नाभि और पाचन तंत्र का संबंध: एक वैज्ञानिक और योगिक दृष्टिकोण
नाभि और पाचन के मध्य समस्याओं को ठीक करने के लिए 100 लोगों पर प्रयोग
बिल्कुल! नाभि केवल एक शारीरिक केंद्र नहीं है, बल्कि यह शरीर की ऊर्जा और पाचन शक्ति (अग्नि तत्त्व) को संतुलित करने वाला महत्वपूर्ण बिंदु है। योग और विज्ञान, दोनों इसे शरीर के ऊर्जा केंद्र के रूप में स्वीकार करते हैं। यदि नाभि कमजोर या असंतुलित हो जाए, तो इसका सीधा असर पाचन तंत्र, लिवर और मानसिक संतुलन पर पड़ता है।
योगी अनूप द्वारा किए गए प्रयोग में 100 लोगों पर नाभि संतुलन के प्रभाव का अध्ययन किया गया, जिसमें से लगभग 80% लोगों को इस पद्धति से सकारात्मक परिणाम मिले। इनमें कब्ज, गैस, एसिडिटी, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) और मानसिक असंतुलन जैसी समस्याओं में राहत देखी गई।
नाभि और अग्नि तत्त्व का महत्व
अग्नि हमारे शरीर में भोजन को पचाने, ऊर्जा उत्पन्न करने और पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करती है। यदि यह अग्नि कमजोर हो जाए, तो शरीर चाहे जितने भी पोषक तत्व ले, वे सही तरीके से अवशोषित नहीं हो पाएंगे।
योगी अनूप के अनुसार, नाभि के असंतुलन से लिवर का फंक्शन प्रभावित होता है। कई लोग वजन में कम होते हैं, लेकिन उनका लिवर फैटी हो जाता है। यह नाभि में ऊर्जा की कमी के कारण होता है, जिससे शरीर आवश्यक पोषक तत्वों को सही से ग्रहण नहीं कर पाता।
नाभि संतुलन के प्रभाव
नाभि को संतुलित करने से शरीर का ऊर्जा केंद्र पुनः सक्रिय हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप—
✅ पाचन तंत्र बेहतर होता है
✅ लिवर की कार्यप्रणाली मजबूत होती है
✅ आंतों की गति (Bowel Movement) सुधरती है
✅ IBS, कब्ज, गैस, और एसिडिटी जैसी समस्याएँ कम होती हैं
योगी अनूप के अनुसार, जब नाभि असंतुलित होती है, तो यह इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS), एसिडिटी, गैस और पाचन की अन्य समस्याओं को जन्म दे सकती है। परंतु, जब नाभि संतुलित होती है, तो इन समस्याओं में 100% तक सुधार संभव होता है।
सेरोटोनिन, सूर्य ऊर्जा और नाभि का संबंध
विज्ञान और योग दोनों मानते हैं कि नाभि क्षेत्र का सीधा संबंध सेरोटोनिन लेवल से होता है।
सेरोटोनिन क्या है?
सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो—
✅ मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जिसका प्रत्यक्ष संबंध सूर्य से होता है । सूर्या के संपर्क में यह देह और इंद्रियाँ देह के अन्य न्यूरॉन्स को और हार्मोन्स को संतुलित करने का कार्य करने लगती हैं ।
✅ स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है । वह इसलिए कि स्थिरता में मन स्थिर रहता है और देह का पाचन तंत्र मन के शांति स्थिरता से प्रभावित होता रहता है ।
✅ जहाँ स्थिरता है वही पाचन तंत्र बेहतर होता है , जहाँ भावनात्मक उछाल बहुत ऊपर नीचे होगा वहाँ पर पाचन तंत्र ध्वस्त होता हुआ दिखता है ।
सूर्य ऊर्जा और नाभि:
विज्ञान कहता है कि जब सूर्य का प्रकाश शरीर के संपर्क में आता है, तो सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है। किंतु साथ साथ यदि नाभि अर्थात देह की गुरुत्वाकर्षण केंद के सही दिशा में स्थित न होने से कितना भी देह को सूर्या की रोशनी दिया जाये वह सूर्य को अवशोषित नहीं कर सकता है अर्थात् यह सिद्ध है कि ऊर्जा सिर्फ़ और सिर्फ़ तब ही नहीं बढ़ती जब सूर्या की रोशनी के संपर्क में देह का आता है , ऊर्जा तब बढ़त है जब देह के अंदर का न्यूक्लियर प्लांट ठीक हो और तब बाहर से प्राप्त ऊर्जा के संकेतों को प्राप्त कर वह और बेहतर ढंग से सक्रिय हो जाता है और साथ साथ उसमें अवशोषित करने की क्षमता में वृद्धि भी पीजीआई ।
इसके कारण—
❌ देह के न्यूक्लियर प्लांट अर्थात् नाभि के सही दिशा में स्थित न होने से सेरोटोनिन का स्तर गिरता है
❌ मूड स्विंग्स, डिप्रेशन और मानसिक अस्थिरता बढ़ती है
❌ IBS, कब्ज और नींद से जुड़ी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं
मेलाटोनिन और सेरोटोनिन का संतुलन
नींद की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सेरोटोनिन से मेलाटोनिन उत्पन्न होता है।
यदि सेरोटोनिन असंतुलित हो जाए, तो—
❌ मेलाटोनिन का उत्पादन प्रभावित होता है
❌ अनिद्रा, बेचैनी और थकान की समस्या उत्पन्न होती है
योगी अनूप द्वारा किए गए अध्ययन में देखा गया कि जिन लोगों की नाभि संतुलित थी, उनकी नींद की गुणवत्ता बेहतर रही। वहीं, असंतुलित नाभि वाले लोग अनिद्रा, बेचैनी और मानसिक थकावट से ग्रस्त पाए गए।
क्या नाभि दोष 100% ठीक हो सकता है?
बिल्कुल! यदि शरीर के प्रमुख ऊर्जा केंद्रों को संतुलित कर दिया जाए, तो—
✅ IBS, कब्ज और गैस की समस्या ठीक हो सकती है, साथ साथ भगंदर अर्थात् पाइल्स , पेट में हमेशा तनाव का बने रहना इत्यादि । वजन का कम होते जाना , पार्ट में ऐंठन का दिन भरबने रहना , शरीर अक सूखना जैसी समस्या को कुछ ही महीनों में ठीक किया जा सकता है ।
✅देह के न्यूक्लियर प्लांट जो ऊर्जा का प्रमुख केंद्र है , के सुचारू रूप से करने करने लग जाने पर मस्तिष्क से संबंधित कई समस्याओं को योगी अनूप के द्वारा ठीक किया गया है । अर्थात् कई मानसिक असंतुलन जैसे मूड स्विंग्स , एंजाइटी , अवसाद व डिप्रेशन , भय , अप्रत्यक्ष मृत्यु का भय , इत्यादि अनेकों समस्याएं दूर हो सकती हैं ।
✅ नींद की गुणवत्ता को इसलिए बेहतर होता हुआ देखा गया क्योंकि लगभग 90 फीसदी लोगों में नींद की समस्याओं का जन्म उनके पेट में तनाव और खिंचाव के निरंतर होने से होता है । विशेषकरके रात में यह तनाव और खिंचाव सोने नहीं देता है । इससे बाई छुटकारा मिलता हुआ देखा गया है ।
योगी अनूप ने इस पद्धति को अपने कई रोगियों व अस्वस्थ व्यक्तियों पर यौगिक विद्या का और इसके प्रभावों को प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव देखा गया और 80% से अधिक लोगों को इस प्रक्रिया से लाभ मिला है।
अंततः उनके द्वारा यह निष्कर्ष निकाला गया कि नाभि केवल शरीर का केंद्र बिंदु नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन का आधार है। योग और विज्ञान, दोनों इसे शरीर का महत्वपूर्ण ऊर्जा केंद्र मानते हैं।
यदि आपको नाभि असंतुलन से संबंधित कोई समस्या है, तो योग और आयुर्वेदिक चिकित्सा द्वारा इसे ठीक करने के उपायों को अपनाएँ। योगी अनूप के ये प्रयोग , जो 100 में से लगभग 80 लोगों पर प्रभावी रही है ।
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