शिष्य: गुरुजी, मैं इन दिनों रात को ठीक से सो नहीं पाता। शरीर थका हुआ लगता है, मन बहुत अशांत रहता है। क्या गहरी और सुकून भरी नींद के लिए कोई योगिक उपाय है?
योगी अनूप: निश्चय ही। गहरी नींद केवल शरीर को आराम देने का विषय नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक पुनर्स्थापना का एक गहन अनुभव है। यह वह स्थिति है, जहाँ आपका मन की सवाया की सत्ता कुछ पलों के लिए पूरी तरह शून्य हो जाता है और उस अवस्था में आपकी कर्मेंद्रियां एवं ज्ञानेंद्रियां पूर्णतः शिथिल हो जाती हैं। इसी शून्यता की अवस्था में जहाँ मैं के होने न होने का क्षण भर आभास मात्र नहीं होता है उस अवस्था में ही शरीर और मन का पुनर्जीवन होता है ।
शिष्य: लेकिन गुरुजी, आज के समय में गहरी नींद लेना इतना कठिन क्यों हो गया है?
योगी अनूप: इसका मुख्य कारण स्वयं का आधुनिक जीवन शैली से स्वाभाविक सम्बंध न बना पाना है । दिन को रात और रात को दिन बना देना है । देर रात तक मोबाइल या अन्य उपकरणों का उपयोग करना, अनियमित दिनचर्या और मानसिक अशांति गहरी नींद में बाधा डालते हैं। इसी प्रकार अन्य अनेकों करण हैं जो गहरी नींद के लिए एक प्रमुख बाधा है ।
शिष्य: नींद के लिए तैयारी? क्या आप इसे विस्तार से समझा सकते हैं?
योगी अनूप: गहरी नींद की तैयारी केवल सोने का समय तय करने तक सीमित नहीं है। यह शरीर और मन को व्यवस्थित रूप से शांत और पुनः ऊर्जित करने की प्रक्रिया है। इसका अर्थ है मांसपेशियों और मन को इस प्रकार आराम देना कि वे दिनभर की थकावट से मुक्त होकर संतुलन में आ सकें। सामान्य व्यक्ति शराब व किसी नशीली पदार्थों का सेवन करके उन मंशपोशियों को शिथिल करता है और विशेष व्यक्ति आध्यात्मिक कार्यों के माध्यम से उन्ही थकने वाली मांसपेशियों के थकान को खत्म कर देने में सफल हो जाते हैं और नींद जैसी बाधा को समाप्त कर देते हैं ।
इसके लिए कुछ विशेष श्वसन-प्रश्वसन अभ्यास (प्राणायाम) करना अत्यंत लाभकारी होता है। ये प्राणायाम आपकी पाँच ज्ञानेंद्रियों (आंख, कान, नाक, जीभ, त्वचा) और पाँच कर्मेंद्रियों (हाथ, पैर, वाणी, मलद्वार, जननेन्द्रिय) को शांत कर देते हैं, जिससे उनका तनाव समाप्त हो जाता है।
शिष्य: गुरुजी, ऐसे कौन से प्राणायाम हैं जो गहरी नींद के लिए सहायक हो सकते हैं?
योगी अनूप : यहाँ पर उजाई प्राणायाम का महत्व गहन निद्रा के लिए बहुत अधिक हो जाता है । उजाई प्राणायाम इस संदर्भ में सबसे प्रभावी अभ्यासों में से एक है। यह प्राचीन तकनीक शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करती है और थकी हुई मांसपेशियों को शांति एवं विश्राम की गहराई में ले जाती है।
शिष्य: गुरुजी, उजाई प्राणायाम को कैसे किया जाता है?
योगी अनूप: इसकी विधि सरल है, लेकिन इसका प्रभाव अत्यंत गहन है। उजाई प्राणायाम इस प्रकार करें:
1. श्वास अंदर लेना (पूरक): इसे नाक के माध्यम से धीरे-धीरे करें।
2. श्वास बाहर छोड़ना (रेचक): इसे गले और मुँह के माध्यम से नियंत्रित करते हुए करें।
इस प्रक्रिया में गले, जीभ और जबड़े की मांसपेशियों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। चूँकि यही मांसपेशियां पूरे दिन अत्यधिक सक्रिय रहती हैं—चाहे आप बातचीत कर रहे हों, भोजन कर रहे हों या मन ही मन सोच रहे हों। उजाई प्राणायाम इन मांसपेशियों को गहराई से आराम देने में समर्थ होता है।
शिष्य: गुरुजी, मैंने सुना है कि इस प्राणायाम में एक ध्वनि भी उत्पन्न होती है। क्या यह सही है?
