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ध्यान में सबसे बड़ी बाधा

4 years ago By Yogi Anoop

ध्यान में सबसे बड़ी बाधा गुरु लोग पैदा करते हैं । गुरु समझता है कि वो अपने शिष्यों के लिए बेहतर कर रहा है , पर वास्तव में उसे और चक्रव्यूह में फँसा देता है । 

जब हम अपने शिष्यों को ध्यान में बैठकर ये कहते हैं कि कोई भी विचार आए उसे आने दें, उसे न टोके न रोके, सब कुछ आने दें । आप देखना वो अपने आप चला जाएगा । आप शांत हो, आप आनंदित हो, आप सच्चिदानंद हो, आप अमर हो , आप पूरे ब्रम्हाण्ड में समाए हो , आप ब्रम्म्ह हो । 

ये आप ज़्यादातर गुरुओं को कहते हुए सुना होगा । 


क्या आप ऐसी स्थिति में होते हो कि आप अपने आप में कि उन सभी विचारो को आने दो और जाने दो । । जब आपके विचारो को करने लगते हो तो आप भूल जाते कि आप विचार कर रहो । वो तो थोड़ी देर के बाद पता चलता है कि आप स्वयं ही विचारों में फँस गए थे । जब याद आता है तब आपका विचार रुक जाता है । थोड़ी देर रुक रहता है आ, फिर आप आदतवश कोई न कोई विचार अपने दिमाग़ में चलाने लगते हैं, स्क्रिप्टिंग कहानियाँ गढ़ने लगते है फिर थोड़ी देर के बाद आपको पता चलता  है कि 

मैं तो कुछ और सोचने लगा था । फिर रुक जाते हैं थोड़ी देर के लिए सोचना रुक जाता है । यही प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक आप ध्यान पर बैठे हुए होते हो । 

आप वहाँ  पर आधे और गंदे विचारों को स्वीकार और रेजेक्ट करने नहीं बैठे । 


यदि इतना ही उसे आता , कि सारे विचार सामान्य हैं तो उसे ध्यान करने की आवश्यकता ही न होती । 

यदि मैं इसे डि-कोड करूँ तो मैं पाता हूँ कि उन्हें अतींद्रिय अनुभव नहीं है ।

आगे लेख में ……...


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