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खाली पेट,खाली आँत,खाली दिमाग़

1 month ago By Yogi Anoop

खाली पेट, खाली आँत खाली दिमाग़; यही स्वास्थ्य है 

शिष्य: गुरुजी, आपने कहा कि “ख़ाली पेट, ख़ाली आँत और ख़ाली दिमाग़ होना ज़रूरी है। लेकिन यह तो बहुत कठिन लगता है। इसे हम कैसे समझें और अपने जीवन में कैसे लागू करें? 

योगी अनूप: शिष्य, यह सत्य है कि “ख़ाली पेट, ख़ाली आँत और ख़ाली दिमाग़” की स्थिति में पहुँचना आज के समय में कठिन प्रतीत होता है। लेकिन यह कठिनाई केवल हमारे अपने बनाए हुए भ्रम और आदतों की देन है। शरीर और मस्तिष्क का मूल स्वभाव यही है कि वे तभी अपने-आपको पूरी तरह से हील कर सकते हैं, जब वे स्वच्छ, शांत और अक्रिय अवस्था में हों । इसका मूल अर्थ यह है कि शरीर में पाचन या निष्कासन की कोई गतिविधि नहीं चल रही हो और मस्तिष्क में कोई विचार न हों । यह अवस्था ही विशुद्ध नींद प्राप्य है और ध्यान की अवस्था में प्राप्त होती है । इसी गहन विश्राम में देह स्वयं को हील करने में कामयाब होता है ।

विज्ञान और दर्शन का संबंध 

हमारे शरीर का हर अंग अपनी एक स्वाभाविक गति में काम करता है। दिन के समय, शरीर भोजन को पचाने, ऊर्जा उत्पन्न करने और विभिन्न क्रियाओं को संचालित करने में व्यस्त रहता है। रात का समय, शरीर और मस्तिष्क को मरम्मत और पुनर्निर्माण का समय देने के लिए है। किंतु ग़लत जीवनशैली, इस चक्र को उलट देता है। 

रात में सोने से पहले लोग पेट में भारी भोजन भरते हैं। इसके पीछे उनका यह विश्वास होता है कि इससे उन्हें नींद अच्छी आएगी। पेट के भरे होने पर थोड़ा नशे की भी अनुभूति होती है । वह इसलिए कि भोजन के जाने पर निद्रा जैसी अनुभूति का होना स्वाभाविक होता है । किंतु ऐसा करके वे शरीर और मस्तिष्क पर अत्यधिक दबाव डालते हैं। पेट में भोजन भरने के कारण पाचन क्रिया नींद में भी चालू रहती है, और मस्तिष्क ही नहीं बल्कि लिवर जैसा महत्वपूर्ण अंग कार्यरत रहता है । उसे पूर्ण विश्राम नहीं मिलता। यही कारण है कि भोजन करने के तुरंत बाद सोने वाले लोग अधिक स्वप्न देखते हुए पाये जाते हैं । और साथ साथ सुबह उठने पर एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याओं से भी सामना करना पड़ता है । 

भरे पेट और विचारों का प्रभाव

शरीर का विज्ञान यह कहता है कि यदि आँतें मल से भरी हैं और पेट भोजन से भरा है, तो शरीर कभी पूरी तरह आराम की मुद्रा में जा नहीं सकता है । पाचन और निष्कासन की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। इस प्रक्रिया में शरीर के अधिकांश संसाधन उपयोग में रहते हैं । इससे थकान के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं मिलता है । 

दूसरी ओर, पेट और आँतों के भरे रहने पर मस्तिष्क भी विश्राम की अवस्था में नहीं जा पाता है इससे विचारों से भरा मस्तिष्क भी रात के समय पूरी तरह सक्रिय रहता है। ऐसा मस्तिष्क शरीर के प्राकृतिक चक्र को समझने और अनुसरण करने में असमर्थ हो जाता है। परिणामस्वरूप, अधिकांश लोग रात में मल त्याग की प्रवृत्ति खो देते हैं। आँतें मल को बाहर निकालने के बजाय उसे अंदर रोक कर रखती हैं। यह पेट और आँतों में गड़बड़ी, कब्ज, और दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बन सकता है।

