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आसन के पूर्व प्राणायाम का अभ्यास

2 months ago By Yogi Anoop

क्या प्राणायाम आसान के पूर्व किया जाना चाहिए ?

प्राणायाम योग का एक प्रमुख अंग है, किंतु इसे सही तरीके से करना अत्यंत आवश्यक है। सामान्य मन में स्वाभाविक सा प्रश्न यह उठता है कि प्राणायाम का अभ्यास आसन के पूर्व किया जाय अथवा पश्चात किया जाय । यद्यपि इसका उत्तर किसी एक तरफ़ से नहीं दिया जा सकता है । कुछ योग के वैज्ञानिक प्राणायाम को आसन के बाद करने की सलाह देते हैं । उसने अनुसार शरीर और नसों के अभ्यास प्राणायाम के पूर्व किया जाना चाहिए जो कि बहुत हद्द तक वह तर्कसंगत लगता है । 

उनके अनुसार प्राणायाम के अभ्यास के पूर्व आसन के अभ्यास से मांसपेशियों और आदेश के अंदर महत्वपूर्ण अंगों को का वाह्य अभ्यास हो जाता है । जैसे 

1- फेफड़े के अभ्यास के पूर्व उसके पीछे के हिस्से पीठ अर्थात रीढ़ का अभ्यास बहुत आवश्यक हो जाता है । वह अभ्यास केवल आसन के अभ्यास से ही संभव है । इससे फेफड़े और छाती में प्रसार बढ़ता है । और प्राणायाम को करने में बहुत आसानी हो जाती है ।

2- रीढ़ : प्राणायाम से पूर्व यदि रीढ़ की हड्डी में खिंचाव किया जाता है तो प्राणायाम के अभ्यास से बहुत शीघ्रता से प्राण का संचार किया जा सकता है । साथ साथ रीढ़ के पोश्चर को सीधा बनाए रखना आसान हो जाता है।

3- गर्मी का होना: प्राणायाम के द्वारा ऑक्सीजन के संचार को अच्छा और आसान बनाने के लिए देह के अंदर तापमान की मात्रा को थोड़ा सा बढ़ाना आवश्यक होता है ।  शरीर में हल्की गर्मी उत्पन्न होती है, जिससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है और शरीर ऑक्सीजन को तेजी से अवशोषित करता है। देह में आवश्यकता से कम तापमान होने से ऑक्सीजन का अवशोषण अधिक नहीं होने पाता है । देह के तापमान को संयमित करने के लिए आसन या किसी मांसपेशियों का सुनियोजित अभ्यास बहुत आवश्यक होता है जिससे मन को अवसाद होने से भी बचाया जा सकता है , और साथ साथ देह के अंदर गाँठों के निर्मित होने की संभावनाएं बढ़ने लगती हैं । इस प्रकार, आसन या मांसपेशियों का हल्का अभ्यास प्राणायाम की प्रभावशीलता को बढ़ा देता है।

बिना आसन के प्राणायाम: क्या यह संभव है? 

बिल्कुल, लेकिन यह तब संभव होता है जब आपका शरीर और मस्तिष्क प्राणायाम के प्रति पूरी तरह प्रशिक्षित हो चुके हों । किंतु कभी कभी शारीरिक कमजोरी अथवा किसी विशेष रोग की अवस्था में प्राणायाम का अभ्यास आसन के पूर्व ही करना उचित होता है । कभी कभी प्राणायाम बैठकर नहीं करके सीधा लेटकर भी करने को मैं सुझाव देता हूँ । इससे अनेकों शारीरिक और मानसिक लाभ देखने को मुझे प्राप्त हुआ है । 

• कुछ विशेष परिस्थितियों में आसान के पूर्व प्राणायाम की प्रक्रिया सुगम होती है जिसके अभ्यास से मस्तिष्क में सुगमता से रक्त और ऑक्सीजन का उचित संचार किया जा सकता है । 

• कुछ दिनों व महीनों के नियमित अभ्यास के बाद, आपका शरीर और मस्तिष्क इतना तैयार हो जाता है कि आसन के अभ्यास के बाद प्राणायाम का अभ्यास कर सकते अहीन । 

• कुछ ऐसी भी स्थितियों को माने देखा है जिसमें सिर्फ़ लेट करके व किसी एक करवट में प्राणायाम के माध्यम से नाड़ियों को जागृत करने का प्रयास किया जाता है । 

प्राणायाम का गहरा अर्थ-

प्राणायाम केवल सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया नहीं है। यह एक गहराई से जुड़ा अभ्यास है, जिसमें सांसों के साथ आपके विचार, भावनाएं और शरीर का हर अंग जुड़ता है। जैसे-जैसे आप अभ्यास करते हैं, यह अनुभव गहरा होता जाता है:

1. लय का महत्व: जैसे जैसे साँसों में लय बढ़ता जाता है वैसे वैसे उसी लय के माध्यम से मस्तिष्क और देह में संतुलन स्थापित करना प्रारंभ हो जाता है ।   

2. चेतना का जुड़ाव: सांसों की हर संवेदना को महसूस करना और उसे शरीर में प्रवाहित होते हुए अनुभव करना  प्राणायाम का लक्ष्य होता है ।

3. जहाँ तक कि कुछ महीनों व वर्षों के अभ्यास के बाद प्राणायाम एक ध्यानमय प्रक्रिया बन जाती है, जिसके माध्यम से स्वयं के बोध में बहुत सरलता प्राप्त हो जाती है ।     

प्राणायाम के बाद क्या करें ? 

प्राणायाम के अभ्यास के तुरंत बाद किसी शारीरिक गतिविधि से बचना चाहिए । वह इसलिए कि प्राणायाम से जो स्थिरत्व का अनुभव हुआ है ।

• प्राणायाम के दौरान आपका मस्तिष्क और शरीर शांत और संतुलित अवस्था में होता है। इसके तुरंत बाद ज्ञानेन्द्रियों को तीव्र नहीं नहीं देना चाहिए ।उसके बाद बहुत आराम आराम से कार्य करना बहुत ही उत्तम होता है । 

• प्राणायाम के बाद तुरंत आसन या व्यायाम करने से यह संतुलन टूट सकता है।

• यह समय शरीर और मस्तिष्क को शीतल और स्थिर रखने का होता है। स्वभाव व प्रकृति के अनुरूप ही अंतिम प्राणायाम का चुनाव करना चाहिए । उसी से प्राणायाम को अंत करके उठना चाहिए । अनुभवी अभ्यासियों के लिए यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए । 

अंततः प्राणायाम का अभ्यास एक प्रक्रिया है। शुरुआत में आसन और हल्की शारीरिक गतिविधियां इसे आसान और प्रभावी बनाती हैं। जैसे-जैसे आपका अभ्यास गहराई में जाता है, प्राणायाम अपने आप में ध्यान का अनुभव बन जाता है। इसे सही तरीके और अनुशासन से करें, और इसके लाभों को धीरे-धीरे महसूस करें।


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