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मस्तिष्क का स्वास्थ्य

1 year ago By Yogi Anoop

Voluntary & Involuntary Muscles 

   पाँच ज्ञानेंद्रियों में तीन ही इंद्रियाँ ऐसी हैं जिनकी मांसपेशियाँ ऐक्षिक और अनैक्षिक दोनों हैं । इसको हम आँख जीभ और त्वचा कह सकते हैं । आँखों और जीभ की मांसपेशियों पर हमारा नियंत्रण बिलकुल वैसे ही है जैसे हाँथ और पैर की मांसपेशियों पर होता है । 

 कान और सुगंध की पेशियों पर हमारा सीधा नियंत्रण नहीं हो सकता है । कान के अंदर की पेशियों पर नियंत्रण बहुत कम संभव है  । इसीलिए कानों की मांसपेशियों में बहुत अधिक तनाव देखने को नहीं मिलता है ।  कान के माध्यम से किसी गंभीर बीमारी के आने की संभावनाएँ बहुत कम ही होती हैं । 

उसी इंद्रिय के माध्यम से सबसे अधिक बीमारियों के आने का ख़तरा होता है जिसकी मांसपेशियों में नियंत्रण है किंतु वह नित्रण करता नहीं है । प्रकृति ने इनकी मांसपेशियों में नित्यंत्रण दिया है किंतु हम हैं कि उस पर नियंत्रण करते नहीं है । 

चूँकि दो इंद्रियाँ जिसमें आँखें और जिह्वा ऐसी है जिनको व्यक्ति ने नियंत्रण के बजाय पूर्ण रूप से खुला छोड़ दिया है । इसीलिए इन्ही दोनों में सबसे अधिक तनाव आता है । और इन्हीं दोनों के तनाव से देह में सबसे अधिक रोग आता हैं । 


मेरे अनुसंधान और प्रयोग में इन्हीं दोनों को ढीला करने का प्रयास किया जाना चाहिए । इन दोनों की पेशियों को ढीला करने पर मस्तिष्क के कई तनावग्रस्त हिस्से ढीले और शांत हो जाते हैं । जिससे देह स्वतः ही हीलिंग स्टेट में आ जाता है । विशेषकरके शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंग । 

मैं हमेशा शरीर को स्वस्थ कराने के लिए बिलकुल वैसी ही स्थिति पैदा करने की कोशिश करता हूँ जैसे गहरी नींद में देह और मस्तिष्क की स्थिति होती है । यदि गहराई से देखें तो गहरी नींद में मन का मस्तिष्क और शरीर से ऐक्षिक संपर्क कट जाता है । केवल अनैक्षिक संपर्क व संबंध रहता है । मृत्यु में तो ऐक्षिक  और अनैक्षिक दोनों संबंध समाप्त हो जाते हैं किंतु गहरी नींद में ऐसा नहीं होता है । गहरी नींद में कुछ घंटों के लिए केवल ऐक्षिक संबंध ही समाप्त हो जाते हैं । 

यदि ऐसी ही स्थिति हम अपने इक्षानुनासार ध्यान व स्किल के माध्यम से बिना सोये इन इंद्रियों को सुला दें तो अपना कार्य बन जाएगा । हमें सफलता मिल जाएगी । 

मैंने अपने शोध के दौरान पाया कि इस मस्तिष्क को सबसे अधिक डैमेज करने वाली चीज आवश्यकता से अधिक मस्तिष्क की मांसपेशियों को अनावश्यक तनाव देना है । 

ध्यान दें ये मांसपेशियों इस मनुष्य की इक्षाओं के आधार पर ही दी जाती हैं । 

और यदि इक्षाओं से तनाव दिया जा सकता है तो उन्हीं कक्षाओं से तनाव को समाप्त भी किया जा सकता है । 

इन ऐक्षिक मांसपेशियों में सबसे अधिक आँखों की और जिह्वा की मांसपेशी ही है जिसके द्वारा मस्तिष्क की मांसपेशियों में तनाव की मात्रा बढ़ती ही जाती है । 

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