ख़ाली पेट, ख़ाली आँत, और नींद का रहस्य

जब हम खाली पेट और खाली आँत के साथ सोते हैं, तो शरीर और मस्तिष्क पूरी तरह से “रिकवरी मोड” में आ जाते हैं। उस समय पाचन और निष्कासन की कोई बाधा नहीं होती। यह स्थिति शरीर के स्वाभाविक हीलिंग प्रोसेस को सक्रिय कर देती है। मस्तिष्क भी देह के दबावों से मुक्त होने के कारण विश्राम में स्थित हो जाता है , और शरीर भोजन और मल के दबाव से मुक्त होकर स्वयं को विश्राम की अवस्था में स्थित कर लेता है । अर्थात् मस्तिष्क और देह एक दूसरे को हस्तक्षेप न करते हुए स्वतंत्र होकर शांत मुद्रा में चले जाते हैं ।

दर्शन की दृष्टि से, जब शरीर और मस्तिष्क दोनों अक्रिय हो जाते हैं, तो मन का देह से संबंध स्वतः ही टूट जाता है । यही स्थिति सच्चे विश्राम ,योगनिद्रा व निद्रा की है। इस अवस्था में मन समाप्त हो जाता और  आत्मा स्वयं में पूर्णतः स्थित हो जाती अहि ।

प्राकृतिक अवस्था में लौटने के उपाय

शिष्य, इस अवस्था को प्राप्त करने के लिए अनुशासन की आवश्यकता है। तुम्हें निम्न उपाय अपनाने होंगे:

1. रात्रि भोजन हल्का और जल्दी करें: सोने से कम से कम 2-3 घंटे पहले भोजन करें, और वह भी हल्का और सुपाच्य हो। भारी भोजन से बचें, जो रात भर पाचन तंत्र को सक्रिय रखे। मैं तो कहता हूँ कि दिन में भोजन से संबंधित सारी इक्षायें पूरी कर लें । जैसे ही रात हो अपनी इन्द्रियों को ढीला और शांत करने के सारे साधन अपनाने प्रारंभ कर दें । रात में अपनी इन्द्रियों की मांसपेशियों के ढीले होने का भी आनद लें । दिन में तनाव और रात में मांसपेशियों के ढीलापन का अनुभव होना चाहिए । 

2. सोने से पहले मल त्याग की आदत डालें: यह आदत धीरे-धीरे बनेगी। इसके लिए दिन भर पर्याप्त पानी पीएं और फाइबर युक्त आहार लें।

3. विचारों को शांत करें: सोने से पहले ध्यान या प्राणायाम करें। यह मस्तिष्क को विचारों से खाली करने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। इसके लिए किसी अनुभवी गुरु से भी परामर्श किया जा सकता है । 

4. सोने से पहले डिजिटल उपकरणों से दूर रहें: स्क्रीन पर समय बिताने से मस्तिष्क अधिक सक्रिय हो जाता है। सोने से एक घंटे पहले सभी डिजिटल उपकरण बंद कर दें।

5. अपने दिनचर्या का अवलोकन करें: ध्यान दें कि दिन भर के आपके व्यवहार और आदतें कैसे आपकी रात की नींद को प्रभावित कर रही हैं। धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव करें। 

ख़ाली करने का असली उद्देश्य

शिष्य, यह समझो कि ख़ाली करें का उद्देश्य केवल शरीर को आराम देना नहीं है बल्कि शरीर के अंगों को जो दिन भर कुछ न कुछ भरे रहने में ही व्यस्त रहते हैं , विश्राम देना है । इससे शरीर और मन अपने स्वाभाविक चक्र में कार्य करने लगता है । यही वह स्थिति है, जिसे योग और ध्यान में “सहज समाधि की स्थिति” कहा गया है । प्रत्येक अंग अपने सहज स्वभाव में कार्य कर रहे होते हैं ।  

जो व्यक्ति पेट, आँत और मस्तिष्क को ख़ाली रखकर सोने की कला सीख लेता है, वह न केवल गहरी नींद का आनंद लेता है, बल्कि वह शरीर और मस्तिष्क की दीर्घकालिक स्वास्थ्य की ओर भी कदम बढ़ाता है।

शिष्य, यह समझ लो कि असली स्वास्थ्य तभी संभव है, जब शरीर और मस्तिष्क अपने मूल स्वभाव में होते हैं। इसका अभ्यास आरंभ से कठिन लगेगा, लेकिन धीरे-धीरे यह तुम्हारे जीवन का हिस्सा बन जाएगा। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यह अनुशासन तुम्हें शांति, स्वास्थ्य और स्थिरता से भर देगा। 

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