पाँचो इंद्रियों में आँख एक ऐसी इंद्रियाँ है जो समस्त दृश्यों को ग्रहण करती है , यह सामान्य मस्तिष्क के लिए या उसकी सामन्य समझ बढ़ाने के लिए सबसे आसान तरीक़ा दृश्य ही होता है । जिससे व्यक्ति की एकाग्रता को बढ़ाया जाता है । इसी इंद्रिय से सबसे अधिक जानकारी अंदर ग्रहण करता है । इसी इंद्रिय से ख़ुशी प्राप्त करने का प्रयत्न भी करता है । इसीलिए फ़िल्में इत्यादि सामान्य जन कितना देखते हैं ।
ध्यान दें जिस इंद्रिय से सबसे अधिक जानकारी ली जाती है उसी से तनाव भी सर्वाधिक् होता है । इसीलिए इन आँखों को ढीला और शांत करने का प्रयत्न किया जाता है ।
1-आँखो को बंद करके उसे ढीली करने का प्रयत्न करें ।
2-स्वाँस को अनुभव करके आँखो को ढीला करने का प्रयत्न कर सकते हैं ।
3-जबड़ों को थोड़ा दबाकर भी आँखों की मांशपेशियों को ढीला किया जा सकता है ।
4- यहाँ तक कि बंद आँखों की पुतलियों को धीरे धीरे ऊपर नीचे करके ढीला करने का प्रयत्न करें ।
ध्यान में जब भी बैठे सबसे पहले आँखों को ढीला करने का प्रयत्न करें । जैसे ही आँखे ढीली होनी शुरू होंगी वैसे मस्तिष्क के अंदर दृश्यों का बहाव कम होने लगेगा । ये सभी दृश्य जो मन और मस्तिष्क में चल रहे होते हैं उनका बहाव जितना तेज और धारदार होता है उतना ही तनाव होता है , उतना ही मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होता है किंतु जैसे ही आँखो की मांसपेशियों को ढीला करना प्रारम्भ करते है वैसे दृश्यों का मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव कम व बंद हो जाता है । ध्यान दें बहुत चलायमान दृश्य के अंदर जाने पर मन और इन आँखों को चलायमान दृश्य को देखने का मन करता है । स्टिल फ़ोटो देखने का मन नहीं करता है । हमेशा मूवी देखने का मन करता है । यहाँ तक कि पढ़ने का भी मन नहीं करता है । क्योंकि पढ़ने में किताब स्थिर है , उसमें कोई भी गति नहीं है , इसलिए आँखों को धीरे धीरे गति कराही पड़ती है । किंतु जब मूवी को देखते हैं तब आपकी आँखों की गति का निर्धारण उस फ़िल्म पर निर्भर करता है ।
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