में सुधार होता है। सबसे पहले, अपने अध्ययन और ध्यान के समय को छोटे-छोटे अंतरालों में बाँट लें। हर 25-30 मिनट के बाद 5 मिनट का ब्रेक लें। इस दौरान गहरी साँसें लें और अपने मस्तिष्क को आराम दें।

दूसरा, अपने आहार और दिनचर्या पर ध्यान दें। संतुलित भोजन, पर्याप्त नींद, और नियमित व्यायाम आपके मन और शरीर को ऊर्जावान बनाए रखेंगे।

तीसरा, अपनी रुचि बढ़ाने के लिए पढ़ाई को रोचक बनाने का प्रयास करें। यदि पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी, तो ध्यान भटकने और नींद आने की संभावना कम होगी।

शिष्य: लेकिन गुरुजी, यह प्रक्रिया कितनी समय ले सकती है?

योगी अनूप: यह आपके निरंतर अभ्यास पर निर्भर करता है। यदि आप नियमित रूप से ध्यान और प्राणायाम करते हैं, तो कुछ महीनों में यह समस्या समाप्त हो सकती है। यह आपकी मानसिक और शारीरिक सक्रियता को भी बेहतर बनाएगा।

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