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गहरी नींद: टर्टल ब्रीथिंग का महत्व

2 months ago By Yogi Anoop

गहरी नींद: टर्टल ब्रीथिंग का महत्व 

आधुनिक युग के रफ़्तारमय जीवन में गहरी नींद प्राप्त करना किसी उपहार से कम नहीं है । गहरी नींद केवल विश्राम नहीं है, बल्कि यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सशक्त करने की एक प्रक्रिया है। गहरी नींद का तात्पर्य है कि आप “निर्विचार क्षेत्र” में प्रवेश कर रहे हैं। इस अवस्था में आपकी कर्मेंद्रियां और ज्ञानेंद्रियां पूर्णतः शिथिल हो जाती हैं, जिससे आपका मन और शरीर गहन विश्राम का अनुभव करता हैं। इस निर्वाचार क्षेत्र में इस आत्मा को न तो स्वयं का बोध होता है और न ही इस देह संसार का बोध रहता है । इसी अवस्था में सभी अंग , सभी इन्द्रियाँ पुनर्निर्माण , पुनर्जीवन के लिए स्वयं में कार्य करती हैं । किंतु समस्या आधुनिक जीवन शैली और स्वयं के बींच संतुलन की है । इसी असंतुलन में नींद सबसे बड़ी बाधा के रूप में उभर कर सामने आई है । रात्रि के समय अधिक सक्रिय रहना, जैसे देर रात तक मोबाइल या अन्य यंत्रों का उपयोग, आम बात हो गई है। यह आदत हमारी नींद को बाधित करती है और गहरी नींद तक पहुंचना कठिन बनाती है। इस समस्या से बचने के लिए सोने से दो घंटे पहले तैयारी शुरू करनी चाहिए। इसमें सभी इन्द्रियों व उनकी सूक्ष्म मांसपेशियों को शिथिल करना, यंत्रों से दूरी बनाना, और एक शांत वातावरण बनाना शामिल है। यह प्रक्रिया मन को स्थिर करती है और गहरी नींद की ओर ले जाती है ।

प्राणायाम की भूमिका -

नींद को गहन और शांत बनाने के लिए प्राणायाम एक प्राचीन और प्रभावी उपाय है । विशेष रूप से टर्टल ब्रीथिंग के साथ यदि उज्जायी प्राणायाम गहरी नींद के लिए अत्यंत लाभकारी है । इस प्राणायाम में श्वास को नाक से भीतर लिया जाता है और गले व मुख के माध्यम से धीरे-धीरे छोड़ा जाता है। उज्जायी प्राणायाम गले के अंदर उन सूक्ष्म तंत्रों को सशक्त बनाने में सहायता करता है जो मस्तिष्क के मध्य हिस्से की कार्यक्षमता की वृद्धि करता है । यही स्थान मध्यम मार्ग को प्रशांत करता है और साथ साथ गहन निद्रा में तथा स्वयं को विचारों से पृथक करने में पूर्ण सफलता देता है ।

योगी अनूप द्वारा प्रदत्त टर्टल ब्रीथिंग के साथ यदि उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास किया जाय तो मन मस्तिष्क को बहुत आसानी से संतुलित किया जा सकता है । मन स्थिर होता है और मास्तिष्क और देह के अंग शिथिलता का अनुभव बहुत आसानी से करता है। इसका अभ्यास प्रतिदिन 10-11 मिनट तक किया जा सकता है ।  

यहाँ यह ध्यान देने योग्य बात है कि प्राणायाम में समझ और अनुशासन का महत्व सर्वाधिक है । प्राणायाम केवल शारीरिक क्रिया नहीं है बल्कि यह साँसों के अभ्यास के माध्यम से स्वयं की आत्मानुभूति की जाती है । योगी अनूप के दार्शनिक अनुभवों के अनुसार आत्मानुभूति की वृद्धि ही गहन निद्रा तथा मन और देह में होने वाले रोगों से मुक्त कर देता है । 

इसीलिए इसके अभ्यास के पूर्व समझ और दर्शन से संबंधित समझ विकसित कर लेना चाहिए । साथ साथ उचित मार्गदर्शन अवश्य लेना चाहिए जिससे प्राणायाम के अनावश्यक हानिकारक परिणाम से बचाव हो सके । ध्यान दें नियमित और धीरे-धीरे अभ्यास करने से न केवल गहरी नींद प्राप्त होती है, बल्कि अंगों के कार्य भी सुदृढ़ होते हैं। योगी जी द्वार टर्टल ब्रीथिंग और उज्जायी का मिश्रण एक ऐसी विधि है, जो आपकी नींद के साथ-साथ आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

इसीलिए योगी अनूप के अनुसार गहरी नींद प्राप्त करना केवल एक आदत नहीं, बल्कि एक कला है जिसे योग और प्राणायाम के माध्यम से सीखा जा सकता है। प्राणायाम जैसी विधियां हमारे जीवन में मानसिक और शारीरिक संतुलन स्थापित कर सकती हैं। इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और अनुभव करें कि कैसे यह आपके जीवन में शांति, संतुलन और स्वास्थ्य का प्रवाह करती है।

जितनी गहरी आपकी नींद होगी, उतना ही आनंदमय और ऊर्जावान आपका जीवन होगा। इस दिशा में योग और प्राणायाम को अपनाएं और स्वयं को नई ऊर्जा से भरें।


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