Loading...
...

डिप्रेशन वाले लोगों की हरकतें

3 years ago By Yogi Anoop


   एक व्यक्ति आए मेरे पास, उन्होंने बड़ी विचित्र बातें  बतलायी, उनका कहना था कि आनंद का श्रोत मैंने ढूँढ लिया है । 

मैंने कहा वो कैसे भला ?

उनका कहना था 

आसमान देखता हूँ  , सागर का visualisation करता हूँ , 

सुबह सुबह चिड़ियाँ की चहचहाहट सुन उसमें आनंदित होता हूँ , ऐसे लगता है कि मैं प्रकृति की गोद में हूँ । 

मैंने कहा इसी को कहते हैं डिप्रेशन ,और यदि अभी नहीं भी है तो कुछ वर्षों में हो जाएगा यदि आपकी  ऐसी हरकतें चलती रही । जो स्वयं से, अपने आस पास के व्यक्तियों से नहीं जुड़ता तो वह  चिड़ियों से , कुत्तों से , आसमान से , नदियों इत्यादि जुड़ कर आनंदित होने की कोशिश करता है । 

मैंने देखा है कि जो जितना अधिक भावनात्मक रूप से कमजोर है वे कुत्ते पालते हैं और वे कुत्तों को पाल कर उसे अपना रोग दे देते हैं । यद्यपि किसी को भी आप रोग दे नहीं सकते , वो तो कुत्ता आप जैसे मनुष्यों को देख कर मनुष्य बनने की कोशिश में मारा जाता है । शुरुआत में उसे पता ही नहीं होता कि वो किस अटैचमेंट में पड़ रहा है , और वो मनुष्य प्रेम के चक्कर में अपने को मनुष्य बना लेता है और अंत में मनुष्यों की ही तरह किडनी - हार्ट  और कब्ज के रोग से मर  जाता है । 

ऐसे भावनात्मक लोग केवल कुत्ते ही सबसे अधिक पालते है , अन्य जीवों को नहीं पाल सकते , उनसे बोलो कि जाओ शेर पाल लो तो नहीं करेंगे क्योंकि उनकी अंतरात्मा जानती है कि शेर को आदमी बनाने में बहुत मेहनत है , इसका भी डर बना रहता है कि शेर में ख़ुशी ढूँढते ढूँढते कहीं शेर मुझमें ख़ुशी (खाकर) न ढूँढ ले । और ख़ास बात ये है ऐसे डिप्रेशन वाले लोगों में पेशेन्स नहीं होता कि सालों तक उसे मनुष्य बनाए । 

वे तो अपनी भावनात्मक उल्टियों को अपने कुत्ते पर डालकर कुछ घंटों के लिए बस शांत होना चाहते हैं । 


मैंने कहा कि चिड़ियों से आनंदित मत हो , चिड़ियों को तो ये भी पता नहीं कि आनंद होता क्या , सुख दुःख होता क्या , वे तो अपने स्वभाव में उड़ती जा रहीं हैं । आप ही महान आत्मा हैं कि उसमें सुख दुख व आनंद ढूँढ रहे हो । 

    

   आख़िर आपकी आत्मा उन उड़ती हुई चिड़ियों से क्या चाहती है । आप चिड़ियों को देखकर क्यों ख़ुश हो रहे ? इस बात को कभी हमने सोचा है ? नहीं कभी नहीं सोचा । मैं जानता हूँ कि आप इस सोचने की क्रिया में नहीं जाना चाहोगे क्योंकि वहाँ बहुत मेहनत है । 


सत्य यह है कि आप चिड़ियों को उड़ता देखकर शांत इसलिए होते हो क्योंकि उन्हीं चिड़ियों की तरह आप स्वतंत्र रहना चाहते हो जो अभी नहीं हो । बजाय कि आप स्वयं को स्वतंत्र करने का अभ्यास करें , अपने को विचारों के जकड़ से स्वतंत्र करें , आप चिड़ियों को उड़ते हुए हमेशा देखने लगते हैं । इसी को मैं वर्चुअल पीस कहता हूँ । जो आपके अंदर स्थायी शांति नहीं देता । 

सत्य ये है कि आप बिना स्वयं को बदले शांत होना चाहते हो । 

मैं ये भी बतला दूँ कि ये असम्भव क्रिया कि ये असम्भव जैसी क्रिया को सम्भव बनाने के लिए लाखों वर्षों से सामान्य व्यक्ति प्रयास कर रहा है पर सफल नहीं हुआ और न ही होगा । 


Recent Blog

Copyright - by Yogi Anoop Academy