नाभि और एंटरिक नर्वस सिस्टम: शरीर के दूसरे मस्तिष्क का गहन अध्ययन
नाभि (Umbilicus), जिसके पीछे रीढ़ में मणिपुर चक्र केंद्र स्थित है, वह उन सभी तंत्रिका जालों का स्रोत है जो पूरे पेट के हिस्से को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। यहाँ से निकली हुई तंत्रिका तंत्र नाभि से होते हुए और नाभि से मणिपुर तक की यात्रा बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसी नाभि केंद्र बिंदु को ENS अर्थात एंटरिक नर्वस सिस्टम के नाम से कहीं न कहीं जाना जा सकता है। आधुनिक विज्ञान में इसे दूसरे मस्तिष्क के रूप में देखा जाता है। वह इसलिए कि यह छोटी और बड़ी आँत तथा लिवर को सर्वाधिक प्रभावित करता है।
जहाँ तक मेरा अपना मानना है, नाभि केंद्र बिंदु के निचले और ऊपरी हिस्सों के भाग को उस केंद्र में स्थित गुरुत्वाकर्षण शक्ति जैसी शक्ति नियंत्रित करती है। यही लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंग को सबसे अधिक शक्तिमान बनाती है। इसीलिए इस मणिपुर और नाभि को मैं दूसरे मस्तिष्क के रूप में देखता हूँ।
नाभि और एंटरिक नर्वस सिस्टम के बीच संबंध
नाभि मानव शरीर के केंद्र में स्थित होती है और यह पेट (Stomach) के नीचे और आंतों (Intestines) के ठीक ऊपर होती है। और आधुनिक विज्ञान के अनुसार एंटरिक नर्वस सिस्टम का मुख्य कार्यक्षेत्र पाचन तंत्र है, जो नाभि के पास के हिस्सों में स्थित है। नाभि के आसपास का क्षेत्र तंत्रिका जाल (Neural Network) और रक्त प्रवाह का प्रमुख केंद्र है, जो एंटरिक नर्वस सिस्टम के सुचारू कार्य में सहायक होता है। यदि बहुत सावधानी से देखा जाए तो इन दोनों का संबंध बहुत गहरा है। क्योंकि नाभि गुरुत्वाकर्षण का वह केंद्र है जो प्रमुखतम लिवर और आंतों पर प्रभाव डालता है और एंटरिक नर्वस सिस्टम भी उसी को प्रमुखतः प्रभावित करता है। इसकी (एंटरिक नर्वस सिस्टम) की दो मुख्य परतें (Plexuses) मायेंटरिक और सबम्यूकोसल प्लेक्सस, नाभि के आसपास के क्षेत्र में ही स्थित होती हैं।
मायेंटरिक प्लेक्सस आंतों की गति (Intestinal Motility) और मांसपेशियों के संकुचन को नियंत्रित करता है और सबम्यूकोसल प्लेक्सस पाचन रस (Digestive Secretions) और पोषण अवशोषण (Nutrient Absorption) में सहायक होता है।
यदि मैं इसे उस नाभि के सिद्धांत से संबंधित बातें करूँ तो उसमें भी संकुचन और शिथिलता का सिद्धांत प्रमुख रूप से लागू होता है। मेरे अनुभव में नाभि के गुरुत्वकर्णम का सिद्धांत इसी संकुचन और शिथिलता पर आधारित है। यही स्वभाव मस्तिष्क का भी है। यही कारण है कि इस नाभि को मैं दूसरे मस्तिष्क के रूप में देखता हूँ और साथ-साथ आधुनिक विज्ञान भी उस एंटरिक नर्वस सिस्टम को दूसरे मस्तिष्क के रूप में स्वीकार करती है।
गट-ब्रेन कनेक्शन और नाभि:
एंटरिक नर्वस सिस्टम और मस्तिष्क के बीच सीधा संबंध होता है, जिसे “गट-ब्रेन एक्सिस” कहा जाता है। यह नाभि के पास मौजूद तंत्रिकाओं और एंटरिक नर्वस सिस्टम के माध्यम से संचालित होता है। मेरे द्वारा दिए गए नाभि से संबंधित अनेक अभ्यासों में इन्हीं तंत्रिका तंत्रों के जाल को बेहतर ढंग से सक्रिय कर दिया जाता है।
मेरे अनुसार, व्यक्ति में तनाव, चिंता और भावनात्मक असंतुलन नाभि को सबसे अधिक प्रभावित करता है और साथ-साथ आधुनिक विज्ञान के अनुसार मानसिक तनाव एंटरिक नर्वस सिस्टम को सबसे अधिक प्रभावित करता है जिससे न केवल पाचन प्रभावित होता है बल्कि कब्ज, गैस, और दस्त से संबंधित अनेक समस्याएँ होने की संभावनाएँ बहुत प्रबल हो जाती हैं।
योग प्राणायाम की अनेक तकनीकों के माध्यम से मैंने नाभि से संबंधित हजारों सदस्यों को ठीक किया है। यहाँ तक कि लगभग प्रत्येक व्यक्ति को देखने का दो तरीका मैं देखता हूँ, एक उसके मस्तिष्क का और दूसरा नाभि का हिस्सा। इस दोनों के मध्य संबंधों को देखने पर समस्याओं व रोगों का निदान बहुत आसानी से किया जा सकता है।
आयुर्वेद और नाभि का महत्व:
आयुर्वेद में नाभि को “शरीर का केंद्र” और मणिपुर चक्र कहा गया है, जो पाचन तंत्र और ऊर्जा प्रवाह को नियंत्रित करता है। यह नाभि के माध्यम से एंटरिक नर्वस सिस्टम को संतुलित करने के लिए अभ्यंग (तेल मालिश) और घी को अधिक से अधिक लेने की सलाह देता है। वह इसलिए कि घी व वसा पेट में संकुचन से हो रहे खिंचाव में शिथिलता प्रदान करता है। ढीलापन करता है जिससे पाचन और निष्कासन में बेहतरी होती है। साथ-साथ कब्ज आदि समस्याओं का निराकरण बहुत आसानी से देखा जा सकता है।
मेरे अनुसार मणिपुर चक्र और नाभि केंद्र में संकुचन एंटरिक नर्वस सिस्टम की कार्य प्रणाली को बाधित करता है। इसीलिए मेरे द्वारा प्रयोगों में इन दोनों के समाधान में अभूत गहराई दिखती है।
नाभि के माध्यम से ENS से जुड़े न्यूरोट्रांसमीटर, जैसे सेरोटोनिन (Serotonin), को संतुलित किया जा सकता है, जो मानसिक स्वास्थ्य और पाचन को बेहतर बनाता है।
योग और नाभि-ENS संबंध
योग की क्रियाएँ जैसे नाड़ी शोधन, सूक्ष्म कपालभाति, और नाभि चक्र साधना नाभि के विस्थापन को ठीक तो करती ही हैं साथ-साथ एंटरिक नर्वस सिस्टम को भी बेहतर करती हैं।
नाभि और एंटरिक नर्वस सिस्टम के बीच गहरा संबंध है। नाभि न केवल एंटरिक नर्वस सिस्टम का केंद्र है, बल्कि यह पाचन तंत्र, तंत्रिका तंत्र और शरीर की ऊर्जा प्रणाली को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नाभि के माध्यम से एंटरिक नर्वस सिस्टम की गतिविधियों को समझना और संतुलित करना योग, आयुर्वेद और चिकित्सा के दृष्टिकोण से अत्यंत उपयोगी है।
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