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Heel Your Brain & Heart

4 years ago By Yogi Anoop

     शारीरिक और मानसिक रोगों के बढ़ने का कारण ही है, मस्तिष्क में विचारों के संतुलन का अभाव । ये तीव्रता जितनी बढ़ती जाती है उतना ही वह सुश्त होता चला जाता है । जैसे एक बूढ़े में विचारों का मस्तिष्क में आने की गति बहुत तेज और धारदार होती है बनिस्बत एक बच्चे के । यद्यपि बच्चे और बूढ़े में विचारों के आने की गति लगभग तेज ही होती है किंतु बूढ़े में विचारों की बाढ़ बहुत अधिक होती है । वह विचारों के जाल में इतना फँसा महसूस करता है कि लगता है कि मस्तिष्क ही फट जाएगा । 

मेरे अपने अनुभव में मस्तिष्क को यदि बहुत धारदार बनाना है , तो विचारों के मध्य एक प्रॉपर गैप होना आवश्यक होना चाहिए । 

यदि दो विचारों के बीच में होने वाले गैप अच्छी तरह से गया तो मस्तिष्क किसी भी सस्य को झेल सकता है चाहे वह नकारात्मक विचार हो या कोई सकारात्मक विचार हो । 

     यह कदापि न सोचे कि आपके जीवन में कोई नकारात्मक घटनायें नहीं होंगी । समस्याओं का आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, इसे आप को स्वीकार करना चाहिए , इतिहास में बड़े से बड़े महान व्यक्तियों से भी यही सीख मिलती है , वे भी समस्याओं के से बच नहीं पाए , इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि जब आपके विचारों के मध्य एक प्रॉपर गैप होता है तो वह समस्याओं का आकलन करने में पूर्ण समर्थ होता है । 

जितना तेज विचार चलता है उतना ही आकलन करने की शक्ति कम हो जाती है । और हृदय भी असमर्थ होता रक्त और वायु को मस्तिष्क में भेजने के लिए । 

      जब विचार आराम से धीरे धीरे मस्तिष्क में आते हैं तो हृदय बहुत आसानी से , बिना कोई दबाव के ऑक्सिजन और रक्त को मस्तिष्क में भेजता रहता है । 

      यदि विचारों तूफ़ान आता है तब हृदय दबाव महसूस करने लगता है, उसकी धड़कन तेज बढ़ने लगती है , वह मस्तिष्क को बहुत जल्दी जल्दी ऑक्सिजन भेजना शुरू करता है पर असमर्थ होता है । यही कारण है मस्तिष्क और हृदय के मध्य cordnation बहुत कम होने लगता है जिससे हृदय और मस्तिष्क कि रोगों के बढ़ने की संभावना बढ़ने लगती है । 


1- धीरे धीरे वॉक करें । बहुत तेज वॉक करने का अर्थ है हाइपर होना । और हाइपर होने का अर्थ है स्वयं को अशांत करना । 


2- धीरे बातें करना जिससे आप का शरीर साँसों को लेने समर्थ रहे । बहुत तेज बातें करने पर मस्तिष्क को ऑक्सिजन की पूर्ति में कठिनाई होती है । 


3- जल्दीबाज़ी में काम न करें , अन्यथा हृदय को मस्तिष्क और शरीर के अन्य महत्वपूर्ण हिस्सों में रक्त और ऑक्सिजन भेजने के लिए बहुत कठिनाई का सामना करना पडता है । 

इसीलिए जल्दीबाज़ी में कार्य करने वालों में हृदय की गति हमेशा बढ़ी हुई मिलती है । 


4- प्रतिदिन प्राणायाम करें ताकि मस्तिष्क हाइपर होने से बचे । 


5- रात में सोने के पहले प्राणायाम अवश्य करके सोएँ । मस्तिष्क और हृदय को गहन शांति देनी है तो प्राण की आपूर्ति रात में सबसे अधिक होनी चाहिए । अपने स्वभाव के अनुरूप प्राणायाम अवश्य करें । 


6- बहुत तेजिंदर में आसन का अभ्यास वर्जित है । ऐसे लोगों को बहुत आराम आराम से धीरे धीरे आसनों का अभ्यास करना चाहिए। 


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