योगी अनूप: बिल्कुल। श्वास के दौरान गले से एक सूक्ष्म ध्वनि उत्पन्न की जाती है। यद्यपि यह ध्वनि सामान्य उज्जई प्राणायाम से भिन्न है , यह ध्वनि बहुत ही सूक्ष्मतम आयतन में की जाती है इसी लिए यह नाड़ी तंत्र (नर्वस सिस्टम) को स्वाभाविक रूप से शांत करने में पूर्ण सक्षम होती है। किंतु ध्यान रखें, इसे बलपूर्वक नहीं करना चाहिए। यह प्रक्रिया सहज और स्वाभाविक होनी चाहिए, और इसे किसी अनुभवी गुरु के निर्देशन में ही करना उचित है।
शिष्य: गुरुजी, क्या इसे बैठकर करना चाहिए या लेटकर? और इसे कितनी देर तक करना चाहिए?
योगी अनूप : मेरे प्रयोगों में यह पाया गया कि इसे 60 डिग्री के कोण पर बैठकर या 30 डिग्री झुके हुए लेटकर करना सबसे अच्छा है। यह स्थिति शरीर ही नहीं बल्कि इन्द्रियों की सूक्ष्म मांसपेशियों में बहुत शीघ्रता से शिथिलता प्रदान कर देती है और गर्दन व पीठ पर दबाव नहीं डालती। शुरुआत में इसे 10-11 मिनट तक करें।
यह विधि उन लोगों के लिए भी विशेष रूप से लाभकारी है, जिन्हें सिरदर्द, पाचन संबंधी समस्याएँ या नींद में बाधा की समस्या होती है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि नींद में रुकावट के 70% मामलों का कारण पेट का तनाव होता है, जबकि केवल 30% मामलों में विचारों की अधिकता से नींद बाधित होती है। उजाई प्राणायाम इन दोनों समस्याओं को हल करने में सहायक है।
शिष्य: गुरुजी, क्या यह तुरंत असर दिखाता है?
योगी अनूप: मेरे प्रयोगों में इसका व्यापक प्रभाव दिखा है । यदि इसे सही विधि से किया जाए, तो पहली रात में ही इसका प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है । कुछ ही दिनों में 70-80 फीसदी प्रभाव दिख जाता है । इसके अलावा, सुबह उठने पर पाचन तंत्र और मल त्याग भी बेहतर होता हुआ भी दिखता है । किंतु ध्यान रहे पहले ही दिन से 100% परिणाम की उम्मीद करना उचित नहीं है।
यह एक प्रक्रिया है। गहरी नींद प्राप्त करना और अपने शरीर के आंतरिक व्यवहार को सुधारना समय के साथ ही संभव है। यह अभ्यास धीरे-धीरे आपकी आदत बनाता है और नियमित अभ्यास से आपके शरीर और मन को नई ऊर्जा प्राप्त करवाता है।
किंतु ध्यान रखें, इस अभ्यास को समझदारी और धैर्य के साथ करना चाहिए। जल्दबाजी या गलत तरीके से किया गया अभ्यास नुकसानदायक हो सकता है। उजाई प्राणायाम को सही जानकारी और निरंतरता के साथ अपनाना चाहिए।
शिष्य: गुरुजी, क्या यह प्राणायाम केवल गहरी नींद के लिए है, या इसके और भी लाभ हैं?
योगी अनूप: उजाई प्राणायाम केवल गहरी नींद का साधन नहीं है। यह मन और शरीर के बीच संतुलन स्थापित करने का भी माध्यम है। नियमित अभ्यास से आप न केवल शारीरिक आराम, बल्कि मानसिक शांति का भी अनुभव करेंगे।
यदि इसे गंभीरता और समर्पण के साथ अपनाया जाए, तो यह केवल आपकी नींद को बेहतर नहीं करेगा, बल्कि आपके जीवन को भी संतुलित और ऊर्जावान बना देगा। यह आपके मन और शरीर के पुनर्निर्माण का माध्यम है। योग और उजाई प्राणायाम के द्वारा यह अनुभव न केवल संभव है, बल्कि स्थायी भी हो सकता है। धैर्य और समर्पण के साथ इस अभ्यास को अपनाओ। यह तुम्हें न केवल गहरी नींद देगा, बल्कि एक संतुलित और ऊर्जावान जीवन का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
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