कफ़ प्रकृति का मूल स्वभाव और शरीर मन में असंतुलन , रोग का निराकरण ।
सामान्यतः कफ़ प्रकृति को ज़ुकाम इत्यादि से जोड़ दिया जाता है । किंतु सत्य है कि कफ़ प्रकृति आपके मूल स्वभाव की ओर इंगित करता है । कफ़ का अर्थ जल है । जल का मूल स्वभाव परिवर्तन है । उसको जिस भी बर्तन में रखो वो बदल जाता है । उसके स्वभाव में निरंतर परिवर्तन होता रहता है । उसके स्वभाव में absorption करने की capacity होती है । जैसे एक घड़ा है , उस घड़े में कुछ कंकड़ डालते हैं तो वह पानी उन सारे कंकड़ों को absorb कर लेता है । इसी प्रकार कफ़ प्रकृति के लोग अपने अंदर भावनाओं को absorb कर लेते हैं और यहाँ तक कि अपनी अच्छाइयों को बाहर निकल देता है और चिंता और भावनाओं को अपने अंदर सदा के लिए रख लेते हैं । ध्यान दें इसी मानसिक स्वभाव से शरीर में परिवर्तन होना शुरू होता है । विशेषकर चिंता , कब्ज़ , पिंडली में दर्द इत्यादि होना प्रारम्भ होने लगता है ।
सामान्य व्यक्ति के इस मूल स्वभाव के कारण शरीर में रोगों की संख्या बढ़ती जाती है , मेरा अपना इलाज का तरीक़ा मन मस्तिष्क को अपने स्वभाव में लाना है और उसके बाद शरीर स्वतः ही अपने स्वभाव में आ जाएगा । अर्थात् शरीर निरोगी हो जाएगा । ध्यान दें मैं उन समस्याओं की बात कर रहा हूँ जिसको मैं असंतुलन कहता हूँ, उसे मैं रोग नहीं कहता हूँ । ध्यान दें जब शरीर का कोई अंग एक विशेष सीमा से बाहर जाकर रोगी हो जाता है तब मैं शरीर, मस्तिष्क और फिर मन की ओर मानता हूँ ।
किंतु 100 लोगों में 90 लोगों को कोई रोग होता ही नहीं । उन्हें तो बस असंतुलन होता है और उस अवस्था में सबसे पहले मन, फिर उसके बाद मस्तिष्क, फिर उसके बाद शरीर में तो स्वतः ही असंतुलन समाप्त होने लगता है और इसमें बहुत जल्द ही फर्क पड़ जाता है ।
ध्यान दें ये स्वभाव व्यक्ति के अपने अंदर जन्मजात ही आता है । उस जन्मजात स्वभाव को बदल नहीं सकते ।
केवल अस्वाभाविक स्थिति को स्वभाव में लाना है । अस्वाभाविक स्थिति के कारण ही तो असंतुलन हुआ है ।
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