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पाचन शक्ति बढ़ाने के आसन

4 years ago By Yogi Anoop

सिंहासन : 

अब हम सिंहासन करने जा रहे हैं जो भोजन नली लार ग्रंथियाँ तथा आमाशय को क्रियाशील करके पााचन संबन्धी रोगों को दूर करता है ।


विधि सर्वप्रथम पदमासन में बैठ कर रीढ़ तथा गला को सीधा करके आंखों को बन्द कर लें । 5 या 7 बार गहरी श्वाश लेकर अपने चित्त को शांत करें । पदमासन में ही सीधे पेट के बल लेट जांय तथा दोनों की सहायता से श्वाश को अन्दर भरते हुये अपर बाडी को भुजंगआसन की तरह उठा दें ।मुंह को फैला कर जीभ को पूरी तरह बाहर निकालें तथा आंखों को ऊपर ले जाकर भूमध्य पर ध्यान एकाग्र करें । इस स्थिति में 30 सेकेंड रहें तथा मुंँह से सामान्य श्वाश लेते रहें ।उसके बाद सामान्य पदमासन की अवस्था में आ जाय । अब पैरों को बदल कर पदमासन लगायें तथा आसन को उतने ही समय के लिये दोहरायें ।

लाभ :

1 यह आसन अम्ल और पित्त के अधिक स्राव को नियन्त्रित करके दुर्गन्धयुक्त श्वाश को दूर करता है ।

2 अम्ल और पित्त के नियन्त्रित हो जाने पर पाचन और निष्काषन दोनोा बेहतर हो जाते है ।

जठर परिवर्तन आसन। इस जठर परिवर्तन आसन के अभ्यास से पाचन प्रणाली का निम्नतर भाग जैसे लीवर, पैंक्रियाज़ छोटी तथा बड़ी आंँतें क्रियाशील होती हैं । जिसके कारण पाचन और निष्काशन से सम्बंधित बीमारियां आसानी से समाप्त हो जाती हैं ।

विधि : जमीन पर पीठ के बल सीधा लेट जाएंँ तथा आंखों को बन्द करके 5 बार गहरी श्वास लें, मन को शांत करें। अब कंधों की सीध में दोनो बाहें बगल मे फैलायें । श्वाश छोड़ते हुये दोनों पैरों को बिल्कुल सीधी अवस्था में बिना मुड़े हुये 90 डिग्री तक ऊपर की ओर उठा लें । इसके बाद सामान्य श्वास का अनुभव करते हुये कुछ देर पेट की मांशपेशियों में कंपन का अनुभव करते हुये इसी स्थित में 5 सेकेण्ड रूकें ।अब पुनः श्वाश छोड़ते हुये दोनों पैरों को बायें हाथ की हथेली की तरफ ले जाकर पैर की उंगलियों को पकड़ लें । सामान्य श्वाश का अनुभव करते हुये कुछ क्षण इसी स्थिति में रूकें उसके बाद वापस दोनों पैरों को ऊपर की ओर 90 डिग्री पर लायें तथा यही क्रम दूसरी ओर करें । उसके बाद दोनों पैरों को वापस ला करके सामान्य अवस्था में आ जाएंँ ।थोडी देर श्वाश का अनुभव करें । इसी तरह इस आसन को 5 दफा करने का प्रयत्न करें ।

सावधानी यदि स्लिप डिस्क हो तो दोनों पैरों को पहले घुटनों से मोड़ लें तब इस क्रिया को करें । किन्तु किसी योग शिक्षक की उपस्थिति में यह अभ्यास होना चाहिये ।

लाभ 

1 यह जठर दाह को दूर करके आंतों को मजबूत करता है जिससे कब्ज को दूर करने में सहायता मिलती है । मल की अधिकता जितनी अधिक आंतों मे होती है उतना ही अम्ल की मात्रा ज्यादा होती है जिससे मसूड़ों में सूजन आने लगती है जिसके कारण दांतो की समस्यायें बढ़ने लगती है । इस आसन का नियमित अभ्यास करने से कब्ज जैसी समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है ।

2 यह आसन मोटापा को भी दूर करने सहायता करता है ।



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