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गुदा पैरालिसिस: यौगिक समाधान

2 weeks ago By Yogi Anoop

रेक्टम व मलाशय पैरालिसिस: मलाशय लकवे का यौगिक समाधान

रेक्टल पैरालिसिस (मलाशय लकवा) की समस्या तब उत्पन्न होती है जब मलाशय (रेक्टम) और मस्तिष्क के बीच की तंत्रिका कनेक्टिविटी बाधित हो जाती है। यह स्थिति आमतौर पर तंत्रिका क्षति (nerve damage), स्पाइनल कॉर्ड इंजरी, मलाशय की मांसपेशियों की कमजोरी, या मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के बीच संदेश भेजने की क्षमता में कमी के कारण होती है।

मलाशय की मांसपेशियों (rectal muscles) और गुदा द्वार (anal sphincter) का सही तरीके से काम करना पूरी तरह ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम और सेंट्रल नर्वस सिस्टम की समन्वय प्रक्रिया पर निर्भर करता है। जब यह कनेक्टिविटी बाधित होती है, तो व्यक्ति को पॉटी का एहसास नहीं होता या मलाशय में भरे मल को निकालने में असमर्थता होती है।

योगी अनूप के अनुभव से समाधान की शुरुआत

यह समस्या पहली बार 7-8 वर्ष पहले योगी अनूप के पास आई। एक स्टूडेंट ने बताया कि वह लंबे समय से इस समस्या से जूझ रहा है। उसे स्पष्ट याद नहीं था कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई, लेकिन वह 5 से 7 दिनों में ही मल त्याग कर पाता था और उसे पॉटी होने का एहसास तक नहीं होता था।

डॉक्टरों ने इस स्थिति को गंभीर बताया। एम्स के डॉक्टरों ने यह समझाने की कोशिश की कि मस्तिष्क और मलाशय के बीच मैसेजिंग खत्म हो चुकी है। इस कारण मलाशय की मांसपेशियाँ निष्क्रिय हो गई थीं, जिससे गुदा द्वार और मल त्याग की प्रक्रिया बाधित हो रही थी।

डॉक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी, लेकिन यह पूरी तरह सफल होगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं थी। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि सर्जरी के बाद मलाशय और गुदा द्वार पर नियंत्रण खत्म हो सकता है, और मल अनियंत्रित होकर स्वतः बाहर निकल सकता है। इस भय के कारण स्टूडेंट ने सर्जरी कराने से मना कर दिया और योगी अनूप से संपर्क किया।

योग और भोजन का दृष्टिकोण

योगी अनूप ने बताया कि इस समस्या का समाधान केवल शल्य चिकित्सा में नहीं है। यह समस्या गहराई से शरीर और मस्तिष्क के बीच असंतुलन से जुड़ी होती है और इसे यौगिक विधियों से ठीक किया जा सकता है।

मूलाधार चक्र और समस्या का समाधान:

योगी अनूप ने रेक्टम के पास स्थित मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। उनके अनुसार, मूलाधार चक्र और मलाशय तथा गुदा द्वार के बीच घनिष्ठ संबंध होता है। योग में मूलाधार चक्र को शरीर का आधार माना गया है, जो न केवल मलाशय और गुदा द्वार को, बल्कि शरीर के निचले हिस्सों को संतुलित करता है।

योगी अनूप ने योग और प्राणायाम की मदद से मूलाधार चक्र और स्वाधिष्ठान चक्र को सक्रिय किया। इस प्रक्रिया ने न केवल रेक्टम, बल्कि आसपास के मांसपेशीय और तंत्रिका क्षेत्रों को भी पुनर्जीवित किया।

समाधान के लिए अपनाए गए उपाय


1. तेल एनिमा का उपयोग

मलाशय और गुदा द्वार की स्थिति सुधारने के लिए तेल एनिमा का प्रयोग किया गया। यह प्रक्रिया शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और प्रभावित क्षेत्रों को सक्रिय करने में सहायक सिद्ध हुई।

2. आसन और प्राणायाम का अभ्यास

आसन और प्राणायाम से लाभ:

• 30 डिग्री पोज़िशन: पीठ के बल लिटाकर पैरों को 30 डिग्री के कोण पर दीवार के सहारे रखने की सलाह दी गई। इससे मलाशय और गुदा द्वार में रक्त प्रवाह बेहतर हुआ।

• मूलबंध अभ्यास: गहरी श्वास लेकर मलाशय को अंदर खींचने और छोड़ने की प्रक्रिया ने मांसपेशियों को सक्रिय किया।

• अंतर कुम्भक प्राणायाम: इससे पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम को बेहतर किया गया और मानसिक शांति मिली।

इन यौगिक अभ्यासों से न केवल रेक्टल पैरालिसिस में सुधार हुआ, बल्कि अन्य शारीरिक और मानसिक समस्याओं में भी लाभ हुआ।

3. आहार और जीवनशैली का सुधार

योगी अनूप ने स्टूडेंट को संतुलित आहार अपनाने की सलाह दी।

• मसालेदार भोजन से बचाव किंतु तेल को पीने के लिए सलाह दिया गया ।

• अधिक फाइबर युक्त भोजन का सेवन और इसे साथ साथ पर्याप्त पानी पीने के लिए बताया गया ।

• लंबे समय तक केवल जूस और हल्का भोजन करने की बजाय सामान्य भोजन में संतुलन बनाए रखना।

परिणाम और सुधार

लगभग 15 दिनों के अभ्यास और आहार में बहुत सीमित सुधार के बाद रोगी की समस्या में 70-78% तक सुधार हुआ। तेल एनिमा, तेल पीना , आसनों और प्राणायाम के संयोजन ने न केवल उसकी शारीरिक समस्या को हल किया, बल्कि मानसिक स्थिति को भी स्थिर किया।

गुदा द्वार और मलाशय लकवे जैसी समस्याओं का समाधान केवल सर्जरी में नहीं है। योगी अनूप के अनुभवों के अनुसार, सही दिनचर्या, योगासन, प्राणायाम और मानसिक स्थिरता के माध्यम से इस समस्या को रोका और ठीक किया जा सकता है।

यह प्रक्रिया हमेशा विशेषज्ञ मार्गदर्शन में ही अपनानी चाहिए। नियमित योग और ध्यान से न केवल शरीर, बल्कि मस्तिष्क और आत्मा को भी नई ऊर्जा और संतुलन प्रदान किया जा सकता है।

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