मधुमेह रोग - यौगिक समाधान
मधुमेह आजकल विश्व में सबसे अधिक पाई जाने वाली बीमारियों में से एक है। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व में मधुमेह रोगियों की संख्या लगभग 45 करोड़ है और विश्व में मधुमेह से पीड़ित होने वाला हर पांचवा व्यक्ति भारतीय है।
मधुमेह एक चयापचय संबंधी रोग है जिसमें किन्हीं कारणों से पैंक्रियाज ग्रंथि द्वारा इंसुलिन हार्मोन के पर्याप्त श्राव न होने के कारण शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोज का उपयोग उर्जा के रुप में नहीं कर पाती हैं। जिससे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। इसी अनियंत्रित एवं उच्च रक्त शर्करा स्तर की अवस्था को ही मधुमेह कहा जाता है। मधुमेह रोग ही नहीं है अपितु अनेकों रोगों जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, किडनी का खराब होना, नपुंसकता तथा आंखों का खराब होना आदि का कारण भी बनता है।
मधुमेह रोग का मुख्य कारण अनियंत्रित और अप्राकृतिक जीवन चर्या, मोटापा, अति भोजन, आरामतलबी, व्यायाम की कमी तथा बेहिसाब तनाव है।
आधुनिक चिकित्सा पद्धति ने इस रोग का इलाज ढूंढकर मनुष्य को असमय काल के गाल में जाने से तो बचा लिया है किंतु इसका स्थाई समाधान इसके पास आज तक नहीं है तथा इसके भयंकर दुष्प्रभाव रोगी को अलग से झेलने पड़ते हैं। किंतु, यदि यौगिक चिकित्सा विधि को अपनाया जाए तो समस्या का दुष्प्रभाव रहित स्थायी समाधान मिल जाता है। इस समस्या के निदान हेतु निम्न यौगिक क्रियाएं बहुत प्रभावकारी हैं-
आसन-
प्रारम्भ केवल सूक्ष्म व्यायाम और सरल आसन से करें। ताड़ासन, त्रिकोणासन, कटिचक्रासन, वज्रासन, उष्ट्रासन, मंडूकासन, अर्ध मत्स्येंद्रासन, पवनमुक्तासन तथा धनुरासन आदि महत्वपूर्ण हैं। धीरे धीरे अभ्यास में क्षमतानुसार कठिन आसनों जैसे- सूर्य नमस्कार, पश्चिमोत्तानासन, हलासन, भूनमनासन तथा मयूरासन आदि को जोड़ा जा सकता है। यहां पर
भूनमनासन के अभ्यास की विधि का वर्णन प्रस्तुत है-
- दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा फैलाकर जमीन पर बैठ जाइए। यह दंडासन है। शरीर के सभी अंगों को ढीला छोड़ कर पांच लंबी और गहरी श्वास प्रश्वास लीजिए। इसके बाद अपने दोनों हाथों को नितंब के पीछे दांई ओर इस प्रकार ले जाएं कि दांया हाथ बांये नितंब के पीछे तथा बांया हाथ दांये नितंब के पीछे स्थित हो जाएं। दोनों हाथों की कुहनियों को इस प्रकार मोड़ें कि वे जमीन को स्पर्श तो न करें किंतु अंतिम स्थिति में सिर जमीन को स्पर्श करे। ध्यान रहे कि किसी भी तरफ का नितंब जमीन से ऊपर न उठने पाए। यह भूनमनासन है। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रुककर वापस पूर्व स्थिति में आइए। इसके बाद यही क्रिया दूसरी तरफ भी करें।
प्राणायाम-
मधुमेह रोग को नियंत्रित करने में कपालभाति, भस्त्रिका, अग्निसार, बंध तथा नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है। यदि योग्य मार्गदर्शन में अपनी क्षमता का ध्यान रखते हुए इनका अभ्यास किया जाए तो दवाई और इंसुलिन से मुक्ति या इनकी मात्रा अवश्य कम की जा सकती है।
योग निद्रा एवं शिथिलीकरण-
इस समस्या का मूल कारण अत्यधिक और अनियंत्रित मानसिक तनाव और एंजायटी है। यदि प्रतिदिन शवासन, योग निद्रा और ध्यान आदि का अभ्यास किया जाए तो इस रोग के मूल कारण का निदान किया जा सकता है। इनके अभ्यास से मन में सात्विकता, शांति, निश्चिंतता तथा सहजता आती है जो रोग के मूल कारण को ही नष्ट कर देता है।
आहार-
कम कार्बोहाइड्रेट एवं कम स्टार्च से युक्त शाकाहारी भोजन अपनाएं। चीनी, चावल तथा आलू का सेवन बंद करें। साबुत अनाज, हरी सब्जियां और चने, जौ की चोकरयुक्त रोटी लेनी चाहिए। कोई एक फल भी लेना चाहिए।
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