पित्त स्वभाव के लोगों को कौन सा प्राणायाम करना चाहिए । पित्त स्वभाव का असल अर्थ न केवल पेट में होने वाली असिडिटी है बल्कि पित्त प्रकृति का मूल अर्थ स्वभाव में क्रोध होता है ।
इस प्रकार के लोगों को सबसे पहले
बायीं नासिका से कपालभाती करनी चाहिए
1 बायीं नासिका से कपालभाति
2 बायीं नाक से प्राणायाम , अर्थात चंद्र्भेदी प्राणायाम
3 जालंधर बंध
4 उज्जायी प्राणायाम
5 भूमध्य ध्यान अवश्य करना चाहिए ।
पित्त प्रकृति के लोगों को सभी क्रियाओं के अंत में ध्यान अवश्य करना चाहिए , इसका प्रमुख कारण है कि उनके मस्तिष्क का मध्य हिस्सा शांत होगा और ऊर्जावान होगा । इसीलिए पित्त प्रधान वालों को मैं अंत में ध्यान के लिए निवेदन करता हूँ ।
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