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कब्ज़ और डकार का योगिक उपाय

2 weeks ago By Yogi Anoop

कब्ज़ और डकार: मानसिक और शारीरिक संतुलन का गहराई से विश्लेषण

  कब्ज़ और डकार (बर्पिंग) एक समान समस्याएँ नहीं हैं। डकार अधिक होने पर कब्ज़ कम हो सकता है, और कब्ज़ गंभीर होने पर डकार की संभावना घट जाती है। ये दोनों समस्याएँ चरम सीमा पर एक साथ नहीं पहुँचतीं। लेकिन इनका गहरा संबंध हमारी मानसिक स्थिति और भावनात्मक स्वास्थ्य से होता है। विशेष रूप से, एंग्ज़ाइटी और अत्यधिक मानसिक सक्रियता इन समस्याओं को बढ़ावा देती हैं।

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का आपसी तालमेल

जो व्यक्ति अपनी भावनाओं और समस्याओं को सही ढंग से व्यक्त नहीं कर पाते, वे पाचन तंत्र पर अनावश्यक दबाव डालते हैं। इंटेस्टाइन (आंतें), जो सामग्री को होल्ड करने का कार्य करती हैं, सीमित क्षमता के साथ काम करती हैं। जब विचार और भावनाएँ दबाई जाती हैं, तो आंतें और रेक्टम तनावग्रस्त हो जाती हैं।

• सांस की प्रक्रिया तेज़ होती है, जबकि पाचन धीरे-धीरे चलता है। इस वजह से पाचन तंत्र में “होल्डिंग” की संभावना बढ़ जाती है।

• जो लोग भावनाओं को दबाते हैं, उनमें अपान वायु और समान वायु दूषित हो जाती है, जिससे शरीर और मन दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

भावनाओं को व्यक्त न करने का असर; लोगों की झिझक और गिल्ट उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।

एक उदाहरण: आंध्र प्रदेश से आई एक महिला ने अपनी समस्या साझा की लेकिन उसमें कई बातें छुपा लीं। जब उन्होंने अंततः स्पष्ट किया कि जिस व्यक्ति की वह बात कर रही थीं, वह उनके बगल में बैठे उनके पति ही थे, तब समझ आया कि समस्या उनके अंदर ही दबी हुई थी। इस झिझक और अधूरी अभिव्यक्ति के कारण उनकी समस्या जटिल हो गई ।

• असली समस्या: व्यक्ति अपनी भावनाओं और समस्याओं को साझा करने में असमर्थ रहता है। इसकी वजह से रिश्तों में खिंचाव बढ़ता है और शारीरिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

• समस्या का गहराई से विश्लेषण: जब लोग अपनी बात सही तरीके से सामने नहीं रखते, तो इसका असर उनके आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। ओवरथिंकिंग और अत्यधिक इमोशनल तनाव चेहरे और इंद्रियों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

तनाव और एंग्ज़ाइटी का प्रबंधन

एंग्ज़ाइटी और तनाव को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय मददगार हो सकते हैं:

1. भावनाओं को व्यक्त करें: अपनी समस्याओं को किसी विश्वसनीय व्यक्ति के साथ साझा करें।

2. योग और ध्यान का अभ्यास करें:

3. इंद्रियों को आराम दें: जबड़े को ढीला छोड़ना, आँखों को आराम देना, और गहरी साँस लेना तनाव को कम करने में मदद करता है।

4. डीप ट्रेनिंग: अपने शरीर और मस्तिष्क को नियमित रूप से रिलैक्स करने की ट्रेनिंग दें।

ध्यान दें हमारे शरीर की 70-80% समस्याएँ वास्तव में बीमारियाँ नहीं होतीं। ये मानसिक तनाव और उसका शरीर पर अनावश्यक दबाव के कारण होती हैं।

स्वयं मेरे तनाव ने शरीर में उदान वायु का स्तर बढ़ दिया था। डकार इतनी तीव्र थी कि लोग सोचते थे कि यह किसी जानवर की आवाज़ है। लेकिन यह किसी बीमारी का संकेत नहीं था, बल्कि शरीर और मानसिक असंतुलन का परिणाम था। मैंने इसे नियंत्रित करने के लिए मानसिक और शारीरिक अभ्यास किए और समस्या हल हुई। यहाँ यह भी समझना आवश्यक है कि दवाईयां इस समस्या में बहुत कारगर नहीं होती हैं । ऐसी समस्याओं का अस्थायी समाधान ही हैं ये वाह्य चिकित्सा । यहाँ तक कि आयुर्वेदिक चिकित्सा का भी बहुत अधिक महत्व इस समस्या में देखने को नहीं मिलती है । 

यदि समाधान पूर्ण रूप से प्राप्त करना है तो मन मस्तिष्क और डायफ़्राम के तनाव को ढीला और शांत किया जाये ।  

योग और ध्यान जैसे उपायों को वैकल्पिक उपाय न समझें । सत्य तो यह है कि यही प्रमुख उपाय है । मन, मस्तिष्क एवं शरीर को संतुलित करने में अधिक प्रभावी हैं। यह अभ्यास हमारी नींद, मानसिक शांति और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं।

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