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अच्छे भोजन करने के बावजूद रोग क्यों है ?

1 year ago By Yogi Anoop

अच्छे भोजन करने के बावजूद रोग क्यों है ?


प्रश्न -  जब मैं बहुत अच्छी तरह से ख़ाना खाता हूँ , तो मेरी मांसपेशियों में खिंचाव क्यों रहता है ?  मुझे स्पास्म की दवाई क्यों लेना पड़ता है ? 


योगी अनूप - बहुत सारे लोग ऐसे भी होते हैं जिनके भोजन की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है । यहाँ कि वे शारीरिक अभ्यास इत्यादि भी बहुत कर रहे होते हैं किंतु उनके अंदर अम्ल और वायु के बनने की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है । इससे कारण उनकी मांसपेशियों में थकान शुरू हो जाती जिससे उनके सिर में दर्द, मूत्र मार्ग में जलन, सुबह उठने पर पूरे शरीर में दर्द जैसे अनेकों शारीरिक समस्याएँ दिखने लगती है । जब कि उसके भोजन की गुणवत्ता बहुत अच्छी है । 

मेरे अपने अनुभव में इस समस्या का समाधान भोजन की गुणवत्ता को और बेहतर करने से नहीं बल्कि अपने सभी ज्ञानेंद्रियों के कार्य करवाने की प्रणाली को ठीक करना पड़ेगा । ध्यान दें यहाँ पर अच्छे और बुरे विचारों का प्रश्न नहीं है , अच्छे बुरे भोजन से मतलब नहीं है । यदि सभी इंद्रियों के माध्यम से जो भी व्यवहार किया जा रहा है उसमें तरीक़ा ग़लत है तो समस्याओं व रोगों से कोई भी बचा नहीं सकता है । अज्ञानतावश इंद्रियों में तनाव और खिंचाव बहुत अधिक दिया जा रहा है तो शरीर पर उसका दुष्प्रभाव बहुत अधिक रहेगा । 

जैसे जल्दी जल्दी भोजन करना । यदि कोई भी व्यक्ति बहुत बहुत जल्दी जल्दी भोजन कर रहा है तो अच्छे भोजन करने के बावजूद भी उसका दुष्प्रभाव शरीर पर दिखेगा ही । यहाँ पर में सिर्फ़ भोजन करने में ही जल्दीबाज़ी की बात नहीं कर रहा हूँ । सभी इंद्रियों के कार्य में जल्दीबाज़ी । जैसे जल्दीबाज़ी में बोलना , जल्दीबाज़ी में पढ़ना व वीडियो देखना, जल्दीबाज़ी में नहाना इत्यादि । ऐसे लोगों की साँसें भी जल्दीबाज़ी में स्वतः ही चलने लगती हैं । फिर व्यक्ति कहता है कि मेरी साँसें  उखड़ रही है । ब्रेथलेसनेस हो रही है । यह स्वाभाविक है कि जब अन्य सभी इंद्रियों को जल्दीबाज़ी की लत लग जाती है तब साँसें भी जल्दीबाज़ी में चलने लगती है । 

एक सामान्य व्यक्ति इस रहस्य को समझने में असमर्थ होता है इसीलिए उसे अपने किसी अनुभवी गुरु के संपर्क में रहकर स्वयं का इलाज करवाना चाहिए । स्वयं के इंद्रियों की बीमारियों को समझने का प्रयास करना चाहिए । बजाय कि पेट व शरीर की समस्या के । 


इसके लिए कुछ सलाह दिए जा रहे हैं -

  • कुछ ऐसे योग आसन का अभ्यास किए जायँ जिसमें अधिक समय तक रोक कर अनुभव करना पड़े । जिसमें साँसों के साथ कैसे अधिक संबंध बनाना है , यह सीखना पड़े 

  • प्राणायाम के करने के तरीक़े को बहुत धीरे धीरे करना चाहिए । उसके अभ्यास के समय अनुभव पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ।

  • किसी से बात करते समय समझ समझ कर बात करना चाहिये । इससे इंद्रियों में जल्दीबाज़ी नहीं होगी ।इसलिए जल्दीबाज़ी में बोलना बंद करें । इसके लिए कोई तकनीक नहीं होती है । इसके लिए तो समझदारी ही दिखानी पड़ेगी । 

  • भोजन करते समय खूब स्वाद का अनुभव लेना बेहतर होगा । स्वाद लेने से धीरे धीरे भोजन करने की मजबूरी हो जाएगी । 

  • यूट्यूब पर वीडियो देखें टी बहुत फ़ास्ट स्पीड में नहीं देखें । इससे आँखों में थकान बढ़ती है और मूड स्विंग्स के बढ़ने का ख़तरा बढ़ जाता है ।  

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