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मस्तिष्क का डिस्चार्ज होना 🧘‍♂️

3 years ago By Yogi Anoop

Brain Discharged  🧘‍♂️


 वैचारिक क्रियाएँ जितनी तीव्र होती हैं उतना ही जल्दी मस्तिष्क डिस्चार्ज होता है । वो इसलिए कि कल्पनाओं की उड़ान में मस्तिष्क का हिस्सा बहुत कार्य करता है, उसे स्थान , रंग , आकार , और एक पूरी कहानी के साथ पूरी स्क्रिप्ट तैयार करनी पड़ती है, जिससे मस्तिष्क की ऊर्जा बहुत खर्च होती है । और ध्यान दो इस पूरी स्क्रिप्टिंग में जो भी परिणाम निकलता है विशेष रूप से वो नकारात्मक होता है । 

सत्य तो ये है कि हम स्क्रिप्टिंग करते ही हैं नकारात्मक परिणाम लाने के लिए । और इस स्क्रिप्टिंग में बहुत anxious डिटेलिंग होती है, कब किसने कैसे  किससे चालाकी की , उसके बोलने के पीछे क्या राज थे इत्यादि इत्यादि बारे उन्हें पूरी जानकारी होती है ।  इस प्रकार के लोगों में एक फुंसी को कैन्सर बनाने की क्षमता तुरंत होती है । वे एक छोटी से छोटी चीज़ों बड़ी से बड़ी बनाने में बहुत समय लगते हैं । अर्थात् छोटी बातों को बम बनाने में मास्टरी होती है । 

 मेरे अनुभव में मन जितना ज़्यादा anxious डिटेलिंग करता है उतना ही जल्दी मस्तिष्क की ऊर्जा का क्षरण होता है  अर्थात् ब्रेन डिस्चार्ज हो जाता है । 

और ध्यान दें उस मस्तिष्क की बैटरी को चार्ज करने के लिए उतना ही ऊर्जा की ज़रूरत पड़ती है । 

इस अवस्था में मस्तिष्क किस प्रकार के ऊर्जा को ढूँढती है , सबसे पहले शुगर और फ़ैट । विशेष करके रात में डिस्चार्ज्ड ब्रेन chocolate और चाय पर कूद पड़ता है । ख़ास करके स्त्रियाँ Coffy और चाय पर तो कूदती ही हैं साथ साथ टीवी पर सास बहु की स्टोरी । 

थोड़ा हाइपर क़िस्म के लोगों को इस सामान्य शुगर से कम नहीं चलता तो फ़र्मेंटेड शुगर पर कूदते हैं अर्थात् ऐल्कहॉल लेना शुरू करते हैं और साथ साथ non-veg खूब दबा कर खाते हैं । तली भुनी भोजन की भी बहुत आवश्यकता पड़ने लगती है । क्योंकि सबसे अधिक तेज़ी से ऊर्जा इसी तरफ़ से मिलती है 

और यदि इस ज़रूरत को तुरंत न पूरा किया गया तो मूड स्विंग्स होने लगते हैं । उनमें  डिप्रेशन के लक्षण भी दिखने लगते हैं । 


इस प्रकार की हरकतों से उन्हें अपने मस्तिष्क को पुनः रीचार्ज करने में सहायता मिलती हैं , पर ध्यान दें इस प्रकार से ब्रेन चार्जिंग में बहुत बड़ा रिस्क फ़ैक्टर भी होता है , इसमें आप फ़र्मेंटेड शुगर व फ़ैट की वृद्धि कर रहे हैं । सत्य ये है कि आप अपने डिस्चार्ज्ड ब्रेन को dead कर रहे हैं । अब इससे बचने के लिए हमारे पास भला साधन क्या  हैं, इस पर भी बात कर लिया जाय । 


Recharge The Brain 


  • जिस समय ब्रेन डिस्चार्ज्ड हो उसी समय दो क्रियाएँ करनी आवश्यक हैं  रीढ़ की वो क्रिया जो रक्त को मस्तिष्क की ओर लाए । वो प्राणायाम जो मस्तिष्क में प्राण के लेवल को बढ़ाए । 


  • सोने के पहले अपने स्वभाव के अनुरूप प्राणायाम अवश्य करें । वैसे एक सामान्य प्राणायाम का ज़िक्र कर देता हूँ , वो है deep चेस्ट breathing। और अधिक सीखना हो तो आस पास किसी गुरु से अवश्य सलाह ले लें । 


  • 8 बजे के बाद कोई भी स्क्रीन न देखें । चाहे वह सत्संग ही क्यों न हो । 8 बजे के बाद का समय सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके शरीर मन इंद्रियों को शांत करने के लिए ही होना चाहिए । वॉक कर सकते हो , प्राणायाम करो , अपने बारे लिख सकते हो , कुछ भी करो वो आपका अपना होना चाहिए । किंतु यदि आप सोचते हैं की स्क्रीन देख कर आप अपना समय निकल रहे है , तो मैं बतला दूँ कि वो एंजॉमेंट नहीं है । 


  • खाना जल्दी करें , उसके आधा घंटे के बाद वॉक अवश्य करें । आराम से वॉक करें । जल्दी बाज़ी बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए । 


  • सोने के पहले यदि हो सके तो स्नान अवश्य करे । यद्यपि इस ठंडी में अभी मैं स्वयं नहा नहीं आ रहा हूँ । तो आप देख लेना कैसे करना है । 



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