मैं लार को मैं मुँह का प्राकृतिक डाइजीन कहता हूँ, इसलिए कि यह मुँह से लेकर गले तक के पूरे जगह को गीलापन तो करता ही है साथ साथ उस पूरे क्षेत्र को क्षारीय भी बनाए रखता है । इस क्षरीयता से व्यक्ति बहुत सारी मुँह और गले से सम्बंधित रोगों से बच जाता है ।
यदि एक बच्चे में देखा जाय तो ये क्षार की मात्रा बहुत होती है , उसकी अंदर लार का उत्पादन प्राकृतिक रूप से बहुत अधिक होता है किंतु धीरे धीरे उम्र बढ़ने पर जीवनचर्या में बेढंगे बदलाव के कारण मुँह की क्षरीयता बढ़ने के बजाय अम्लीयता की मात्रा बढ़ने लगती है । यही कारण कि मुँह में दुर्गंध , फफोले, छाले , दांतों में ब्लीडिंग , गले में निरंतर खरास तथा reflux जैसी समस्या बढ़ने लगती है ।
कुछ लोगों की जीवनधारा इतनी अधिक बेढंगी होती है कि वे तनाव को कम करने के लिए तंबाकू या गुटका को मुँह में अधिक देर तक रखने लगते हैं , यहाँ तक कि उसको रखकर सो भी जाते हैं जिसके कारण उनके मुँह में अम्ल की मात्रा अत्यधिक बढ़ने लगती है , यहाँ तक कि लेटते हुए acid reflux की मात्रा कुछ और ही बढ़ जाती है जो भविष्य में कैन्सर जैसी समस्या को पैदा करने में सहायक हो सकती है ।
ध्यान रहे मुँह में क्षार की मात्रा के बहुत कम होने से मुँह व गले में कैन्सर सबसे अधिक मैंने देखा है । कभी कभी कुछ लोग जो तम्बाकू इत्यादि नहीं खाने हैं उनको भी मुँह में लार अम्लीय व तेज़ाब से भरी होने लगती है , जिससे उनके पेट के फूलने, मुँह में बदबू , मुँह का कैन्सर, गले में छिलने जैसा अनुभव, पेट व अमाशय के घाव , पेट निरंतर दर्द जैसा बने रहना इत्यादि । इसका प्रमुख कारण उनका anxiety और तनाव है ।
तनाव और ऐंज़ाइयटी की अवस्था में व्यक्ति के अंदर अमल की बढ़ती है और विशेसकरके रात में जब शरीर सीधी लेटती है तब अम्ल व तेजाब पेट से होते हुए मुँह की तरफ आने लगता है ।
इसीलिए आप देखें तो बहुत सारे लोगों में सुबह उठते ही मुँह के अंदर छाले पड़े दिखायी देते हैं , इसका अर्थ है कि मुँह और गले के अंदर अम्ल की मात्रा बढ़ गयी है ।
बचने के उपाय
बहुत रात में भोजन न करें ताकि सोने के पहले भोजन पच जाए ।
भोजन के बाद किसी भी प्रकार से टेलीविजन व कोई स्क्रीन देखना वर्जित है ।
भोजन के आधे घंटे के बाद कम से कम 30 मिनट अपने शरीर को दें । अर्थात टहलने । टहलने से रक्त का संचार बढ़ता है और गहरी नींद में सहायता मिलती है
रात में सोने के आधे घंटे के पहले पानी अवश्य पिएं । अन्यथा पेट में अम्ल और रात में सोते हुए अम्ल बनता है जिससे reflux और ब्लोटिंग होता है ।
सोने के पहले बिस्तर पर लेटते लेटते अपने स्वभाव के अनुरूप प्राणायाम अवश्य करें ताकि गहरी नींद आए और एसिडिटी न बने । ये सबसे अधिक सहायक होता है अपने रक्त में क्षारीय मात्रा बढ़ाने के लिए । रक्त में क्षार बढ़ने से मस्तिष्क को सबसे अधिक शांति मिलती है और वो तनाव रहित होता है जिससे पेट में अम्ल की अधिकता नहीं और गहरी निद्रा आती है ।
ध्यान दें रात कि यात्रा जितनी स्थिर और शांत होगी उतना ही जीवन आनंदमयी और रोग रहित होगा ।
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