यदि नाभि के हटने की समस्या के मूल कारण और कपालभाती प्राणायाम के महत्व को समझ लेंगे तो अवश्य ही यह समझने में आसानी होगी कि इसे नाभि के हटने पर किया जा सकता है अथवा नहीं ।
जहां तक मेरा 40 वर्षों का अनुभव है उसमें मैंने नाभि के हटने के मूल कारणों में से कुछ कारण यह पर उद्धृत कर रहा हूँ । जैसे पेट के मध्य भाग में वायु का असंतुलित हो जाना, अम्ल और पित्त का आवश्यकता से अधिक बढ़ जाना, अवसाद में रहना, एंजाइटी का स्वभाव, अधिक चिन्तनशीलता का होना इत्यादि कई मानसिक और शारीरिक करण हैं जिससे नाभि के हटने का ख़तरा होता है ।
यदि बहुत गहराई और सूक्ष्मता से देखा जाये तो कपालभाती प्राणायाम इन सभी कारणों को समाप्त नहीं कर सकता है । क्योंकि यह प्राणायाम साइनस क्षेत्र में अभ्यास करवा कर अग्नि प्रज्ज्वलित करता है । इस अग्नि के प्रज्वलन से देह के अंदर डेटॉक्सीफिकेशन होता है ।
यहाँ पर 2 बातें ध्यान देने योग्य हैं;
१ - शरीर में डिटॉक्सीफिकेशन का पहला मार्ग है शरीर में गर्मी पैदा कर देना ।
२- दूसरा मार्ग है , मन और शरीर को को ऐसा तत्व देना जिससे देह में गर्मी भी पैदा ना हो और डिटॉक्सीफिकेशन भी हो जाये ।
कपालभाती प्राणायाम एक ऐसा अभ्यास है जिसके माध्यम से देह में अत्यंत तीव्र गर्मी पैदा होती है और डिटॉक्सीफिकेशन होना प्रारंभ हो जाता है किंतु इस प्रयोग में बहुत ख़तरे भी होते हैं । इसीलिए इसके अभ्यास में अति सावधानी की आवश्यकता होती है । ऐसे अभ्यास से नाभि में गर्मी पैदा होने के कारण नाभि से संबंधित समस्याएँ और ही बढ़ जाति हैं ।
किंतु ऐसा प्राणायाम व शारीरिक अभ्यास जो चित्त को स्थिर करता है वह शरीर के नाभि क्षेत्र में अग्नि बहुत तेज़ी मात्रा में पैदा नहीं करता है । वह संतुलित मात्रा में ही नाभि के क्षेत्र में अग्नि पैदा करता है जिससे शरीर में धातु का निर्माण धीरे धीरे होता है । उसका उपयोग शरीर में इतनी धीरे धीरे होता है जिससे मन में वासनात्मक बेचैनी नहीं बढ़ती ।
जब कि दूसरी तरफ़ ऐसे प्राणायाम जो शरीर में शीघ्रता से गर्मी पैदा करते है जैसे कपालभाती और भास्त्रिका प्राणायाम, शरीर के अंदर बहुत जल्द ही धातु का निर्माण करना प्रारंभ कर देते हैं और साथ साथ मन के अंदर बेचैनी बढ़ा देते हैं । इसके अभ्यास से सेक्स की इक्षा बहुत जल्दी जल्दी आनी प्रारंभ होने लगती है जिससे मन में चंचलता बढ़ जाती है और फ्रस्ट्रेशन बढ़ने लगता है । साथ साथ पित्त और अम्ल के भी बढ़ने की अधिक संभावनायें हो जाति हैं जिससे लंबे समय में स्वास्थ्य के ख़राब होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं ।
इसीलिए मैं नाभि के हटने में में ऐसे प्राणायाम को करने की सलाह नहीं देता हूँ ।
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