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खर्राटे से लिवर और दिमाग़ का खतरा !

2 months ago By Yogi Anoop

खर्राटे से ब्रेन हैंब्रेज का खतरा ! लिवर पर खतरा !

    क्या खर्राटे का अर्थ है कि मस्तिष्क का घात व यकृत (लिवर) खराब का ख़राब होना । मेरे विचार से, ऐसा बिल्कुल नहीं है । इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। किंतु यह एक ऐसी समस्या है जो संकेत है इन सभी रोगों के आने की । सर्वप्रथम इस पूरी प्रक्रिया को समझ लेना आवश्यक होगा । खर्राटे का अर्थ  है कि आपकी सांस का मार्ग, यानी श्वास-प्रश्वास का मार्ग, बाधित हो रहा है, विशेषकर जब आप सोते हैं। चूँकि जीव जैसे ही सोने की प्रक्रिया पूरी करने वाला होता है , उसके अंग ढीले होने शुरू होते हैं । विशेषकर स्वास -प्रश्वास का मार्ग । नींद तभी आती है जब कई हिस्सों में से गले जबड़े के हिस्से में पूरी तरह से ढीले हो जाते हैं । जब ये ढीला होता है तब श्वास प्रश्वास का मार्ग बाधित होने लगता है । वह इसलिए क्योंकि यहाँ की मांशपेशियों अथवा वहाँ के आस पास के क्षेत्रों में कमजोरी आ गई है ।   

चूँकि सोते समय श्वास के माध्यम से आवश्यक ऑक्सीजन स्वास प्रश्वास की नाली के सहयोग से पूरे शरीर में भेजा जाता है। किंतु जब खर्राटे आते हैं, तो इसका अर्थ है कि शरीर को उतनी ऑक्सीजन नहीं मिल रही जितनी उसे चाहिए।

जब शरीर के अंदर ऑक्सीजन का स्तर सही नहीं होता, तो इसका दुष्प्रभाव फेफड़ों पर सबसे पहले पड़ता है , उसे साँसों को जितनी आवश्यकता है उतनी नहीं मिल पाती है , और वह आवश्यकतानुसार हृदय को आपूर्ति नहीं कर पाता है । और स्वाभाविक रूप से हृदय अपना कार्य अगले स्तर पर कैसे कर पायेगा । अंततः देह के समस्त अंग विशेष रूप से मस्तिष्क ऑक्सीजन की सर्वाधिक आवश्यकता होती है सोते समय , बाधा पहुँचती है । 

इससे यह तो सिद्ध होता है कि गहन निद्रा में जिसमें देह मस्तिष्क को पूर्ण आराम मिलता है , इस अवस्था में नहीं मिल पा रहा है । 

ध्यान दें ऐसी अवस्था का मूल अर्थ ही है कि गहन निद्रा में में स्थिर रहने की लंबाई लगभग नगण्य है । जैसे ही नींद आती है वैसे ही खर्राटे शुरू हो जाते हैं । ऐसी अवस्था यह बताई है कि नींद में जो व्यक्ति स्वयं को कुछ घंटों के लिए स्वयं को भूल देता है, वह अब नहीं हो पा रहा है । देह का मन और मन का देह से संपर्क टूट नहीं पा रहा का । परिणामस्वरूप आत्म संतोष लगभग न के बराबर हो जाता है । देह की ही हीलिंग लगभग समाप्त सी हो जाती है । 

मेरे अनुभव में देह का मन से और मन का देह से कुछ घंटों के लिए संपर्क न टूटने पर सबसे अधिक मस्तिष्क को क्षति तो पहुँचती ही है किंतु साथ साथ देह के प्रमुख अंग जैसे यकृत और आँतों की क्रिया प्रणाली बहुत अधिक बाधित होती है । यकृत तभी शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूर्ण रूप से प्रारंभ करता है जब मस्तिष्क से आने वाले वैचारिक संदेश रुक जाते हैं । अर्थात् ऐक्षिक गतिविधियां रुक जाती है । अर्थात् जब मन का देह से संपर्क टूट जाता है । आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, जब शरीर और मस्तिष्क गहरी नींद में होते हैं, तब यकृत और वृक्क (किडनी) की शुद्धिकरण प्रक्रिया सक्रिय होती है।

मेरे अनुभानुसार खर्राटा ही नहीं यदि नींद में किसी भी प्रकार की बाधाएं होती हैं तो देह और मस्तिष्क ऑक्सीजन का स्तर बनाए नहीं रख पाता है । परिणामस्वरूप शुद्धिकरण की प्रक्रिया प्रभावित होने लगती है । इसलिए जिन्हें खर्राटे आते हैं, उनका यकृत शुद्धिकरण सही तरीके से नहीं कर पाता है और समय के साथ वह अधिक वसा को आवश्यकता से अधिक अवशोषित करने लगता है, जिससे वसायुक्त यकृत (फैटी लिवर) की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यदि हम ध्यान दें, तो 70-80% खर्राटे लेने वाले लोगों में प्रथम श्रेणी (ग्रेड वन) वसायुक्त यकृत अर्थात् फैटी लिवर की समस्या देखने को मिलती है । और हृदय की समस्या भी बढ़ने लगती है । वह इसलिए कि उस हृदय पर अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है वह भी जब उसे आराम की अवस्था में होना चाहिए था । इसलिए यह कहना कि खर्राटे से लिवर फैटी होता है उचित होगा । 

ध्यान दें इस खर्राटे से न केवल लिवर बल्कि ब्रेन हैंब्रेज के होने से सीधा संबंध होता है , वह इसलिए कि रात में सांसों के थोड़े समय के लिए रुकते रहने पर रक्त चाप बढ़ने लगता है और रात में सोते समय ही रक्त चाप बढ़ता है और कभी कभी नाक से रक्त प्रवाह होने लगता है , और कभी कभी दुर्भाग्यवश ऐसा न होने पर मस्तिष्क की नसें फट जाती हैं और ब्रेन हैम्ब्रेज होने की संभावनाएं बहुत अधिक बढ़ जाती है ।  इसीलिए खर्राटों को हल्के में नहीं लेना चाहिए , क्योंकि यह एक गंभीर रोग का संकेत हो सकता है । यह समस्या कब्ज से भी अधिक गंभीर हो सकती है, क्योंकि खर्राटों के दौरान आपकी सांस रुक सकती है, जिससे हृदयाघात, मस्तिष्क क्षति और पक्षाघात का खतरा बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, यह तंत्रिका तंत्र पर भी दुष्प्रभाव डाल सकता है और साथ साथ स्मृति दोष का खतरा बढ़ जाता है ।

समाधान 

अब इस समस्या के समाधान की बात करते हैं। अधिकतर चिकित्सा विज्ञान में मशीन का उपयोग करने का सुझाव दिया जाता है, जो सांस की आपूर्ति को संतुलित कर मस्तिष्क और शरीर को उचित मात्रा में श्वास प्रदान करती है। यद्यपि यह एक स्थायी समाधान नहीं है। गंभीर मामलों में, इस साधन का उपयोग किया जा अवश्य किया जाना चाहिए है, परंतु यदि यह समस्या 50 वर्ष व इसे पूर्व की आयु में उत्पन्न हो रही है, तो मशीन का सहारा लेना उचित नहीं है।इसका सीधा सा कारण है कि आपकी जीवन शैली बहुत दूषित अही । जीवन शैली का अर्थ सिर्फ समय से उठना, भोजन सोना इत्यादि ही नहीं है , बल्कि शरीर इन्द्रिय और मन का अभ्यास किया जा रहा है अथवा नहीं ।  

मेरे द्वारा किए गए अनेकों प्रयोग में से एक में कुछ प्राणायाम है जो बहुत ही उत्तम हैं । नाक से लेकर गले तक की मांसपेशियों का अभ्यास प्राणायाम के माध्यम से अवश्य करवाया जाना चाहिए जिससे उन क्षेत्रों का संबंध मस्तिष्क से उचित मात्रा में हो जाय । यदि इन मांसपेशियों को सुदृढ़ कर लिया जाए, तो 100% खर्राटों पर नियंत्रण संभव है, और वह भी कुछ दिनों में, महीनों में नहीं। यहाँ पर कुछ प्राणायाम हैं जैसे टर्टल ब्रीथिंग के साथ उज्जयी प्राणायाम का अभ्यास । मुँह से किया जाने वाल भस्त्रिका का अभ्यास । 

इस समस्या का समाधान न केवल प्राणायाम बल्कि आसन और बंध के माध्यम से भी किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार की यौगिक क्रियाएँ हैं, जिनके माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। चूंकि नाक से लेकर गले तक के आंतरिक अंगों को बाहरी मांसपेशियों के व्यायाम से मजबूत नहीं किया जा सकता, इसलिए योग पद्धति में प्राणायाम का उपयोग किया जाता है, जो श्वास में आने वाली बाधाओं को दूर करने का प्रभावी तरीका है।

सांस के मार्ग को मजबूत करने के लिए उज्जायी प्राणायाम अत्यधिक प्रभावी है। यदि आप हमारे वीडियो और कार्यक्रमों में इसे सही तरीके से अनुसरण करेंगे, तो इस समस्या से निजात पा सकते हैं। उज्जायी प्राणायाम के विभिन्न प्रकार और रूप होते हैं, जो गले और कंठ की मांसपेशियों को सुदृढ़ करने में सहायक होते हैं। इसके अतिरिक्त, जालंधर बंध का अभ्यास भी इन मांसपेशियों को मजबूत करने में सहायक है। कुछ विशेष आसन हैं, जिन्हें यदि आप 10 मिनट के लिए करेंगे, तो 100% सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे और मशीन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। साथ ही, इससे यकृत, पाचन और मलोत्सर्जन पर पड़ने वाले सभी दुष्प्रभाव 100% समाप्त हो जाएंगे । 

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